नींद से जुड़ी बीमारियां अक्सर एक खराब लाइफस्टाइल और तनाव भरे जीवन का नतीजा है। पर जितना ज्यादा आज कल हम लोग अपने स्वास्थ्य के बारे में जान गए हैं और तरह-तरह की चीजों को आसानी से करने लगे हैं, ये हमें एक्ट्रा केयरिंग और ओवर प्रोटेक्टिव बना रहा है। हालांकि, ये अच्छी बात है पर तब तक ही जब तक कि ये हम पर एक सनक की तरह न सवार हो जाए। कुछ ऐसा ही सनक इस बीमारी में लोगों के ऊपर सवार हो जाता है, जिसे ऑर्थो सोमनिया (Orthosomnia) कहा जाता है। दरअसल, ये एक नींद से जुड़ी बीमारी है जिसमें लोग नींद को लेकर ऑवर कॉन्शियस (Over Conscious about sleep) हो जाते हैं। जर्नल ऑफ क्लिनिकल स्लीप मेडिसिन (Journal of Clinical Sleep Medicine)के इस एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने उल्लेख ऑर्थो सोमनिया के बारे में बताया है। ये बीमारी एक तरह से परफेक्ट नींद लेने के चक्कर में नींद न आने की परेशानी को परिभाषित करता है। तो, आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी और फिर लखनऊ के आयुष क्लिनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ. गीता पाण्डे से जानेंगे नींद से जुड़ी बीमारियों से बचाव के उपाय।
क्या है Orthosomnia?
नींद की बीमारी अक्सर रात की अच्छी नींद नहीं लेने से संबंधित है। लेकिन अब एक नया विकार है जो लोगों को प्रभावित कर सकता है और इसमें लोग एक परफेक्ट नींद लेने को लेकर जुनूनी हो जाते हैं। इसे ऑर्थो सोमनिया (Orthosomnia) कहते हैं जिसमें ऑर्थो का अर्थ होता है सीधे या सही और सोम्निया का अर्थ होता है नींद। ऑर्थोसोमनिया नामक ये विकार उन लोगों को ज्यादा होता है जो फिटनेस ट्रैकर उपकरणों की मदद से अपनी नींद को ट्रैक करने की कोशिश करते हैं। पिछले साल जर्नल ऑफ क्लिनिकल स्लीप मेडिसिन में प्रकाशित शोध में बताया गया कि जब दुनिया भर नींद से जुड़े कई बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, तो कई लोग अपनी नींट को अपने कंट्रोल में रख कर इसे बेहतर और हेल्दी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वो ऑवर कॉन्शियस होते हैं और डाइट से लेकर तमाम तरह की चीजों को एक परफेक्ट नींद पूरी करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोग अपने नींद को परफेक्ट बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की चीजों की मदद ले रहे हैं। जैसे कि
- -नींद को ट्रैक करने वाले उपकरण
- -नींद पैटर्न को चेक करने वाले स्लीप ट्रैकिंग डिवाइस का
- -अन्य एप्स और डिवाइस।
इनके चलते हो ये रहा है कि ऐसे लोग नींद को ट्रैक करने के चक्कर में भरपूर और अच्छी नींद नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे लोगों की नींद हल्की और बेचैन होती है और ये लोग सोने के दौरान कई बार उठ कर अपनी नींद के पैटर्न को चेक करते हैं। इस तरह ये लोग नींद को सही करने के चक्कर में ऑवर कॉन्शियस रहते हैं और एक अच्छी और हेल्दी नींद नहीं ले पाते हैं।
ऑर्थोसोमनिया का कारण- Causes of Orthosomnia
ऑर्थोसोमनिया का कारण है नींद को लेकर आपका ऑवर कॉन्शियस दिमाग। उसके बाद स्लीप पैटर्न को चेक करने वाले पहनने योग्य डिवाइस और बायोमेट्रिक डेटा, जो कि आपकी नींद को और खराब करने लगते हैं। ये आपको बताने लगते हैं कि आपकी नींद कैसी है और कैसी नहीं। इन चीजों पर ध्यान देने के चक्कर में मामला और बदतर बना सकता है।
- -फिटनेस ट्रैकर और स्मार्टवॉच
- -माइक्रोफोन और एक्सेलेरोमीटर जैसी स्मार्टफ़ोन तकनीक
- -स्लीप ऐप
यहां तक कि स्पीकर, अलार्म घड़ी आदि जैसे स्मार्ट उत्पाद, आपके स्लीप डेटा को एकत्र करके और उसका विश्लेषण करके आपकी नींद को और खराब कर देते हैं। इसके बाद आप यही सोचते रहते हैं कि आपको अच्छी नींद क्यों नहीं आई, आप इसके लिए क्या कर सकते हैं और कई प्रकार के टिप्स आदि।
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ऑर्थोसोमनिया के लक्षण- Symptoms of Orthosomnia
अगर आप भी नींद में सुधार पर अत्यधिक ध्यान दे रहे हैं और कई प्रकार के स्लीप ट्रैक्रिंग चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपको ऑर्थोसोमनिया हो सकता है। ऑर्थोसोमनिया को पहचानने के लिए आपको सबसे पहले इसके लक्षणों को जानना चाहिए, ताकि अगर आप में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए हो आप सचेत हो जाएं। ऑर्थोसोमनिया के लक्षणों पर ध्यान दें, तो इनमें शामिल हैं
- -सोने में कठिनाई महसूस करना
- -सोते के बाद बीच-बीच में बेचैनी
- -जागने के बाद दोहारा सोने पर नींद न आना
- -सुबह जल्दी उठ जाना या कभी न उठना
- -नींद न आना
- -चिंता
- -थकान
- -डिप्रेशन
- -चिड़चिड़ापन
- -दिन में बहुत नींद आना
- - एकाग्रता या ध्यान में कमी महसूस होना
- -सिर दर्द रहना
- -एंग्जायटी
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अच्छी नींद आने के उपाय- Ayurvedic tips for good sleep
आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ. गीता पाण्डे कहती हैं कि नींद आपके शरीर का नेचरूल प्रोसेस है उसे कठिन मत बनाइए। बेहतर नींद के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपनी लाइफ स्टाइल सही करें और सोने से 2 घंटे पहले खाना खा कर ही बिस्तर पर जाएं। इसके अलावा आप इनमें से कुछ खास टिप्स की मदद भी ले सकते हैं। जैसे कि
-बिस्तर पर जाने से पहले अपने पैरों को ठंडे पानी से अच्छी तरह से धो लें। दरअसल, आयुर्वेद में पैरों को अग्नि तत्व से जोड़ता है और पैरों को ठंडा करने को अच्छी नींद से जोड़ा जाता है। इसलिए सोने से पहले अपने पैरों को जरूर धो लें।
-शराब और कोई भी कैफिन वाली चीजों को पी कर सोने न जाएं। ये पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियां बढ़ता है।
-अगर रात में आपको बेचैनी महसूस हो रही है, तो रात में अपने पैरों पर एक अतिरिक्त कंबल या तकिया लगाने की कोशिश करें। ये पैरों को नियंत्रित करता है और पैरों में आराम लाता है। उसी तरह जिस तरह पैरों पर सैंडबैग का उपयोग करने से कुछ लोगों को तुरंत नींद आ जाती है।
-पैरों की गुनगुने तेल से मालिश करें। तिल के तेल को गर्म करके पैरों की मालिश करने से आपको बेहतर नींद आती है।
-सोने से पहले अश्वगंधा को दूध में डाल कर और हल्दी मिला कर पिएं।
ध्यान रहे कि आमतौर पर कोई भी उपकरण नींद की अवस्था की सही रिपोर्ट नहीं कर सकता है या नींद की शुरुआत के बाद जागने की संक्षिप्त अवधि की पहचान करने में सक्षम नहीं हो सकता है। इसके चलते आपके नींद मैट्रिक्स में हेरफेर किया जा सकता है और कोई भी व्यक्ति हमेशा परफेक्ट नींद में नहीं हो सकता है। साथ ही ये उपकरण नींद की महत्वपूर्ण जानकारी, जैसे कि सांस लेने में कठिनाई या असामान्य हलचल या व्यवहार का पता लगाने में पूरी तरह से सक्षम भी नहीं हो सकते हैं। इसलिए परफेक्ट नींद के चक्कर में आप इन तमाम चीजों का इस्तेमाल न करें और कुछ को इस बीमारी से बचाएं। साथ ही नेचुरल तरीके से टेंशन फ्री हो कर सोएं और सुबह आराम से एक स्वस्थ दिन की शुरुआत करें।
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