
कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में क्या अंतर है (Difference Between the First Wave and Second Wave of The Corona)? इस समय देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। देश के कुछ राज्यों में मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हजारों की संख्या में रोज कोरोना मरीज निकल रहे हैं। साथ ही हजारों लोग पूरे देश में कोरोना की वजह से अपनी जान गवां रहे हैं। पिछले 24 घंटों की बात करें तो देश में लगभग 3 लाख 30 हजार केस सामने आए हैं। वहीं 3 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने देश में काफी परेशानी खड़ी कर दी है। इसमें ज्यादातर लोग सांस फूलने की शिकायत कर रहे हैं। वहीं इसमें ज्यादातर युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं।
अब आपके मन में सवाल होगा कि पिछले साल यानी कोरोना की पहली लहर तो ज्यादातर बुजुर्गों को अपनी चपेट में ले रही थी, लेकिन इस बार युवा से लेकर बच्चे सभी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं, ऐसा क्यों हो रहा है? इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने फ्लोरेस हॉस्पिटल, गाजियाबाद के एमडी और सीनियर फिजिशियन डॉक्टर एमके सिंह से बातचीत की। उनसे हमने जाना कि कोरोना की दूसरी लहर में युवा ज्यादा प्रभावित क्यों हो रहे हैं? कोरोना की पहली और दूसरी लहर में क्या अंतर है?
कोरोना की पहली लहर (First Wave of Covid or Corona Virus)
डॉक्टर एमके बताते हैं कि कोरोना वायरस की पहली लहर साल 2020 में आई थी। उस समय कोरोना काल के शुरुआत में ही लॉकडाउन लगा दिया गया था। जिससे कोरोना कंट्रोल में रहा और देश में बहुत ज्यादा फैलने से बच गया। उस समय सभी लोग अपने घरों के अंदर थे, जिससे युवाओं और बच्चों को यह संक्रमण ज्यादा नहीं हुआ। लेकिन बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को लॉकडाउन के दौरान भी अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ें, जिससे उन लोगों में संक्रमण ज्यादा तेजी से फैला। कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के लक्षणों में भी थोड़ा बहुत बदलाव है।
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- - सूखी खांसी
- - जोड़ों में दर्द
- - सिर दर्द
- - बुखार

कोरोना की दूसरी लहर (second wave of COVID-19 pandemic)
डॉक्टर एमके बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर अचानक से आई है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच सभी लोग अपने कामों में लगे रहें। लोग बाहर घूम रहे थे, ऑफिस जा रहे थे, अपनी दिनचर्या के सभी काम कर रहे थे। साथ ही लोगों से मिलना-जुलना भी शुरू हो गया था। लोग कोरोना के नियम भी फॉलो नहीं कर रहे थे। ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर बहुत तेजी से फैलने लगी। ज्यादातर युवा लोग घर से बाहर रहते हैं, ऐसे में वे इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। लेकिन पिछले 2-3 दिनों से युवाओं के मामलों में कमी देखने को मिली है। अब इससे बुजुर्ग भी प्रभावित हो रहे हैं। इसकी वजह से युवाओं में दूसरी लहर ज्यादा देखने को मिली है।
- - सांस फूलना
- - डायरिया
- - उल्टी
- - बुखार
कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में अंतर (Difference Between First Wave And Second Wave of Corona)
कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा लोगों को प्रभावित कर रहा है। इसकी दूसरी लहर में सांस फूलने के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना वायरस नए म्यूटेंट में आया है। इसलिए पहली लहर और दूसरी लहर के लक्षणों में भी कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है। कोरोना की पहली लहर में बुखार 2-4 दिनों में ही ठीक हो जाता था। लेकिन दूसरी लहर में बुखार को ठीक होने में 10-12 दिनों का समय लग रहा है। पहली लहर में फेफड़े ज्यादा प्रभावित नहीं हुए थे, लेकिन दूसरी लहर में कोरोना मरीज के फेफड़े बहुत ज्यादा मात्रा में प्रभावित हो रहे हैं। कई बार तो फेफड़ों में इंफेक्शन होने की वजह से मरीज की जान भी चली जाती है। इसके साथ ही कोरोना वायरस की पहली लहर में कई मरीज असिम्प्टोमैटिक (Asymptomatic) वाले थे यानी ऐसे मरीज जिनमें कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे थे। लेकिन कोरोना वायरस की दूसरी लहर में कोरोना के बिना लक्षण वाले पॉजिटिव मरीज बिल्कुल न के बराबर हैं। दूसरी लहर में पॉजिटिव वाले व्यक्ति में कोई न कोई लक्षण नजर जरूर आ रहा है।
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कोरोना की दूसरी लहर कब तक हो सकती है खत्म? (How Long Can The Second Corona Wave Last?)
डॉक्टर एमके सिंह कहते हैं कि पिछले 2-3 दिनों से कोरोना के मामलों में कमी आने लगी है। लॉकडाउन की वजह से इस पर असर देखने को मिल रहा है। अगर इसी तरह सख्ती से लॉकडाउन का पालन किया जाए, तो जून तक कोरोना की दूसरी लहर से काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
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