कोरोना की दूसरी लहर क्यों ले रहा है युवाओं की जान? डॉक्टर ने ‘हैप्पी हाइपोक्सिया’ को बताया मुख्य वजह

देश में कोरोना की दूसरी लहर ज्यादातर युवाओं की जान ले रहा है। इसके लिए हैप्पी हाइपोक्सिया को मुख्य वजह बताया गया है। जानें क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया?
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कोरोना की दूसरी लहर क्यों ले रहा है युवाओं की जान? डॉक्टर ने ‘हैप्पी हाइपोक्सिया’ को बताया मुख्य वजह

देश में कोरोना की दूसरी लहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है (Second Wave of Covid in India)। दिन-पर-दिन कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही हैं। कोरोनी की दूसरी लहर, पहली लहर से बेहद खतरनाक है। इसमें मजबूत इम्यूनिटी वाले युवा भी अपनी जान नहीं बचा पा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह ‘हैप्पी हाइपोक्सिया’ (Happy Hypoxia) को बताया जा रहा है। दरअसल, हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम होता जाता है, लेकिन मरीज को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं होता है। वह अपने जीवन को खुशी-खुशी बिता रहा होता है। लेकिन अचानक से ऑक्सीजन लेवल बहुत ज्यादा कम होने पर उसकी तबियत बिगड़ती है और उसकी जान तक चली जाती है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो कोरोना की दूसरी लहर से 21-40 वर्ष की उम्र के लोग सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। वहीं 51-60 की उम्र वालों की संख्या 18 फीसदी और 41-50 की उम्र वाले 16 फीसदी हैं।  

happy hypoxia

क्या कहते हैं डॉक्टर (What Doctor Says)

मसीना हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र नाथ मेहरा कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। इसकी मुख्य वजह ‘हैप्पी हाइपोक्सिया’ है। दरअसल, इसमें रोगी का ऑक्सीजन लेवल कम होता रहता है, लेकिन उसे इस बात का आभास नहीं होता है। वह खुशी-खुशी अपने सभी गतिविधियों को जारी रखता है। फिर एक समय ऐसा आता है, जब उसका ऑक्सीजन लेवल बहुत कम हो जाता है और उसके फेफड़ें भी संक्रमित हो जाते हैं। ऐसे में मरीज की जान चली जाती है। उसे तो यह तक मालूम नहीं होता कि उसकी तबियत खराब है या उसके अंदर भी संक्रमण है। इसके अलावा इस स्थिति में रोगी में कोई शुरुआती लक्षण भी नजर नहीं आते हैं। कोरोना की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया युवाओं की जान लेना का मुख्य कारण बना हुआ है। 

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क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया? (What is Happy Hypoxia)

हैप्पी हाइपोक्सिया कोरोना की एक जानलेवा स्थिति है, जिसमें युवाओं में संक्रमण के बावजूद भी उनमें शुरुआती लक्षण नजर सामने नहीं आ रहे हैं। इसमें ऑक्सीजन लेवल 70-80 प्रतिशत तक कम होने पर भी मरीज को इसका आभास नहीं हो पाता है। इसके बाद अचानक से व्यक्ति की तबियत बिगड़ती है और उसकी जान तक चली जाती है। हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज के अंदर लक्षण नजर नहीं आते हैं, वह अचानक से बीमार होता है और 24-48 घंटों के अंदर संक्रमित व्यक्ति की हालत इतनी गंभीर हो जाती है कि उसे वेंटिलेटर की जरूरत होती है। ऐसे में अगर आपमें भले ही कोरोना के कोई लक्षण न हो, फिर भी अपने ऑक्सीजन के स्तर की समय-समय पर जांच करते रहें। 

हैप्पी हाइपोक्सिया के लक्षण (Symptoms of Happy Hypoxia)

हैप्पी हाइपोक्सिया होने पर युवाओं के शरीर में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। इसमें उनका ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होने के बावजूद भी उन्हें इस बात का अहसास नहीं हो पाता है। ये हैं हैप्पी हाइपोक्सिया के लक्षण-

  • - हैप्पी हाइपोक्सिया में शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है।
  • - इस स्थिति में शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा होता है।
  • - हैप्पी हाइपोक्सिया में फेफड़ों में सूजन आ जाती है, जिससे ऑक्सीजन रक्त तक नहीं पहुंच पाता है। अत: फेफड़ों में सूजन आने पर ऑक्सीजन खून में नहीं मिल पाता है।
  • - मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी से कोशिकाएं मरने लगती हैं।
  • - इसमें शरीर के अंग खराब होने लगते हैं।
  • - हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज के व्यवहार में बदलाव आ सकता है। इस दौरान वह थोड़ा चिड़चिड़ा हो सकता है।
  • - इसका आखिरी लक्षण होता है कि शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी हद तक कम हो जाता है और सांस लेने में परेशानी होने लगती है। ऐसी स्थिति में कई बार मरीज की जान भी चली जाती है। 

कितनी मौतों का कारण है हैप्पी हाइपोक्सिया (How Many Deaths Cause by Happy Hypoxia)

विशेषज्ञ बताते हैं कि हैप्पी हाइपोक्सिया की वजह से ज्यादातर युवाओं की जान जा रही हैं। कोरोना की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया युवाओं को जान ले रहा है। कोरोना की इस भयंकर दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया की वजह से करीब 5 प्रतिशत मौतें हो रही हैं। इसमें व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल कम होता रहता है, लेकिन उसे इसका अहसास नहीं हो पाता है। जब अचानक एकदम से डाउन हो जाता है, तो व्यक्ति की जान जाने का खतरा हो जाता है। ऐसे में हैप्पी हाइपोक्सिया भी कई मौतों का कारण बन रहा है

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हैप्पी हाइपोक्सिया में क्या होता है? (What Happens in Happy Hypoxia?)

एक सामान्य व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल 95-100 के बीच होता है। हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज के शरीर में कोरोना वायरस होने से उसा ऑक्सीजन स्तर गिरता रहता है, लेकिन उसे इस बात को अहसास नहीं हो पाता है। वह खुशी-खुशी अपने सारे दिनचर्या के काम करता है। लेकिन जब ऑक्सीजन का स्तर अचानक से 70-80 पर पहुंचता है, तो मरीज को सांस लेने में समस्या होती है। इस स्थिति में उसका ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो जाता है और शरीर में कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इस स्थिति में मरीज के जान जाने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके साथ ही इसमें अचानक हार्ट अटैक या ब्रेन हेमरेज का भी खतरा रहता है।

हैप्पी हाइपोक्सिया से कैसे करें अपना बचाव (How to Prevent Yourself From Happy Hypoxia)

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हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम होता रहता है, लेकिन इसका अहसास मरीज को नहीं हो पाता है। ऐसे में इस स्थिति से बचने के लिए आपको हर 2-3 घंटे में अपना ऑक्सीजन लेवल जरूर चेक करना चाहिए। अगर आप बिल्कुल ठीक हैं, इसके बावजूद भी आप लगातार अपने ऑक्सीजन के स्तर की जांच करें। अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 91 या 92 के नीचे जाता है, तो ऐसे में आपको तुरंत हॉस्पिटल जाने की जरूरत होती है। 

अगर आप भी हैप्पी हाइपोक्सिया की स्थिति से बचना चाहते हैं, तो समय-समय पर अपने ऑक्सीजन लेवल की जांच करते रहें। इससे अगर आपका ऑक्सीजन लेवल कम होगा, तो आपको समय रहते पता चल सकता है। साथ ही समय पर आपका इलाज भी शुरू हो सकता है और आपकी जान बच सकती है। इस स्थिति से बचना बेहद जरूरी है। घर पर रहें अपना ध्यान रखें और समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें।

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