
Water Retention in Feet During Pregnancy: मां बनना हर महिला की जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल होता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान अकसर महिलाओं क मूड स्विगं, बार-बार पेशाब आना, कब्ज और तनाव से परेशान होना पड़ता है। इसी दौरान महिलाओं को पैरों में सूजन या पैरों में वॉटर रिटेंशन की समस्या (Water Retention in Legs During Pregnancy) से भी जूझना पड़ता है। जब पैरों में पानी जमा होता है, तो पैरों में सूजन आने लगती है इसकी वजह से वजन भी लगातार बढ़ता जाता है। जैसे-जैसे प्रेगनेंसी का समय बढ़ता जाता है, यह समस्या भी बढ़ती जाती है। इस स्थिति में महिलाओं के शरीर में अतिरक्त तरल पदार्थ और बढ़ते गर्भाशय के दबाव से टखनों और पैरों में सूजन आने लगती है। गर्भवती महिलाओं के पैरों में वॉटर रिटेंशन या पानी जमा होने के कई कारण हो सकते हैं। अल्टियस अस्पताल, एचबीआर की सलाहकार प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पूजा साहनी से जानें-
1. शरीर में हॉर्मोनल बदलाव- Hormonal Changes During Pregnancy
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। प्रेगनेंसी में हॉर्मोनल बदलाव भी होता है। प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन, एस्ट्रोजन और प्रोलैक्टिन जैसे हॉर्मोन्स का स्तर काफी बढ़ जाता है। इसकी वजह से गर्भवती महिलाओं के पैरों में सूजन या वॉटर रिटेंशन की समस्या देखी जाती है।
2.लगातार बढ़ता वजन - Weight Gain in Pregnancy
गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे बच्चे का विकास होता है, महिला का वजन बढ़ता जाता है। ऐसे में महिलाओं का कुछ किलो वजन बढ़ जाता है। इसके साथ-साथ महिलाओं के शरीर में एक्सट्रा फ्लूइड भी जमा हो जाता है, जो महिलाओं का वजन बढ़ाने के लिए 25 प्रतिशत जिम्मेदार होता है। एक्सट्रा फ्लूइड गर्भावस्था में महिलाओं के पैरों में सूजन का कारण बन सकता है।
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3. गर्भाशय का बढ़ता आकार- Uterus Size Increase During Pregnancy
जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बढ़ता जाता है, गर्भाशय का आकार भी बढ़ता जाता है। इसकी वजह से महिलाओं के शरीर में नसों पर दबाव बनने लगता है। इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इसकी वजह से भी गर्भवती महिलाओं में वॉटर रिटेंशन या पैरों में सूजन देखी जाती है।
4. शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी- Low Hemoglobin During Pregnancy
वैसे तो गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन अधिक मात्रा में होना चाहिए, लेकिन कुछ महिलाओं को इसकी कमी का सामना करना पड़ता है। शरीर में प्रोटीन और हीमोग्लोबिन की कमी की वजह से पैरों में सूजन आने लगती है। गर्भावस्था में कम हीमोग्लोबिन या एनीमिया- गर्भावस्था में रक्त के कमजोर पड़ने के कारण हीमोग्लोबिन कम होता है। शरीर में कम हीमोग्लोबिन और कम प्रोटीन के स्तर के कारण पैरों में सूजन आ जाती है।
प्रेगनेंसी में वॉटर रिटेंशन को कम करने के उपाय
- प्रेगनेंसी के दौरान अकसर महिलाएं एक ही पोजिशन में रहती है। वॉटर रिटेंशन को कम करने के लिए एक्टिव रहना जरूरी है। साथ में पैरों की मूवमेंट भी करते रहना चाहिए, इससे सूजन में कमी आएगी।
- वॉटर रिटेंशन या सूजन को कम करने के लिए नमक का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। अधिक नमक का सेवन वॉटर रिटेंशन को बढ़ाता है।
- चाय या कॉफी भी वॉटर रिटेंशन को बढ़ाता है। इसलिए आपको कैफीन इनटेक कम से कम ही करना चाहिए।
- पैरों की मसाज करवाने से भी वॉटर रिटेंशन की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। मसाज करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। मसाज करने से एक ही जगह पर जमा तरल पदार्थ अन्य हिस्सों पर भी जाता है, इससे सूजन में कमी आती है। इससे आपको रिलैक्स, तनाव मुक्त भी महसूस होगा।
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गर्भावस्था में पैरों में सूजन होना आम है, लेकिन यह कष्टदायक हो सकता है। प्रसव या डिलीवरी के बाद यह समस्या धीरे-धीरे अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन अगर प्रेगनेंसी में वॉटर रिटेंशन या पैरों की सूजन अधिक परेशान करें, तो डॉक्टर की राय जरूर लें।
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