वर्तमान समय में लोग तनाव से परेशान रहते हैं, जिसके कारण कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। दरअसल, तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और सोशल मीडिया के इस दौर में लोगों के रहन-सहन और खानपान में काफी बदलाव आए हैं, जिसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि लोग एक्टिव लाइफस्टाइल फॉलो करें और रोजाना एक्सरसाइज और योग के लिए समय निकालें। जिन लोगों को बदलते मौसम के दौरान ड्राई स्किन, जोड़ों में दर्द के साथ पेट से जुड़ी समस्याएं रहती हैं उन्हें वरुण मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने योग शिक्षक विकास बदूनी से बात की है।
वरुण मुद्रा क्या है?
योग शिक्षक रजनेश ने बताया कि मुद्राएं योग और आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। अगर हम वरुण मुद्रा की बात करें तो यह मुद्रा शरीर में जल तत्व को संतुलित करने में मदद करती है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने में असरदार हो सकती है। वरुण मुद्रा का अभ्यास करने के लिए, आपको अपने हाथ की छोटी उंगली (कनिष्ठा) के टिप को अंगूठे (अंगुष्ठ) के टिप से मिलाना होता है और बाकी तीन उंगलियों को सीधा रखना होता है। इस मुद्रा को नियमित रूप से शांत चित्त के साथ 15-20 मिनट तक करना चाहिए।
वरुण मुद्रा का अभ्यास करने के फायदे
1. रूखी त्वचा को कम करना
वरुण मुद्रा शरीर में जल तत्व को संतुलित करती है, जिससे त्वचा को प्राकृतिक नमी मिलती है और शुष्क त्वचा यानी ड्राई स्किन की समस्या कम होती है। खासकर, गर्मियों और सर्दियों में जिन लोगों को ड्राई स्किन की समस्या रहती है उन्हें नियमित रूप से वरुण मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। इसके साथ ही वरुण मुद्रा शरीर में हाइड्रेशन को बढ़ाने में सहायक होती है, जिससे त्वचा नेचुरली सॉफ्ट और ग्लोइंग नजर आती है।
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2. कब्ज की समस्या कम करे
वरुण मुद्रा का अभ्यास पाचन तंत्र को बेहतर करने में सहायक होता है, यह मुद्रा पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है, जिससे कब्ज की समस्या कम होती है। इसके साथ ही आंतों के स्वास्थ्य के लिए भी वरुण मुद्रा लाभदायक होती है। वरुण मुद्रा शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाती है।
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3. जोड़ों के दर्द में राहत
वरुण मुद्रा के अभ्यास से जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या कम हो सकती है, जिससे व्यक्ति को आराम मिलेगा। इस मुद्रा के अभ्यास से व्यक्ति को ऊर्जावान महसूस होता है।
4. एसिडिटी कंट्रोल
वरुण मुद्रा पेट में अम्लता को संतुलित करती है, जिससे एसिडिटी की समस्या कम हो सकती है। इसके साथ ही वरुण मुद्रा गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करने में मदद करती है, जिससे कई तरह की पेट से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
5. अपच को कम करना
वरुण मुद्रा पाचन शक्ति को बढ़ाती है और अपच की समस्या को कम करती है। यह मुद्रा आंतों की सफाई में मदद करती है, जिससे आतें हेल्दी रहती हैं।
वरुण मुद्रा का अभ्यास कैसे करें?
वरुण मुद्रा का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले एक आरामदायक स्थिति में रीढ़ को सीधा करके बैठें। इसके बाद अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें और छोटी उंगली के टिप को अंगूठे के टिप से मिलाएं, इस दौरान बाकी तीन उंगलियों को सीधा रखें। इस स्थिति में आंखें बंद करें और गहरी सांस लें। इस मुद्रा को दिन में 15-20 मिनट तक करें। इसे किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह और शाम का समय सबसे सही होता है।
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