कोरोनावायरस संक्रमण का कहर दुनियाभर में बदस्तूर जारी है। भले ही संक्रमण की दर पहले की तुलना में कम हुई हो लेकिन इसका खतरा अभी तक पूरी तरह से टला नहीं है। दुनियाभर में इस घातक वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। कोरोना वायरस के खिलाफ बनी मंजूर वैक्सीन को इस घातक संक्रमण के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। जब से दुनियाभर में कोरोनावायरस संक्रमण की शुरुआत हुई है तभी से पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसके इलाज के लिए खोज और शोध कर रहे हैं। पिछले कुछ महीने में कई तरह की थेरेपी और दवाओं की खोज कोविड के इलाज के लिए की गयी। हाल ही में यूके ने कोरोना के इलाज के लिए दुनिया की पहली पिल (Pill) को मंजूरी दी है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य नियामक संस्था ने कोरोना वायरस के इलाज में दुनिया की पहली एंटीवायरल गोली (Merck Coronavirus Pill) के इस्तेमाल की मंजूरी दी है। आइये विस्तार से जानते हैं इस दवा के बारे में।
मोल्नुपिराविर के इस्तेमाल की मिली मंजूरी
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यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी ने कोरोना के इलाज के लिए दुनिया की पहली एंटी कोविड टेबलेट के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। इस गोली का इस्तेमाल कोरोनावायरस से संक्रमित गंभीर और कम जोखिम वाले मरीजों के इलाज के लिए किया जा सकता है। मर्क एंड रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स ने कोरोना की पहली एंटीवायरल टैबलेट मोलनुपिरवीर को बनाया है। यह दवा कैप्सूल के रूप में मार्केट में मिलेगी। इस दवा को बनाने वाली कंपनी का दावा है कि अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी इस दवा के प्रभाव के बारे में जानकारी लेने के लिए चर्चा करने का प्लान बनाया है। यह एंटीवायरल गोली 'लैगेवरियो' (मोल्नुपिराविर) नाम से मार्केट में उपलब्ध होगी।
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इस एंटीवायरल कैप्सूल से संक्रमित व्यक्ति की मौत का जोखिम होगा कम
मर्क एंड रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स नामक कंपनी जिसने इस दवा को विकसित किया है उसका दावा है कि इस एंटीवायरल पिल के इस्तेमाल से कोरोना से संक्रमित मरीजों की मौत का जोखिम 50 प्रतिशत तक कम होगा। इस दवा के आखिरी ट्रायल में मोलनुपिरवीर प्राप्त करने वाले 7.3% रोगियों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी थी। ट्रायल के आखिरी नतीजों के मुताबिक कंपनी का कहना है कि इस दवा से कोरोना के मरीज की मौत का जोखिम आधा हो जायेगा। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के पूर्व कमिश्नर डॉ स्कॉट गॉटलिब ने भी इस दवा के बारे में एक न्यूज चैनल से कहा था कि ओरल मेडिसिन कोरोना संक्रमण को कम करने में बहुत उपयोगी शाबित हो सकती है।
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अभी तक सिर्फ रेमेडिसविर का हो रहा था इस्तेमाल
कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए दुनियाभर में अभी तक सिर्फ एकमात्र ओरल मेडिसिन का इस्तेमाल किया जा रहा था। कोरोना के इलाज के लिए रेमेडिसविर को ही सिर्फ यूएस FDA ने अनुमति दी थी। रेमेडिसविर को गिलियड साइंसेज ने बनाया गया है और वेक्लुरी नाम से इसे मार्केट में बेचा जाता है। रेमेडिसविर को कोरोना के खिलाफ बहुत अधिक प्रभावी नहीं पाया गया है। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान रेमेडिसविर का खूब इस्तेमाल किया गया था। इस दवा को लेकर किये गए अध्ययन में मिश्रित परिणाम देखे गए थे।
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कैसे काम करती है यह एंटीवायरल दवा?
ब्रिटेन की मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी के मुताबिक मोल्नुपिरवीर को डीएनए तकनीक का इस्तेमाल कर बनाया गया है। यह दवा कोरोना के नए म्यूटेशन को खत्म करने में भी प्रभावशाली मानी गयी है। इस दवा को लेकर किये गए अध्ययनों के मुताबिक इस दवा का असर पुरुष और महिला दोनों पर समान रूप से हुआ है और इसके दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिले हैं। इस दवा के ट्रायल के दौरान पुरुषों और महिलाओं दोनों को निर्देश दिया गया था कि वे या तो गर्भनिरोधक का उपयोग करें या सेक्स से दूर रहें। इस एंटीवायरल पिल को अमेरिकी सरकार ने शुरू में ही फ्लू थेरेपी के रूप में स्टडी के लिए लिया था।
फिलहाल वैक्सीन ही है आखिरी बचाव
एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोनावायरस संक्रमण के खिलाफ आखिरी हथियार वैक्सीन ही है। सरकार द्वारा स्वीकृत वैक्सीन का डोज लेने से आपकी इस घातक वायरस से सुरक्षा होगी। देश में रिकॉर्ड स्तर पर लोगों को वैक्सीन के डोज दिए जा रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए अबतक 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जाती थी। लेकिन अब जल्द ही कोरोना से निपटने के लिए छोटे बच्चों (2 से 18 वर्ष) को भी वैक्सीन लगाई जाएगी। जी हां, केंद्र सरकार ने 2 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए स्वदेसी (Bharat Biotech) कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drugs Controller General of India) के मुताबिक, कोवैक्सिन की 2 डोज बच्चों को दी जाएंगी। हालांकि, फिलहाल बच्चों को वैक्सीन देने की पूरी गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। जल्द ही इसकी पूरी डिटेल जारी कर दी जाएगी।
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