Doctor Verified

सेकेंडरी इंफर्टिलिटी से जूझ रही थी प्रिया मोहंती, IVF से मिली दूसरी गुड न्यूज, जानें इनकी कहानी

Khushkhabri With IVF In Hindi: प्रिया सेकेंडरी इंफर्टिलिटी से जूझ रही थी। यह एक ऐसी समस्या थी, जिसे प्रिया को नेचुरली कंसीव करने से रोक दिया था। इस स्थिति में प्रिया ने क्या किया और अजय ने उसका किस तरह साथ दिया? जानें, प्रिया और अजयकी आईवीएफ जर्नी के बारे में-
  • SHARE
  • FOLLOW
सेकेंडरी इंफर्टिलिटी से जूझ रही थी प्रिया मोहंती, IVF से मिली दूसरी गुड न्यूज, जानें इनकी कहानी


Khushkhabri With IVF In Hindi: आमतौर पर वही कपल आईवीएफ तकनीक का उपयोग करते हैं, जो कपल्स पैरेंट नहीं बन पाते हैं। कई बार ऐसी परिस्थितियां भी आ जाती है, जब पहली बार तो नेचुरली कंसीव कर लेती है, लेकिन दूसरी संतान के समय उन्हें शारीरिक समस्या हो जाती है। इसके पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं, बढ़ती उम्र, पीसीओएस, मेनोपॉज, पेरिमेनोपॉज, एंडोमेट्रियोसिस आदि। ये महिलाओं से जुड़ी ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जो उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकती हैं। इनके कारण महिला के लिए कंसीव करना चैलेंजिंग हो सकता है। ऐसी ही एक महिला है, प्रिया मोहंती।

ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF नाम से एक स्पेशल सीरीज चलाई है, जिसमें आपको आईवीएफ से जुड़े सवालों के जवाब मिल जाएंगे। इस सीरीज हम आपको प्रिया और अजय मोहंती की रियल IVF जर्नी के बारे बता रहे हैं। यह कहानी हमारे साथ वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता ने साझा की है। अगर आप भी IVF के जरिये प्रेग्नेंसी प्लान करने की सोच रहे हैं, तो इस लेख से आपको मदद मिल सकती है।

प्रिया मोहंती (बदला हुआ नाम) की शादी अजय मोहंती (बदला हुआ नाम) से करीब 10 साल पहले हुई थी। उन्होंने नेचुरली एक बेटे को जन्म दिया था। प्रिया की जिंदगी बहुत ही सहज और सामान्य चल रही थी। दिन गुजरते गए। देखते ही देखते ही बेटा 7 साल का गया। तभी प्रिया और अजय को लगा कि उन्हें दूसरी संतान करनी चाहिए। प्रिया का मानना था कि दूसरी संतान उनके परिवार को पूरा कर देगी और उनके बेटे को एक भाई या बहन भी मिल जाएगी। हालांकि, अजय प्रिया की बात से सहमत नहीं था। लेकिन, फिर भी अपनी पत्नी की बात उसने नहीं टाली। अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए उसने संतान की प्राप्ति की कोशिश की। लेकिन, अब उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आने वाला था। क्योंकि जल्द ही प्रिया को अहसास हो गया कि वह अब मां नहीं बन सकती है।

इसे भी पढ़ें: Khushkhabri with IVF: भारत में आईवीएफ करवाने की लीगल एज क्या है? जानें एक्सपर्ट से IVF से जुड़ी कानूनी बातें

समस्या का कब पता चला?

journey to parenthood with ivf suffered from secondary infertility1 (1)

आगरा के रहने वाले प्रिया और अजय ने जब सेकेंड बेबी प्लान किया, तब उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि भविष्य में उनके साथ क्या होने वाला है? जब प्रिया और अजय रेडी हुए और इसके लिए कोशिश करने लगे, तो कुछ ही समय बाद उन्हें पता चल गया कि वे नेचुरली कंसीव नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाना जरूरी समझा। जब डॉक्टर से परामर्श किया, तो उन्होंने अजय और प्रिया दोनों को जांच कराने की सलाह दी।

क्या थी समस्या

journey to parenthood with ivf suffered from secondary infertility01 (3)

डॉक्टर द्वारा जांच के बाद जो रिपोर्ट आई, वह देखकर प्रिया के पैरों तले से जमीन खिसक गई थी। दरअसल, अजय की रिपोर्ट नॉर्मल थी। पता चला कि उसकी स्पर्म क्वालिटी, स्पर्म मोटिलिटी और स्पर्म की क्वांटिटी भी सही है। सबकी जांच सामान्य रही है। अब प्रिया की बारी थी। प्रिया की रिपोर्ट में पता चला कि उसे किसी तरह की शारीरिक समस्या नहीं है यानी उसे पीसीओएस, पीसीओडी या एंडोमेट्यिसिस जैसी परेशानी नहीं है। लेकिन, समस्या उसी में है। जांच से उसे पता चला कि वह सेकेंडरी इंफर्टिलिटी का शिकार है। उसे बताया गया कि सेकेंडरी इंफर्टिलिटी का मतलब है कि महिला दूसरी पर नेचरुली कंसीव नहीं कर सकेगी। उसे यह भी समझाया गया कि इस तरह की समस्या पुरुष और महिला दोनों को हो सकती है। इसके कई कारण होते हैं, जैसे बढ़ती उम्र, स्पर्म की क्वालिटी कम होना, फेलोपियन ट्यूब का डैमेज होना, गर्भाशय से जुड़ी परेशानी और खराब जीवनशैली। इस बात से अजय और प्रिया को अंदर तक झकझोर दिया था। प्रिया मानसिक रूप से परेशान हो गई थी। वह यह स्वीकार ही नहीं कर पा रही थी कि अब वह कभी भी नेचुरली कंसीव नहीं कर सकती है।

इसे भी पढ़ें: Khushkhabri With IVF: PCOS और लो-स्पर्म के कारण ज्योति और अनुराग को नहीं हो रहा था बेबी, IVF से मिली गुड न्यूज

मिले एक्सपर्ट से

प्रिया और अजय मेंटली काफी परेशान हो गए थे। खासकर, प्रिया को डिप्रेशन हो गया था कि वह अपने परिवार को अब बढ़ा नहीं सकती है। वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर वह अब क्या करे? अपने मन की परेशानी साझा करने के लिए प्रिया और अजय अपने दोस्तों के पास गए। उनके दोस्तों ने उन्हें सलाह दी कि इस मेडिकल युग में मां बनना इतना भी मुश्किल नहीं है। वे चाहे, तो आईवीएफ करवा सकते हैं। लेकिन, प्रिया और अजय को आईसवीएफ के बारे में कुछ भी नहीं पता था। उन्हें यह नहीं पता था कि आखिर आईवीएफ क्या होता है और इसके माध्यम से कोई दंपति पैरेंट्स कैसे बन जाता है? यहां तक कि उन्हें यह जानकारी भी नहीं थी कि आखिर आईवीएफ एक्सपर्ट कहां मिलेंगे? इस संबंध में उनके दोस्तों ने उनकी मदद की। थोड़ी बहुत रिसर्च के बाद उन्हें डॉ. शोभा गुप्ता के बारे में पता चला।

मिली आशा की नई किरण

journey to parenthood with ivf suffered from secondary infertility02 (2)

डॉ. शोभा गुप्ता के बारे में जानकारी मिलते ही ये दंपति डॉक्टर के पास दिल्ली पहुंचा और अपनी सभी समस्याएं बताईं। शोभा गुप्ता ने प्रिया की समस्या को जानने और समझने के लिए एक बार सभी जरूरी जांच करवाएं। इससे यह कंफर्म हुआ कि प्रिया सेकेंडरी इंफर्टिलिटी यानी द्वितीयक बांझपन से जूझ रही है। इस समस्या में महिला नेचुरल तरीके से कंसीव करने में असमर्थ हो जाती है। डॉ. शोभा ने प्रिया को समझाया कि इस तरह हार नहीं मानते हैं। मौजूदा समय में आईवीएफ के जरिए मां बनना बिल्कुल मुश्किल नहीं है। बस कुछ जरूरी सावधानी और सही ट्रीटमेंट की मदद से वह कंसीव कर सकत हैं। इस बात प्रिया और अजय को न सिर्फ सांत्वना दी, बल्कि आशा की एक नई किरण दिखाई।

इसे भी पढ़ें: Khushkhabri with IVF: क्या आईवीएफ के कारण जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है? जानें एक्सपर्ट से

शुरू हुआ ट्रीटमेंट

डॉ. शोभा ने जांच के बाद ट्रीटमेंट शुरू किया। जरूरी हार्मोनल इंजेक्शन लगाए गए, प्रिया की लाइफस्टाइल पर बारीक नजर रखी गई, ऐसी चीजों से दूर रहने के लिए कहा जो उसकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं। तमाम बुरी आदतों को छोड़ने की सलाह दी गई। यहां तक कि प्रॉपर डाइट फॉलो करने को भी कहा गया। हालांकि, आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरते हुए कई बार प्रिया मेंटली परेशान हो उठती थी। कभी-कभी मूड स्विंग को वह संभाल नहीं पाती थी। लेकिन, इन सब प्रक्रिया के बाद प्रिया उम्मीद बांधे हुए थी कि वह जरूरी तीन से चार हो जाएंगे।

मिली खुशखबरी

आईवीएफ के प्रॉपर ट्रीटमेंट और कई हफ्तों की मेहनत के बाद प्रिया को एक दिन यह खबर मिल गई कि उसने कंसीव कर लिया है। इस खबर ने उसे खुशी से भर दिया। अब तो वह सिर्फ इंतजार कर रही थी कि उसकी अगली संतान कब उसकी गोद में हो और उसका परिवार खुशियों से झूम उठे। 9 महीने का यह सफर प्रिया ने बहुत ही सावधानीपूवर्क बिताया। डॉक्टर की हर सलाह को सर्वोपरि रखा। देखते ही देखे डिलीवरी का समय नजदीक आ गया और उन्हें एक गुड न्यूज मिल गई। प्रिया के हाथ एक प्यारी-सी, नन्ही गुड़िया थी। उसने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था। प्रिया और अजय ने बेटी को गोद में लेते ही डॉ. शोभा को तहेदिल से धन्यवाद किया।

All Image Credit: Freepik

Read Next

Khushkhabri with IVF: एंब्रियो ट्रांसफर के बाद महिलाओं को किस तरह का डाइट प्लान अपनाना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें

Disclaimer