Khushkhabri with IVF: हर कपल चाहता है कि उसके घर में बच्चों की किलकारियां गूंजें। वह भी पेरेंट्स बनें। ज्यादातर कपल्स का यह सपना पूरा हो जाता है। लेकिन, कई कपल्स ऐसे भी हैं, जिनका यह सपना पूरा नहीं हो पाता है। इसके पीछे कई तरह के कारण जिम्मेदार होते हैं, जैसे महिला की ओवरी में दिक्कत होना, एग फर्टिलाइज न हो पाना, ट्यूबल ब्लॉकेज होना आदि। कई कपल्स अपनी समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं। प्रॉपर ट्रीटमेंट की मदद से उनकी समस्या का समाधान हो जाता है। वहीं, कई कपल ऐसे भी हैं, जिन्हें ट्रीटमेंट के बाद भी सफलता मिल नहीं पाती है। ऐसे कपल्स आईवीएफ की मदद लेते हैं। प्रिया और करण ऐसे ही कपल हैं। जो नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पा रहे थे। आज हम प्रिया और करण सहगल की कहानी से जानेंगे कि उन्हें क्या परेशानी थी और आईवीएफ ने उनकी मदद कैसे की।
आईवीएफ को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह कई सवाल हैं। इन्हीं सवालों को ध्यान में रखते हुए ऑनलीमायहेल्थ Khushkhabri with IVF नाम से एक स्पेशल सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में आपको IVF से जुड़े कई विषयों पर लेख मिल जाएंगे। आज इस लेख में हम आपको प्रिय और करण की IVF जर्नी के बारे में बताएंगे। यह स्टोरी हमारे साथ वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता ने शेयर की है।
प्रिया और करण को क्या थी परेशानी
प्रिया और करण की शादी की शादी को काफी साल हो चुके थे। पहले पहल सामान्य कपल की तरह उन्होंने एक-दूसरे को टाइम देना जरूरी समझा और अपने करियर पर फोकस किया। लेकिन, जैसे-जैसे साल बीते तो प्रिया और करण ने अपनी फैमिली बढ़ाने के बारे में सोचा। उन्होंने इसके लिए काफी कोशिशें भी कीं। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीता, तमाम कोशिशों के बावजूद प्रिया और करण इसमें असफल ही रहे। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रह है? इस संबंध में वे डॉक्टर के पास गए, तो पता चला कि प्रिया और करण दोनों में ही परेशानी है। प्रिया को पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है। इस वजह से अक्सर प्रिया को हार्मोनल प्रॉब्लम बनी रहती है, जो उसे कंसीव करने से रोक रही है। वहीं, करण की स्पर्म क्वालिटी भी कमजोर है। यही कारण है कि प्रिया और कारण लंबे समय तक नेचुरली कोशिश के बावजूद कंसीव नहीं कर पाए।
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कैसे पता चला डॉक्टर के बारे में
कुछ सालों तक बार-बार कोशिश करने के बाद प्रिया और करण पूरी तरह से हार मान चुके थे। उन्होंने डॉक्टर से अपना ट्रीटमेंट भी करवाया। इसके बावजूद, उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। एक रोज अपनी समस्या के बारे में प्रिया और करण ने अपनी फैमिली फ्रेंड से जिक्र किया। प्रिया और करण अपनी कोशिशों में इतना हार चुके थे कि इसकी वजह से वे दोनों ही मेंटली हार चुके थे। उनकी कंडीशन के बारे में जब उनके फैमिली फ्रेंड को पता चला, तो उन्हांने प्रिया और करण को मदर्स लैप जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि वहां डॉक्टर शोभा गुप्ता मिलेंगी, जो आईवीएफ की मदद से कपल्स के पेरेंट्स बनने के सपने को पूरा कर सकती हैं। प्रिया और करण एक आखिरी चांस लेने के बारे में सोचा। इसलिए, उन्होंने जल्द से जल्द शोभा गुप्ता के क्लिनिक में कॉल किया और अप्वाइंटमेंट फिक्स किया।
पहली कंसल्टेशन में ही हुई कई बातें क्लियर
प्रिया और करण डॉ. गुप्ता से तय तारीख में मिलने गए। वह पहले से ही बहुत परेशान थे और उन्हें लग रहा था कि उन्हें यहां भी असफलता ही मिलेगी। इसके बावजूद, बहुत भारी मन से वह दोनों डॉ. शोभा से मिले। उन्हें अपनी सारी परेशानी बताई। डॉ. गप्ता ने बहुत धैर्यपूर्वक उनकी बातें सुनीं। पुराने मेडिकल रिपोर्ट्स देखे, जिससे यह पता चला कि प्रिया और करण कंसीव क्यों नहीं कर पाए हैं। इस दौरान डॉ. गुप्ता ने उन्हें आईवीफए के बारे में कुछ डिटेल्स में बताया। साथ ही यह भी समझाया कि भले ही इस प्रक्रिया की मदद से लोखों-करोड़ों लोग पेरेंट्स बने हैं। लेकिन, इसके फेल होने की संभावना भी बनी रहती है। हालांकि, इसे ट्राई करने में कोई हर्ज नहीं है। डॉ. शोभा ने उन्हें मेंटली हर स्थिति के लिए तैयार किया, उनकी काउंसलिंग की और प्रक्रिया के दौरान होने वाली परेशानियों के बारे में भी बताया। अंततः डॉक्टर की बात सुनकर प्रिया और करण इसके लिए तैयार हुए और उन्होंने डिसाइड किया वह एक चांस और लेंगे।
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कैसी रही आईवीएफ जर्नी
आईवीएफ प्रक्रिया की शुरुआत होते ही डॉ. गुप्ता ने उन दोनों को कुछ जरूरी टेस्ट करने को कहे। इससे यह स्पष्ट हुआ कि हार्मोनल इंबैलेंस का स्तर कितना ज्यादा खराब है? शुरुआती समय में प्रिया को कुछ हार्मोनल इंजेक्शन लगाए गए और नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड किया गया। यही नहीं, कुछ ब्लड टेस्ट भी हुए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उसका बॉडी एग्स निकालने के लिए तैयार है या नहीं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान करण ने प्रिया का पूरा साथ दिया। करण जानता था कि इस पूरी प्रक्रिया के तहत प्रिया उसके इमोशनल और मेंटल सपोर्ट की जरूरत होगी। कभी-कभी प्रिया का मूड बहुत खराब हो सकता है, कभी वह फिजिकल पेन में हो सकती है। करण ने हर स्थिति के लिए खुद को तैयार कर रखा था। वह हर समय प्रिया के साथ अस्पताल गया और उसका हाथ थामे रखा ताकि प्रिया को कभी यह न लगे कि वह इस प्रक्रिया में सभी तकलीफ अकेले झेल रही है।
एग फर्टिलाइजेशन प्रोसीजर सफल रहा
प्रिया के सभी प्रोसेस सही तरह से गुजर गया। यहां तक कि वह दिन भी आ गया जब एग फर्टिलाइजेशन प्रोसीजर सफल रहा। इसके बाद एक हेल्दी एंब्रेयो को प्रिया के गर्भ में ट्रांसफर किया गया। इसके बाद प्रिया ने कंसीव किया। यह प्रोसेस बहुत लंबा और कष्टकारी रहा। लेकिन, जिस क्षण प्रिया ने कंसीव किया, वह प्रिया के लिए सबसे खुशी का पल था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह भी सामान्य महिलाओं की तरह जल्द मां बनने वाली है। उसके गर्भ में एक नन्हीं सी जान पल रही है, जो 9 महीनों बाद उसकी गोद में होगा।
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आखिरकार मिल गई खुशखबरी
कंसीव करने के इस सफर के दौरान प्रिया को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन, वह खुश थी कि करण ने उसका साथ नहीं छोड़ा और डॉ. शोभा ने सभी जरूरी सावधानियां बरतीं। हर स्तर पर उसका खास ख्याल रखा और डॉक्टर ने प्रिया की डाइट और लाइफस्टाइल का पूरा ध्यान रखा। आखिरकार 9 महीनों की मेहनत के बाद प्रिया और करण के घर में एक प्यारे से बेटे ने जन्म लिया। प्रिया और करण शादी के पूरे 5 साल बाद एक बच्चे के पेरेंट्स बने। इस खबर ने उनकी खुशियां दुगनी कर दीं।
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