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Khushkhabri with IVF: PCOS से पीड़ित साक्षी मेहता IVF की मदद से बनीं मां, ओवुलेशन में हो रही थी दिक्कत

Khushkhabri With IVF: महिलाओं को पीसीओएस में गर्भधारण करने में समस्याओं का सामाना करना पड़ता है। आगे जानते हैं कि कैसे साक्षी महेता ने आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा एक नन्हीं सी बच्ची को जन्म दिया।
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Khushkhabri with IVF: PCOS से पीड़ित साक्षी मेहता IVF की मदद से बनीं मां, ओवुलेशन में हो रही थी दिक्कत


Khushkhabri With IVF: बदलती लाइफस्टाइल, अनियमित खानपान और स्ट्रेस आदि कारणों के चलते महिलाओं को कई तरह की हार्मोनल समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी कई बड़ी और गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसमें पीसीओएस, पीसीओडी, सिस्ट, फाइब्रोसिस और एंडोमेट्रियोसिस आदि समस्याओं को शामिल किया जा सकता है। मौजूदा समय में काम काम करने वाली अधिकतर महिलाओं को पीसीओएस की समस्या का सामना करना पड़ता है। समय के साथ युवा महिलाओं में यह एक आम समस्या बनती जा रही है। ठीक इसी तरह की परेशानी साक्षी मेहता को भी थी। साक्षी की शादी के बाद पीसीओएस के कारण उन्हें कंसीव करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। धीरे-धीरे चार साल का समय बीत गया। सभी तरह के प्रयास और ट्रीटमेंट के बाद भी उनको गर्भधारण करने में सफलता प्राप्त नहीं हुई। इस वजह से कपल्स को सोशल प्रेशर का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से लोगों से मिलने-जुलने से करताने लगें। इन सभी समस्याओं के बीच उनके फैमिली डॉक्टर से कपल को आईवीएफ ट्र्रीटमेंट लेने की सलाह दी। हालांकि, अन्य कपल्स की तरह ही वह भी आईवीएफ ट्रीटमेंट को लेने से घबरा रहे थे। लेकिन, जब घर वालों और खुद साक्षी मेहता पति ने इस ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर से मिलने की इच्छा जाहिर की, तो उन्होंने डॉक्टर से अपॉइमेंट फिक्स कर ट्रीटमेंट को शुरू कराया और सफलता पूर्वक गर्भाधारण किया।

देश के लाखों कपल्स गर्धारण से जुड़ी समस्याओं का सामना करने के बाद भी आईवीएफ ट्रीटमेंट को लेने से घबराते हैं। लोगों की इसी समस्या को देखते हुए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF सीरीज को शुरू किया है। इस सीरीज में आईवीएफ से जुड़ी हर छोटी बड़ी परेशानियों को बेहद ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया जाता है। आज की इस सीरीज में हम आपको 32 साल की साक्षी मेहता की कहानी बात रहे हैं, कम उम्र में ही पीसीओएस के कारण उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी आ रही थीं। इस समस्या में उनको किस तरह मेंटल और फिजीकल बदलावों से गुजरना पड़ा और मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता ने कैसे आईवीएफ के द्वारा साक्षी की प्रेग्नेंसी में मदद की, इस बारे में आगे जानते हैं।

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किस वजह से हुई पीसीओएस की समस्या

साक्षी मेहता बताती हैं कि उनकी लाइफस्टाइल अन्य लड़कियों की तरह ही काफी अनबैलेंस थी। बाहर का जंक फूड खाना उनको बेहद पसंद था। वहीं, ऑफिस के बढ़ते काम के प्रेशर के चलते उनको कई दिनों तक रात में देर तक जागना पड़ता था। इन सभी आदतों का असर उनके हार्मोनल बैलेंस पर पड़ा, जिसकी वजह से उनको पीरियड्स की अनियमितता का सामना करना पड़ा। जब वह डॉक्टर से मिली तो डॉक्टर से बताता कि उनको पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की समस्या है। साथ ही उनको कहा कि यदि आप लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों पर ध्यान नहीं देती हैं, तो यह समस्या फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है। इसके बाद जब साक्षी की शादी 28 साल में हो गई। शादी के बाद उनको कंसीव करने में परेशानी होने लगी। शुरुआती दौर में उन्होंने नेचुरल कंसीव करने की कोशिश की। लेकिन, उनको सफलता नहीं मिली।

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पीसीओएस का फर्टिलिटी पर असर

साक्षी ने दो साल नेचुरल रूप से कंसीव करने का हर संभव प्रयास किया। लेकिन, जब वह कंसीव नहीं कर पाई तो उन्होंने अपनी फैमिली गाइनाक्लॉजिस्ट से संपर्क किया। गाइनक्लॉजिस्ट ने साक्षी के कुछ टेस्ट किए तो पता चला कि पीसीओएस की वजह उनको ओव्यूलेशन से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में एग्स की क्वालिटी खराब होने की वजह से साक्षी चाहकर भी कंसीव नहीं कर पा रहीं थीं। इसके बाद डॉक्टर ने उनको आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी।

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साक्षी ने कब किया आईवीएफ प्लान

चार साल कंसीव न कर पाने के बाद साक्षी और उनके पति ने आईवीएफ ट्रीटमेंट को लेने पर विचार किया और वह मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से मिलें। डॉ. शोभा ने साक्षी को आईवीएफ प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया और उन्हें विश्वास दिलाया कि यह उपचार उनके लिए सही है। इसके बाद डॉक्टर ने उनकी परेशानी को समझने के लिए ब्लड टेस्ट, AMH (एंटी-मुल्लेरियन हार्मोन), FSH (फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन) , LH (ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन), प्रोलैक्टिन (Prolactin), HSG (हिस्टेरोसैल्पिंगोग्राफी), सोनोहिस्टेरोग्राफी (Sonohysterography), हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) आदि टेस्ट किये। इस टेस्ट में साक्षी के फेलोपियन ट्यूब्स ब्लॉकेज, फाइब्रॉइड, सिस्ट, ओवरी रिचर्व्स, ओवरी द्वारा एग्स बनने की क्षमता और क्वालिटी को जांचा गया। इन टेस्ट से पता चला कि साक्षी को ओव्यूलेशन से जुड़ी समस्या है। इसके बाद साक्षी को लाइफस्टाइल और डाइट से जुड़े कुछ बदलाव की सलाह दी गई।

इसके अलावा, उनके एग्स की क्वालिटी को इम्प्रूव करने के लिए आवश्यक हार्मोनल इंजेक्शन दिए गए। इसके बाद, आगे के ट्रीटमेंट को जारी रखा गया। कुछ ही महीनों के बाद साक्षी ने कंसीव किया। कंसीव करने के बाद साक्षी काफी हद तक सोशल प्रेशर के दबाव से राहत महसूस करने लगी।

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इलाज के बाद साक्षी महेता के घर बेटी ने लिया जन्म

आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान साक्षी ने अपनी लाइफस्टाइ को मेंटेन रखा। साथ ही, नियमित जांच और मेडिकल प्रोसीजर से कुछ ही महीनों में साक्षी के घर के एक बेटी ने जन्म लिया। यह पल उनके लिए एक चमत्कार से कम नहीं था। आज साक्षी एक प्यारी सी बेटी की मां बन चुकी हैं और वे डॉक्टर शोभा गुप्ता का धन्यवाद करती हैं, जिन्होंने उन्हें प्रेग्नेंसी को लेकर विश्वास दिलाया।

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IVF प्रक्रिया से पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रोसिस व अन्य समस्याओं में गर्भधारण किया जा सकता है। Khushkhabri With IVF की आज की सीरीज की ये रियल स्टोरी आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर करें। साथ ही, गर्भधारण से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या व आईवीएफ के बारे में जानने के लिए हमारी सीरीज को पढ़ते रहें।

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