Khushkhabri with IVF: शादी के वर्षों बाद भी कंसीव न करने पाने वाली महिलाओं को डॉक्टर आईवीएफ प्रक्रिया अपनाने की सलाह देते हैं। आईवीएफ आज लाखों कपल्स के लिए एक उम्मीद की किरण बन चुका है। हर साल देश में आईवीएफ प्रक्रिया को अपनाकर लाखों कपल्स माता-पिता बन रहे हैं। समय के साथ लाइफस्टाइल और खानपान में हुए बदलावों की वजह से लोगों को प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि गर्भधारण न कर पाने के लिए केवल महिलाएं ही नहीं पुरुष भी सामन रूप से जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में डॉक्टर मामूली समस्याओं को दवाओं आदि थेरेपी के द्वारा दूर करने का प्रयास करते हैं। लेकिन जब सभी प्रयास सफल नहीं हो पाते हैं तो ऐसे में डॉक्टर प्रेग्नेंसी के आईवीएफ को चुनने की सलाह दे सकते हैं। आईवीएफ एक जटिल प्रकिया है। जिसमें कई चरण शामिल होते हैं। इसके हर चरण की सफलता अगल चरण की सेक्सेस को सुनिश्चित करती है। कंसीव करने करने के लिए डॉक्टर आपको आईयूआई (Intrauterine Insemination) और आईवीएफ (In Vitro Fertilization) दो प्रमुख प्रक्रियाओं को अपनाने की सलाह दे सकते हैं। इन प्रक्रियाओं में एक महत्वपूर्ण कदम होता है ट्रिगर शॉट (Trigger Shot)। ट्रिगर शॉट (इंजेक्शन) का मुख्य उद्देश्य महिला के अंडाशय (Ovaries-ओवरी) से अंडाणु (Eggs) के समय पर रिलीज को सुनिश्चित करना है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
आईवीएफ या आईयूआई दोनों ही प्रक्रिया के माध्यम से महिलाओं को गर्भधारण में मदद मिलती है। लेकिन, कुछ कपल्स आज भी इन प्रक्रियाओं को अपनाने से झिझकते हैं। इसका एक बड़ा कारण आईवीएफ से जुड़ी सटिक जानकारी का आभाव माना जा सकता है। लोगों की इसी परेशानी को देखते हुए ओनलीमाय हेल्थ की टीम द्वारा Khushkhabri with IVF सीरीज को शुरू किया गया है। इस सीरीज में आईवीएफ से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा आईवीएफ के हर पहलुओं को आसान भाषा में समझाने के प्रयास किया जाता है। आज की इस कड़ी में यशोदा फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर (Yashoda Fertility And IVF Center ) कड़कड़डूमा की इन्फ़र्टिलिटी और आईवीएफ कंसलटेंट डॉ. स्नेहा मिश्रा से जानते हैं कि आईवीएफ और आईयूआई में ट्रिगर शार्ट क्यों दिये जाते हैं और इसकी क्या आवश्यकता होती है?
ट्रिगर शॉट क्या है?
ट्रिगर शॉट एक इंजेक्शन है, जिसमें एचसीजी (HCG - Human Chorionic Gonadotropin) या ल्यूप्रोन (Leuprolide Acetate) जैसे हार्मोन होते हैं। यह इंजेक्शन महिला के शरीर में एग्स को मैच्योर (Mature) होने और समय पर ओवरी से रिलीज होने की प्रक्रिया को शुरू करता है। इसे ओवुलेशन इंडक्शन (Ovulation Induction) का हिस्सा माना जाता है।
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आईयूआई और आईवीएफ प्रक्रिया में ट्रिगर शॉट का महत्व - Importance Of Trigger Shot During IUI And IVF Process in Hindi
एग्स को मैच्योर होना
आईयूआई और आईवीएफ में सफलता के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि एग्स पूरी तरह से मैच्योर हो। ट्रिगर शॉट में मौजूद एचसीजी हार्मोन एग्स को अंतिम रूप से मैच्योर करने में मदद करता है, और ओवुलेशन को उत्तेजित करता है।
सही समय पर ओवुलेशन
आईयूआई और आईवीएफ दोनो ही प्रक्रियाओं में ओवुलेशन का सही समय होना इन प्रक्रियाओं की सफलता में अहम भूमिका निभाता है। डॉक्टर्स के मुताबिक आईयूआई में एग्स और शुक्राणु (Sperm) का सही समय पर मिलन आवश्यक होता है। जबकि, आईवीएफ में एग्स को सही समय पर निकालाना आवश्यक होता है, इसके बाद ही उन्हें लैब में निषेचित (Fertilized) किया जाता है।
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प्रेग्नेंसी रेट में सुधार करता है
ट्रिगर शॉट का सही उपयोग ओवुलेशन के समय को नियंत्रित करता है, जिससे एग्स और शुक्राणु के मिलने की संभावना बढ़ जाती है। इससे आईयूआई और आईवीएफ प्रक्रियाओं की सफलता दर में सुधार होता है।
एक साथ कई एग्स बनना (Multiple Eggs Production)
आईवीएफ प्रक्रिया में मैच्योर एग्स की संख्या जितनी अधिक होगी, गर्भधारण की संभावना उतनी ही बढ़ेगी। ट्रिगर शॉट के जरिए ओवरी में कई एग्स का निर्माण होता है।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH Surge) की मदद
ओवुलेशन की नेचुरल प्रक्रिया में शरीर ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन को रिलीज करता है, लेकिन कई बार यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है। ट्रिगर शॉट इस प्रक्रिया को आर्टिफिशियल रूप से ट्रिगर करता है।
ट्रिगर शॉट के कितने प्रकार होते हैं? - Types Of Triggers Shot In IVF And IUI Process in Hindi
- एचसीजी इंजेक्शन (HCG Injection): यह सबसे सामान्य प्रकार का ट्रिगर शॉट है। इसमें ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रॉपिन होता है, जो ओवुलेशन को स्टिम्यूलेट करता है।
- ल्यूप्रोन इंजेक्शन (Leuprolide Acetate): यह ओवुलेशन को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS) के जोखिम में होती हैं।
- ड्यूल ट्रिगर शॉट (Dual Trigger Shot): इसमें एचसीजी और ल्यूप्रोन दोनों का मिश्रण होता है। यह प्रक्रिया के दौरान एग्स की क्वालिटी और मैच्योरिटी को बढ़ाने में मदद करता है।
ट्रिगर शॉट कैसे काम करता है? - How Trigger Shot Work During IVF And IUI Process
एग्स बनने की प्रक्रिया की निगरानी
IUI या IVF प्रक्रिया शुरू होने के बाद डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट के जरिए एग्स के विकास की निगरानी करते हैं।
ट्रिगर शॉट का समय निर्धारण
जब एग्स 18-22 मिमी के आकार तक पहुंच जाते हैं, तो ट्रिगर शॉट दिया जाता है। आईयूआई में ट्रिगर शॉट के 24-36 घंटे बाद शुक्राणु डाला जाता है। जबकि, आईवीएफ में शॉट के 34-36 घंटे बाद एग्स निकाले जाते हैं।
हार्मोन का प्रभाव
ट्रिगर शॉट में मौजूद हार्मोन ओवरी को एग्स रिलीज करने के लिए प्रेरित करते हैं।
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ट्रिगर शॉट आईयूआई और आईवीएफ प्रक्रियाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल एग्स के परिपक्व होने और समय पर ओवुलेशन को सुनिश्चित करता है, बल्कि गर्भधारण की संभावना को भी बढ़ाता है। हालांकि, इसे सही तरीके और समय पर लेना अत्यधिक जरूरी है। यदि आप IUI या IVF प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, तो ट्रिगर शॉट के महत्व को समझें और अपने डॉक्टर से इस बारे में विस्तार से चर्चा करें। ट्रिगर शॉट के साथ-साथ डॉक्टर आपको तनाव न लेने, लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं। आज की इस सीरीज का लेख आप अपने दोस्तों या सहयोगियों के साथ शेयर कर सकते हैं।