Khuskhabri With IVF : समय के साथ लोगों की सेहत पर कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। आज के समय में देश के लाखों कपल्स संतान प्राप्ति के लिए कई तरह के ट्रीटमेंट ले रहे हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो बीते कुछ दशकों से लोगों की लाइफस्टाइल और आदतों में बदलाव के कारण कपल्स की प्रजनन में कमी दर्ज की गई है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। लेकिन, सही समय पर संतान का सुख न प्राप्त करने वाले लोगों को सोशल प्रेशर के साथ ही मेंटल प्रेशर का भी सामना करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी के लिए केवल महिला ही जिम्मेदार नहीं होती है, इसके लिए पुरुष भी जिम्मेदार हो सकते हैं। ऐसे में जो कपल्स सालों से प्रयास के बाद भी संतान सुख नहीं प्राप्त कर पाए हैं उनको डॉक्टर आईवीएफ को चुनने की सलाह देते हैं। आईवीएफ प्रक्रिया देश के लाखों निसंतान कपल्स के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर आई हैं। यही वजह है कि बीते कुछ वर्षों में लाखों लोगों ने इस प्रक्रिया को अपनाकर माता-पिता बनने के सपने को साकार किया है। हालांकि, आईवीएफ एक संवेदशील प्रकिया है। इसमें हर चरण की सफलता उसके अगले पड़ाव की सफलता के लिए आवश्यक होती है। डॉक्टर्स बताते हैं कि लैब में महिलाओ के एग्स और पुरुष के स्पर्म को फर्टिलाइज करके एंब्रियो (Embryo) तैयार किया जाता है। जिसे बाद में महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
लेकिन, आज के समय में आईवीएफ से जुड़ी सटिक जानकारी और इसके सभी चरणों के विषय पर सटिक जानकारी न होने के चलते कई कपल्स इस तकनीक को अपनाने से घबराते हैं। लोगों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए ओनलीमाय हेल्थ की टीम ने Khushkhabri With IVF सीरीज को शुरु किया है। इस सीरीज में आईवीएफ से जुड़ी सभी पहलुओं को विशेषज्ञों द्वारा बेहद ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया जाता है। आज की इस सीरीज में यशोदा फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर (Yashoda Fertility And IVF Center ) कड़कड़डूमा की इन्फ़र्टिलिटी और आईवीएफ कंसलटेंट डॉ. स्नेहा मिश्रा से जानते हैं कि आईवीएफ में कितने एंब्रियो को ट्रांसफर किया जाता है?
आईवीएफ में एंब्रियो की संख्या कैसे तय होती है? - How To Decide The Number Of Embryo Transfer In IVF Process in Hindi
महिला की आयु
एंब्रियो के ट्रांसफर में डॉक्टर महिला की उम्र को आधार मानते हैं। इसमें 35 वर्ष से कम आयु वर्ग की महिलाओं में गर्भधारण की संभावना अधिक होती है, इसलिए आमतौर पर एक या दो एंब्रियो को ही ट्रांसफर किया जाता है। जबकि, 35-40 वर्ष की महिलाओं का फर्टिलिटी रेट में थोड़ी गिरावट देखी जाती है, इसलिए डॉक्टर आमतौर पर दो एंब्रियो को ट्रांसफर करने की सलाह देते हैं।
जबकि, 40 वर्ष से अधिक आयु में महिलाओं के लिए गर्भधारण कठिन हो सकता है, इसलिए कभी-कभी तीन एंब्रियो भी ट्रांसफर किए जाते हैं। हालांकि, अधिक एंब्रियो ट्रांसफर करने से जुड़वा या मल्टीपल प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
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एंब्रियो की क्वालिटी और ग्रोथ
आईवीएफ में एंब्रियों की क्वालिटी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एंब्रियो को ब्लास्टोसिस्ट स्टेज (5वें दिन का एंब्रियो) में ट्रांसफर करने से सफलता दर अधिक होती है। यदि, हाई क्वालिटी वाला एंब्रियो उपलब्ध हो, तो आमतौर पर एक या दो एंब्रियो ही स्थानांतरित किए जाते हैं।
आईवीएफ के पिछले असफल प्रयास
यदि महिला ने पहले आईवीएफ साइकिल में असफलता का सामना किया है, तो डॉक्टर एंब्रियो की संख्या बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, यह निर्णय महिला के व्यक्तिगत स्वास्थ्य और मेडिकल कंडीशन के आधार पर लिया जाता है।
मल्टी-एंब्रियो प्रेग्नेंसी का जोखिम
मल्टी-एंब्रियो प्रेग्नेंसी के कारण कई जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कि समय से पहले प्रसव होना, जन्म के समय बच्चे का कम वजन और डिलीवरी के दौरान जटिलताएं, आदि। इसलिए, डॉक्टर सिंगल एंब्रियो ट्रांसफर (Single Embryo Transfer - SET) की सलाह दे सकते हैं, यह सलाह तब दी जाती है जब एंब्रियो की क्वालिटी अच्छी हो।
एंब्रियो ट्रांसफर महिला की मौजूदा स्वास्थ स्थिति के आधार पर डॉक्टर द्वारा तय की जाती है। इसकी संख्या अधिक या कम हो सकती है या हर महिला के लिए अलग-अलग संख्या में एंब्रियो को ट्रांसफर किया जा सकता है।
एंब्रियो ट्रांसफर के बाद क्या सावधानी बरतनी चाहिए? - What precautions should be taken after embryo transfer?
- महिलाओं को भारी वजन उठाने या अधिक व्यायाम करने से बचना चाहिए।
- महिलाओं को आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान मानसिक तनाव कम करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
- पौष्टिक आहार, हरी सब्जियां और प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करें।
- डॉक्टर की सलाह का पालन करें और सही समय पर दवा का सेवन डॉक्टर करें।
- प्रक्रिया पूरी होने तक शराब व धूम्रपान का सेवन न करें। ये आदतें गर्भधारण की संभावना को कम कर सकती हैं।
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आईवीएफ प्रक्रिया में एंब्रियो ट्रांसफर की संख्या कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि महिला की आयु, एंब्रियों की क्वालिटी, महिला की मेडिकल हिस्ट्री और इससे जुड़े नियमों आदि के आधार पर। आजकल, डॉक्टर सिंगल एंब्रियो ट्रांसफर (SET) को प्राथमिकता देते हैं ताकि मल्टी एंब्रियो प्रेग्नेंसी से जुड़े जोखिमों को कम किया जा सके। यदि आप आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने की योजना बना रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। Khushkhabri With IVF सीरीज के इस अंक को अपने दोस्तो और करीबियों के साथ अवश्य शेयर करें।