Khushkhabri with IVF: शादी के बाद हर महिला मां बनने का सपना देखती है। एक समय के बाद घर के सभी लोग घर में किलकारियां गूंजने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। हर दंपत्ति संतान सुख पाना चाहती है। हालांकि, हर कोई नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पाते हैं। महिलाओं के द्वारा नेचुरली रूप से कंसीव करना काफी हद तक महिला और पुरुष की आयु और फर्टिलिटी हेल्थ पर निर्भर करती है। कम आयु की महिलाओं के प्रजनन अंग और फर्टिलिटी क्षमता काफी बेहतर होती है। ऐसे में ज्यादातर महिलाएं शादी के बाद शुरुआती दौर में ही आसानी से गर्भधारण कर लेती हैं। हालांकि, आज के समय में फाइनेंशियल स्टेब्लिटी के चलते ज्यादातर महिला और पुरुष 30 की आयु पार करने के बाद शादी करते हैं। इसके बाद भी वह कुछ सालों तक बेबी प्लान करने के बारे में विचार नहीं करते हैं। जबकि, बाद में संतान के प्रयास करने पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, आज के दौर में गर्भधारण करने के लिए आईवीएफ तकनीक प्रचलित हो चुकी है। जिन दंपत्तियों का मां-बाप बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता है, वह इस तकनीक की मदद से अपने सपने को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इस लेख में आपको आईवीएफ तकनीक में एंब्रियों ट्रांसफर करने के प्रक्रिया के बारे में बताया गया है।
आज की ऑनलीमायहेल्थ की सीरीज Khushkhabri with IVF में फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर और फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस विषय की जानकारी के लिए हमारी टीम ने Birla Fertility & IVF Centre हैदराबाद की कंसल्टेंट Dr. A Jhansi Rani से IVF में Embryo Transfer की प्रक्रिया और फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर और फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर के बीच के अंतर को समझा। इस प्रक्रिया के बारे में आपको आगे बेहद ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है। इससे आप आईवीएफ की इस महत्वपूर्ण और अहम प्रक्रिया को आसानी से समझ पाएंगे। आगे आपको एंब्रियो ट्रांसफर प्रक्रिया क्या होती है? फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर और फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर के बीच क्या अंतर होते हैं? जैसे प्रश्नों का उत्तर दिया गया है।
फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर और फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर क्या है?
- फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर (FET): फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें क्रायोप्रिजर्व्ड एंब्रियो (cryopreserved embryos) को गर्भाशय (Uterus) में स्थानांतरित किया जाता है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान इससे ओवरी स्टीम्यूलेशन में समय और रिकवरी के लिए समय मिल जाता है।
- फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर: फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर IVF साइकिल में तेजी किया जा सकता है। महिलाओं के एग रिलीज के बाद फर्टिलाइजिंग की प्रक्रिया पूरी होने पर, एंब्रियो को 3 से 5 दिनों में ओवरी में ट्रांसफर किया जाता है। लेकिन इसमें महिलाओं को हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम होने का जोखिम बढ़ सकता है।
आईवीएफ में फ्रोजन एंब्रियो या फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर प्रक्रिया का चुनाव महिला की मौजूदा स्थिति के आधार पर किया जाता है। ये दोनों ही प्रक्रिया से एंब्रियो को ट्रांसफर किया जा सकता है। इन दोनों ही प्रक्रियाओं के अपने-अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं। इनके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है।
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फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर और फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर में क्या अंतर होता है?
फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर (FET)
फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर के फायदे
फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर ओवरी के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह ओवरी हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (OHSS) के जोखिम को कम करता है। साथ ही, यह उन महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है जिनमें एग्स का अधिक निर्माण होता है। यह एंब्रियो ट्रांसफर और इसके बाद की प्रक्रिया में मदद करके सफलता दर को बढ़ा सकता है।
फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर के नुकसान
फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर में ज्यादा समय लगने के कारण दंपत्ति की लंबा समय इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसे में उन्हें भावनात्मक रूप से समस्या हो सकती है। इसके अलावा, फोजन एंब्रियो की प्रक्रिया में फ्रीजिंग और स्टोर के लिए लागत में बढ़ोतरी हो सकती है।
फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर
फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर के फायदे
फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर आईवीएफ प्रक्रिया में एंब्रियो के विकास के बाद संभावित प्रेग्नेंसी के समय को कम कर सकती है। यह एंब्रियो को फ्रीज करने और उससे दोबारा से नॉर्मल अवस्था में लाने की जटिल प्रक्रिया और लागत से बचाता है।
फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर के नुकसान
ओवरी स्टिम्यूलेशन के बाद एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी में कमी की वजह से यह प्रकिया आईवीएफ की सफलता दर को कम कर सकता है। इसके अलावा, फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर ओवरी में हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (OHSS) का जोखिम बढ़ जाता है, क्योंकि फ्रेश ट्रांसफर मौजूदा स्थिति को और खराब कर सकता है। साथ ही, जेनेटिक टेस्टिंग के लिए उपलब्ध कम समय से एंब्रियो की कंप्लीट जानकारी नहीं मिल पाती है, जो सफलता दर को प्रभावित कर सकती है।
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आईवीएफ प्रक्रिया में फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर और फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर को चुनना बेहद मुश्किल है। इसके चुनाव से पहले डॉक्टर को मेडिकली, इमोशनली और फाइनेंशियल आदि पहलू पर भी विचार करना पड़ता है। दोनों ही तरीकों के अपने-अपने फायदे और संभावित नुकसान है। फ्रेश एंब्रियो ट्रांसफर तेजी से कम समय में पूरा हो सकता है, लेकिन इसमें ओवरी स्टिम्यूलेशन सिंड्रोम का जोखिम होता है। वहीं, दूसरी ओर फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर में प्रेग्नेंसी के रिजल्ट सटीक आने की संभावना अधिक होती है। लेकिन, यह प्रक्रिया पहले की अपेक्षा थोड़ी ज्यादा लागत की होती है। आईवीएफ प्रक्रिया में आपको कई पहलू से गुजरना पड़ता है। हर पहलू की सफलता महिला की मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। आईवीएफ की Khushkhabri with IVF की सीरीज का यह लेख आप अपने दोस्तों और करीबियों के साथ शेयर, ताकि उनको भी आईवीएफ की संपूर्ण और सटिक जानकारी मिल सकें। हम इस सीरीज में आपको आगे भी कई विषयों पर संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।