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Khushkhabri with IVF: आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ये हार्मोन्स, डॉक्टर से जानें

Khushkhabri With IVF In Hindi: प्रेग्नेंसी में हार्मोन काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आगे जानते हैं आईवीएफ की सफलता में हार्मोन का रोल और महत्व क्या होता है?
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Khushkhabri with IVF: आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ये हार्मोन्स, डॉक्टर से जानें


Khushkhabri With IVF In Hindi: आईवीएफ प्रक्रिया को शुरु करने से पहले ही महिलाओं को कई तरह की तैयारियां करनी होती हैं। आज के दौर में आईवीएफ प्रक्रिया को अपनाने वाले लोगों की संख्या भारी इजाफा हुआ है। दरअसल, समय के साथ समाज कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं, जिसका सीधा असर महिलाओं और पुरुषों की फर्टिलिटी पर पड़ता है। यही एक बड़ा कारण है कि लोग आईवीएफ ट्रीटमेंट का ऑप्शन चुनते हैं। लेकिन, आईवीएफ ट्रीटमेंट कराने से पहले व इस ट्रीटमेंट के दौरान भी महिलाओं के स्वास्थ्य को बारीकी से देखा जाता है। इसमें हार्मोन की भी महत्वपूर्ण भूमिक होती है। जिन महिलाओं के हार्मोन असंतुलित होते हैं उनको आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान गर्भधारण करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में महिलाएं आईवीएफ प्रक्रिया से पहले इसके हर पहलू के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहती है। लेकिन, इंटरनेट पर सही और सटीक जानकारी के अभाव में आम लोगों  को इस बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। 

लोगों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए ओनलीमायहेल्थ ने आईवीएफ की कंप्लीट जानकारी प्रदान करने के लिए Khushkhabri with IVF सीरीज को शुरु किया है। इस सीरीज में आपको आईवीएफ से जुड़े तमाम सवालों के जवाब मिल जाएंगे। आज इस सीरीज में आपको फर्टिलिटी के लिए हार्मोन संतुलन का महत्व और आईवीएफ ट्रीटमेंट में इसकी उपयोगिता के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसके लिए हमारी टीम ने Birla Fertility & IVF Centre रायपुर की कंसल्टेंट Dr. Pooja Verma से IVF में Hormones के रोल और महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा की। डॉक्टर के अनुसार आईवीएफ में कई चरण शामिल होते हैं, जिसमें ओवरी को स्टिम्यूलेट (उत्तेजित) करके कई एग्स का निर्माण करना और लैब में इन एग्स को फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद फर्टाइल एग को दोबारा गर्भ में ट्रांसफर किया जाता है। इस प्रत्येक चरण में हार्मोन्स का अधिक महत्व होता है, जो फर्टिलाइजेशन और इम्प्लांटेशन में मदद करता है। 

डॉक्टर के अनुसार यदि आईवीएफ प्रक्रिया में महिलाओं की प्रेग्नेंसी के आवश्यक हार्मोन्स को नियंत्रित न किया जाए तो इससे कई तरह की परेशानियां हो सकती है। यह कारण है कि आईवीएफ प्रक्रिया में हार्मोन संतुलन होना बेहद जरूरी होता है। 

मासिक धर्म चक्र में हार्मोन की क्या भूमिका होती है? 

IVF में हार्मोन्स की भूमिका को जानने से पहले आपको नेचुरल मेंस्ट्रूअल साइकिल में उनकी भूमिका समझना होगा। आगे जानते है इस बारे में 

  • फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH): पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा उत्पादित, फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) ओवरी में फोलिक्स की ग्रोथ को बढ़ता है, इनमें से प्रत्येक में एक एग होता है।
  • ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH): पिट्यूटरी ग्लैंड ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) की मदद से ओव्यूलेशन को ट्रिगर करता है। इससे मैच्योर एग की रिलीज होता है।
  • एस्ट्रोजन हार्मोन: फॉलिकल्स एस्ट्रोजन हार्मोन की मदद से गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) को नियंत्रित करता है और पिट्यूटरी ग्लैंड को FSH की रिलीज को कंट्रोल करने के सिंग्नल्स भेजता है। 
  • प्रोजेस्टेरोन: कॉर्पस ल्यूटियम ( corpus luteum) द्वारा रिलीज, प्रोजेस्टेरोन भ्रूण के संभावित इम्प्लांटेशन के लिए एंडोमेट्रियम को तैयार करता है।

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role and importance of hormone during ivf

IVF प्रक्रिया में हार्मोन का क्या महत्व होता है? 

IVF ट्रीटमेंट में एग रिलीज से फर्टिलाइजेशन और इम्प्लांटेशन के लिए आवश्यक सभी हार्मोन्स को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। जिससे आईवीएफ की सफलता दर बढ़ने की संभावना अधिक होती है। आगे जानते हैं आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान महत्वपूर्ण हार्मोन्स के बारे में। 

ओवरी स्टिम्यूलेशन 

IVF में का पहला चरण ओवरी स्टिम्यूलेशन होता है, इसमें एग्स का निर्माण किया जाता है। महिलाओं के नेचुरल मेंस्ट्रुअल प्रोसेस में, सामान्यत रूप केवल एक एग ही मैच्योर और रिलीज होता है। हालांकि, सफल फर्टिलाइजेशन और एम्ब्रयो यानी भ्रूण के बनने की संभावना को बढ़ाने के लिए आईवीएफ प्रक्रिया में कई एग्स की आवश्यकता होती है। इसके लिए बाहरी एक्सटर्नल सोर्स से हार्मोन दिए जाते हैं। 

  • गोनैडोट्रोपिन (Gonadotropins): इसमें फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) को इंजेक्शन के माध्यम से दिए जाते हैं। गोनैडोट्रोपिन ओवरी को कई फॉलिक्स बनाने के लिए उत्तेजित करते हैं। ट्रीटमेंट की डोज और अवधि प्रत्येक महिला की शरीर की प्रतिक्रिया के अनुसार होती है। इसमें  डॉक्टर ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड से ओवरी की प्रतिक्रिया पर निगरानी रखते हैं। 
  • GnRH Agonists/Antagonists: समय से पहले ओव्यूलेशन को रोकने के लिए गोनैडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) एनालॉग का उपयोग किया जाता है। GnRH एगोनिस्ट शुरू में फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) में बढ़ोतरी का कारण बनते हैं। लेकिन, बाद में वह फॉलिकल्स को कम करके नियंत्रित करते हैं।

फाइनल मैच्योरेशन 

एक बार जब फॉलिकल्स सही आकार में पहुंच जाते हैं, तो एग के फाइनल मैच्योरेशन को ट्रिगर करने के लिए ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG) या GnRH एगोनिस्ट का अंतिम इंजेक्शन दिया जाता है। यह ओव्यूलेशन से पहले होने वाले नेचुरल ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की बढ़ोतरी की तरह ही तरह प्रतिक्रिया करता है। 

hCG हार्मोन ल्यूटिनाइजिंग की तरह कार्य करता है। इस इंजेक्शन के करीब 34 से 36 घंटों के भीतर एग प्राप्त किया जाता है। एग निकालने की प्रक्रिया सर्जिकल होती है।

फर्टिलाइजेशन और एम्ब्रयो कल्चर

एग को सफलतापूर्वक बाहर निकालने के बाद लैब में इन्हें स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है। एम्ब्रयो बनने में कुछ दिनों का समय लग सकता है, इस दौरान डॉक्टर लगातार मॉनिटर करते हैं। 

एम्ब्रयो ट्रांसफर 

इसके बाद एम्ब्रयो को ओवरी में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरु की जाती है। इस चरण में प्रोजेस्टरोन हार्मोन की आवश्यकता होती है। इस दौरान प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का इंजेक्शन दिया जाता है। इसमें प्रोजेस्ट्ररोन हार्मोन एस्ट्रोजन की आवश्यक को पूरा करता है। जिससे एम्ब्रयो को इम्प्लांट करने में आसानी होती है। इससे प्रेग्नेंसी में आसानी होती है। 

ल्यूटल फेस सपोर्ट 

ल्यूटल फेस सपोर्ट में एम्ब्रयो को ट्रांसफर करने के बाद भी हार्मोनल गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। इसमें प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन हार्मोन सप्लीमेंट्स के रूप में दिए जाते हैं। यह हार्मोन इंडोमैट्रियम को सपोर्ट करते हैं और हार्मोन को बैलेंस करते हैं। प्रेग्नेंसी कंर्फम होने तक महिला के शरीर को इन हार्मोन की आवश्यकता होती है। साथ ही, कुछ महिलाओं को फर्स्ट ट्राईमेस्टर में इन हार्मोन्स की आवश्यकता हो सकती है। 

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हार्मोन IVF प्रक्रिया के बेहद आवश्यक होते हैं, जो एम्ब्रयो के इम्प्लांटेशन के लिए आवश्यक होते हैं। एग के प्रोडक्शन से प्रेग्नेंसी के कंफर्म होने तक महिलाओं के शरीर को अलग-अलग तरह के हार्मोन्स की आवश्यकता होती है। ऐसे में IVF ट्रीटमेंट के दौरान यह आवश्यक हार्मोन इंजेक्शन के रूप में दिए जा सकते हैं। इस ट्रीटमेंट में महिलाओं को रेगूलर मॉनिटर की आवश्यकता होती है। हमने अपनी Khushkhabri With IVF की स्पेशल सीरीज में आपको आईवीएफ के दरौन अलग-अलग हार्मोन्स के रोल और उनके महत्व के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की है। अगर आपको यह लेख पसंद आए तो आप इसे अपने करीबियों और दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। 

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