Journey To Parenthood Through IVF In Hindi: मां बनने का सपना हर महिला देखती है। हर महिला चाहती है कि एक उम्र के बाद उसके घर में किलकारियां गूंजे। उसके आंगन में एक नन्हा-मुन्ना बच्चा हो, जो उसे मां कहकर पुकारे। अपनी शरारतों और नादानियों से उसे परेशान करे। हालांकि, ज्यादातर महिलाओं का यह सपना पूरा हो जाता है यानी वे समय पर मां बन जाती हैं। लेकिन, ऐसी महिलाओं की भी कमी नहीं है, जो मां तो बनना चाहती हैं, साथ ही अपने करियर को भी महत्व देना चाहती हैं। कई बार, मां बनने की चाहत को प्राथमिकता न देने के कारण महिला का यह सपना अधूरा रह जाता है। मिंटी सक्सेना ऐसी ही एक महिला है, जिसने अपने करियर और अपनी पर्सनल लाइफ को मैनेज करने की कोशिश की। इस फेर में समय पर उसके लिए कंसीव करना एक चुनौती हो गया। अंततः उसे आईवीएफ का सहारा लेना पड़ा। इस लेख में हम मिंटी सक्सेना की आईवीएफ जर्नी के बारे में सब चीजें जानेंगे। साथ ही जानेंगे कि उन्हांने आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान किस तरह की सावधानियां बरतीं और कैसी लाइफस्टाइल अपनाई।
लोगों के मन में आईवीएफ प्रोसेस से जुड़े कई सवाल होते हैं। इन्हीं सवालों को ध्यान में रखते हुए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF नाम से एक स्पेशल सीरीज चलाई है, जिसमें आपको आईवीएफ से जुड़े तमाम सवालों के जवाब मिल जाएंगे। साथ ही, कुछ लोगों की रियल जर्नी के बारे में भी हम आपको बताएंगे। आज इस सीरीज में वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता की मदद से आपको मिंटी सक्सेना की IVF जर्नी के बारे में बता रहे हैं। अगर आप भी IVF के जरिये प्रेग्नेंसी प्लान करने की सोच रहे हैं, तो इस स्टोरी से आपको मदद मिल सकती है।
क्यों पड़ी आईवीएफ की जरूरत
दिल्ली के तिलक नगर के ज्वाइंट फैमिली में रहने वाली मिंटी एक सक्सेसफुल महिला है। जब उसकी शादी हुई, तब वह एक एयरलाइन कंपनी में कार्यरत थी। वह समय उसके लिए बहुत ही खूबसूरत था। क्योंकि बेहतरीन करियर और कुछ समय बाद प्रमोशन। इन सबने मिंटी को काफी बिजी कर दिया था। ऐसा नहीं था कि वह मां नहीं बनना चाहती थी। लेकिन, उसे मां बनने के लिए मेंटली तैयार होना था। इसलिए, उसने इसके लिए समय लिया। दिक्कत तब शुरू हुई, जब उसकी बढ़ती उम्र ने उसे नेचुरली कंसीव नहीं करने दिया। जी, हां! जब मिंटी ने नेचुरली कंसीव करने की कोशिश की तो वह नहीं कर पाई।
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कराए कई टेस्ट
नेचुरली कंसीव करने की कोशिश में मिंटी गाएनेकोलॉजिस्ट से मिली और उनके दिए हुए सभी सजेशंस फॉलो किए। उनके कहे मुताबिक ओव्यूलेशन पीरियड पर नजर रखी, डाइट का ध्यान रखा। लेकिन किसी भी तरह की तरकीब इसमें काम नहीं कर रही थी। यहां तक कि मिंटी ने कई तरह के टेस्ट भी करवाएं, जिसमें महिलाओं के लिए किए जाने वाले फर्टिलिटी टेस्ट भी शामिल थे, जैसे- ब्लड टेस्ट, क्लेमाइडिया टेस्ट, अल्ट्रासाउंड स्कैन, एक्स-रे, लेप्रोस्कॉपी आदि।
मिली आईवीएफ एक्सपर्ट से
मिंटी का कहना है कि जब वह नेचुरल तरीके से कंसीव करने की तमाम कोशिशों में असफल रही, तो किसी ने उसे आईवीएफ करवाने की सलाह दी। वह पहले से ही आईवीएफ के बारे में जानती थी। लेकिन, उसे यह नहीं पता था कि इस प्रक्रिया में किन-किन चीजों का ध्यान रखा जाता है और इसके लिए किसके साथ संपर्क किया जा सकता है। तभी उन्हें किसी ने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता के बारे में बताया। मिंटी आगे बताती हैं, "आईवीएफ प्रक्रिया के बारे में सोचने से ही डर लगता था। क्योंकि मैंने सुना था कि यह काफी पेनफुल होती है। लेकिन, जब मैं डॉ. शोभा गुप्ता से मिली, तो मेरी आधी परेशानियां अपने आप खत्म हो गईं।"
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काउंसलिंग की गई
मिंटी सक्सेसना अगे बताती हैं, "आईवीएफ के लिए खुद को तैयार करना आसान नहीं था। शुरुआत में यह एक्सेप्ट करना कि मैं मां नहीं बन पाऊंगी, काफी चैलेंजिंग था। वैसे भी निःसंतान रहना बहुत कठिन और हताश करने वाला अनुभव होता।" लेकिन, डॉक्टर की मदद से मैं मेंटली आईवीएफ के लिए तैयार हो सकी। यहां तक कि मुझे यह भी बता दिया गया था कि आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए मां बना जा सकता है, लेकिन यह मां बनने की सौ फीसदी गारंटी नहीं होता है। इसमें फेल होने के चांस और फाइनेंशियल बर्डन के बढ़ने का जोखिम भी रहता है। हालांकि, एक्सपर्ट द्वारा की गई काउंसलिंग से मेरे मन में आईवीएफ के प्रति स्पष्टता आई और मैं प्रोसेस के लिए आगे बढ़ सकी।
फॉलो हुई आईवीएफ प्रक्रिया
आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान मेरे मेंस्ट्रुअल साइकिल पर नजर रखी, फर्टिलिटी ड्रग दिया गया, इंजेक्शन के माध्यम से प्रेग्नेंसी हार्मोन मुझमे इंजेक्ट किए जाते थे। कई चीजों के बारे में मैं डॉक्टर से पूछ लिया करती थी, कई चीजें समझ नहीं आती थीं। लेकिन मुझे डॉक्टर्स पर पूरा यकीन था कि वो जो करेंगे सही करेंगे। बहरहाल, प्रेग्नेंसी हार्मोन की मदद से ओवरी से एग रिलीज होने में मदद मिलती है। इसी तरह, यह प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती रही, जिसमें स्पर्म सैंपल लेना और एंब्रेयो को इंप्लांट करने जैसी चीजें शामिल थीं।
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लाइफस्टाइल का रखा ध्यान
मिंटी को अपनी लाइफस्टाइल और डाइट को लेकर पूरी आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान काफी कॉन्शस रहना पड़ा। उन्हें हमेशा मौसमी फल और सब्जियों का ही सेवन करना था। उन्हें ऐसी चीजें खाने की मनाही थी, जिससे मिसकैरेज का रिस्क बढ़ जाता है। यहां तक कि सोने-जगने का पैटर्न भी फिक्स था। इस संबंध में वह जरा भी लापरवाही नहीं कर सकती थीं। इन दिनों मिंटी ने कई हल्के वर्कआउट भी किए थे। हालांकि, यह सब उन्होंने एक्सपर्ट की निगरानी में किए। यही नहीं, प्रेग्नेंसी के इस सफर में उन्हें केमिकल प्रोडक्ट जैसे नेल पॉलिश, परफ्यूम आदि यूज करने की भी मनाही थी। मेडिसिंस को लेकर भी उन्हें टाइम का पाबंद रहना था।
आई घर में खुशियां
मिंटी कहती हैं कि जब वे हर तरफ से हार गई थीं, मां बनने का सपना उनका टूट चुका था। ऐसे में आईवीएफ का सहारा उन्हें मिला। डॉक्टर की मदद से हेल्दी प्रेग्नेंसी, जिससे घर के आंगन में एक छोटे से बच्चे की किलकिलारियां गूंजने लीं यानी आईवीएफ के पहले अटेंप्ट में ही मिंटी मां बन गईं। आज वह और उनके पति बहुत खुश हैं। अब उनके बेटे की उम्र 2 साल हो गई है। मिंटी कहती हैं, कि आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान मैंने जो भी परेशानियां झेली हैं, मैं उन सबको भूल चुकी हूं। मैं अपने बच्चे को देखकर खुश हूं। उसने मेरा परिवार पूरा कर दिया है।
अगर आप IVF के जरिए जल्द से जल्द पेरेंट्स बनने का सुख उठाना चाहते हैं, तो आपको आईवीएफ एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए। हालांकि, हमने अपने इस Khushkhabri With IVF की इस स्पेशल सीरीज में आईवीएफ से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताई हैं। इसके बावजूद, अगर आपके मन में आईवीएफ तकनीक से जुड़ा कोई सवाल है, तो आप हमारी वेबसाइट में विजिट कर सकते हैं।
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