Fertility Tests For Women- भारत में इनफर्टिलिटी की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल है। महिलाओं में बढ़ती बांझपन (Infertility in Women) की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें लाइफस्टाइल, स्वास्थ्य और तनाव शामिल हैं। लेकिन गर्भाशय में किसी तरह की समस्या होना, या हार्मोन्स में गिरावट होना, या फिर ठीक तरह के ओव्यूलेशन न होना महिलाओं के कंसीव न कर पाने का कारण बन सकता है। ऐसे में अगर आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन कंसीव करने में समस्या आ रही है तो जरूरी है कि आप कुछ ऐसे टेस्ट करवाएं जो आपके फर्टिलिटी की जांच कर सकें। तो आइए राज होम्योपैथिक क्लिनिक (पुणे) की हार्मोन एवं फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. जैनब ताजिर ( Dr. Zainab Tajir, Hormone and Fertility Specialist, Raj Homeopathic Clinic, Pune) से जानते हैं प्रजनन क्षमता जानने के लिए महिलाओं को कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए?
महिलाओं के लिए फर्टिलिटी टेस्ट - Female Fertility Test in Hindi
1. ओव्यूलेशन टेस्टिंग - Ovulation Testing
महिलाओं के शरीर में प्रजनन क्षमता की जांच करने के लिए ओव्यूलेशन टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है। दरअसर महिलाएं केवल अपने ओव्यूलेशन के आसपास ही कंसीव कर सकती हैं, इसलिए यह समझन बहुत जरूरी है कि वे ओव्यूलेट करती हैं या नहीं। ऐसे में आप बेसल बॉडी टेम्परेचर मॉनिटरिंग, सर्वाइकल म्यूकस ट्रैकिंग या ओवर-द-काउंटर ओव्यूलेशन स्ट्रिप्स की मदद से अपने ओव्यूलेशन की जांच कर सकते हैं, जो ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) में बढ़ोतरी का पता लगाते हैं और ओव्यूलेशन का पता लगाने में मदद करते हैं। ओव्यूलेशन की जांच के लिए आप पीरियड्स के 21वें दिन बढ़े हुए प्रोजेस्टेरोन का टेस्ट करवा सकते हैं।
2. हार्मोनल ब्लड टेस्ट - Hormonal Blood Tests
- हार्मोनल ब्लड टेस्ट महिलाओं के शरीर में गर्भधारण के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन के स्तर का पता लगाने में मदद करते हैं जो हमारी प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- एफएसएच, एलएच, एस्ट्राडोइल, पीरियड्स के दूसरे या तीसरे दिन टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की जांच
- प्रोलैक्टिन का स्तर
- ओव्यूलेशन के 21वें दिन या 7वें दिन प्रोजेस्टेरोन का बढ़ा हुआ स्तर
- महिलाओं के शरीर में अंडों को रोकने और प्रजनन क्षमता को जांचने के लिए एएमएच के स्तर की निगरानी।
3. अल्ट्रासाउंड इमेजिंग - Ultrasound Imaging
ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड सोनोलॉजिस्ट को अंडाशय और गर्भाशय की स्थिति जानने में मदद करता है। यह इमेजिंग पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), ओवेरियन सिस्ट जैसी स्थितियों को भी पता लगाता है, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, पीरियड्स के दूसरे दिन एक यूएसजी एंट्रल फॉलिकल काउंट (एएफसी) की जांच करने में भी यह टेस्ट मदद कर सकता है जो प्रजनन क्षमता की स्थिति का सूचक हो सकता है।
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4. हिस्टेरोसाल्फिंगोग्राफी (एचएसजी) - Hysterosalphingography
यह एक खास तरह का एक्स-रे प्रक्रिया है, जो गर्भाशय कैविटी और फैलोपियन ट्यूब की जांच करती है। यह टेस्ट महिलाओं में गर्भधारण में बाधा डालने वाली रुकावटों या असामान्यताओं की पहचान करने में मदद कर सकते हैं।
कंसीव करने की कोशिश कर रही महिलाएं यह 4 फर्टिलिटी टेस्ट जरूर करवाएं। ताकि उन्हें अपनी स्थिति का पता लग सके और गर्भधारण कर सकें।
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