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Khushkhabri with IVF: आईवीएफ कराने से पहले प्री-इमप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग कराना क्योंं है जरूरी, जानें

Khushkhabri with IVF: आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने से पहले डॉक्टरों द्वारा जेनेटिक टेस्टिंग की जा सकती है। आगे जानते हैं इसके फायदे और यह क्यों आवश्यक होती है।
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Khushkhabri with IVF: आईवीएफ कराने से पहले प्री-इमप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग कराना क्योंं है जरूरी, जानें

Khushkhabri with IVF: हर दंपत्ति का सपना होता है कि उनके घर में बच्चों की किलाकारियां गूंजे। लेकिन, कई बार मानसिक और शारीरिक समस्याओं के चलते लोगों को यह सुख नहीं मिल पाता है। ऐसे में आज के दौर में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) ने प्रजनन क्षेत्र में क्रांति ला दी है, जिससे बांझपन से जूझ रहे लाखों दंपत्तियों को उम्मीद की किरण दिखाई दी है। समय के साथ इस तकनीक में भी रोजाना बदलाव हो रहे हैं। इन बदलावों से आईवीएफ प्रक्रिया के पहले ही बच्चों को होने वाले संभावित रोगों की पहचान की जा सकती है। डॉक्टरों की मानें तो कुछ अनुवांशिक विकार बच्चों के आने वाले जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इससे बचाव के लिए अभिभावकों को समय पर जेनेटिक टेस्टिंग कराने की सलाह दी जाती है। यह टेस्टिंग आईवीएफ प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण रोल अदा करती है। साथ ही, बच्चों को भविष्य में होने वाले रोगों की पहचान गर्भ ठहरने से पहले की जा सकती है। ऑनलीमायहेल्थ की टीम द्वारा आईवीएफ तकनीक के विषय में लोगों को संपूर्ण जानकारी देने के लिए स्पेशल सीरीज (खुशखबरी विद आईवीएफ) को शुरु किया गया है। आज की इस सीरीज में Birla Fertility & IVF Centre नागपुर की कंसल्टेंट Dr. Priyanka Shahane से प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, यह भी जानेगें कि आईवीएफ से पहले प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग कराना क्यों जरूरी होता है और इसकी क्या उपयोगिता होती है।

आनुवांशिक विकार क्यों होते हैं? - Causes Of Genetics Disorder In Hindi 

आनुवंशिक विकार (Genetic Disorder) किसी व्यक्ति के डीएनए में असामान्यताओं के कारण होने वाली बीमारियां हैं। ये असामान्यताएं सिंगल जीन म्यूटेशन से लेकर क्रोमोसोम्स की जटिलता तक हो सकती हैं। सामान्य जेनेटिक्स डिसऑर्डर में सिस्टिक फाइब्रोसिस, हंटिंगटन रोग, टे-सैक्स रोग (Tay-Sachs disease) और सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anemia) शामिल हैं। यह विकार अभिभावक से बच्चों तक पहुंच सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से ऑटोसोमल डोमिनेंट डिसऑर्डर, ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर और एक्स-लिंक्ड डिसऑर्डर को शामिल किया जाता है। 

जेनेटिक्स डिसऑर्डर और IVF - Genetic Disorder And IVF In Hindi 

परिवार में जेनेटिक डिसऑर्डर से IVF प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। जिन दंपत्तियों में जेनेटिक डिसऑर्डर होने की संभावना होती है, वह आईवीएफ प्रक्रिया को चुनकर बच्चे को जेनेटिक डिसऑर्डर से बचाव कर सकते हैं। इसके लिए आगे बताए कारक जिम्मेदार हो सकते हैं।   

जेनेटिक काउंंसिलिंग (Genetic Counseling)

जब आनुवंशिक विकार (जेनेटिक डिसऑर्डर) चिंता का विषय होते हैं, तो IVF प्रक्रिया से गुजरने से पहले दंपत्ति जेनेटिक काउंसिलिंग ले सकते हैं। इसमें काउंसलर दंपत्ति को अभिभावकों से जेनेटिक रूप में बच्चों को होने वाले डिसऑर्डर के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करते हैं। यह काउंसिलिंग दंपत्तियों को उनके द्वारा निर्णय लेने में मदद कर सकती हैं।  

कैरियर स्क्रिनिंग (Carrier Screening)

IVF प्रक्रिया को शुरु करने से पहले दंपत्ति कैरियर स्क्रिनिंग करा सकते हैं। इसमें यह जांच की जाती है कि क्या दंपत्ति जेनेटिक डिसऑर्ड के लिए जिम्मेदार कारकों से ग्रसित हैं। यह स्क्रीनिंग ऑटोसोमल रिसेसिव विकारों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसमें  माता-पिता दोनों को कैरियर (Carrier) होना चाहिए। 

preimplantation genetic testing

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग - (Preimplantation Genetic Counseling- PGT)

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) IVF में भ्रूण के इम्प्लाटेंशन से पहले उनके जेनेटिक डिसऑर्डर की जांच करने के लिए किया टेस्ट किया जाता है। PGT से बच्चे के अनुवांशिक डिसऑर्डर होने की संभावानाओं को कम करता है। इसको तीन प्रकारो में बांटा जाता है

  • PGT-A (एनीप्लोइडीज के लिए प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग)
  • PGT-M (मोनोजेनिक विकारों के लिए प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग)
  • PGT-SR (संरचनात्मक पुनर्व्यवस्था के लिए प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग)

IVF में प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग की भूमिका - The Role of Preimplantation Genetic Testing In IVF In Hindi 

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग ने IVF की सफलता दर और बच्चों को अनुवांशिक विकार से बचाने के रास्तों को खोल दिया है। 

आईवीएफ सफलता दर में वृद्धि (Increased IVF Success Rates)

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग से आनुवांशिक डिसऑर्डर से मुक्त एम्ब्रयो को चुनने, इम्प्लांटेशन की सफलता और प्रेग्नेंसी में मदद मिलती है। यह विशेष रूप से अधिक उम्र की महिलाओं या बार-बार गर्भपात से गुजरने वाली महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

जेनेटिनक डिसऑर्डर का जोखिम कम करना (Reduced Risk of Genetic Disorders)

जेनेटिक प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग से बच्चों को जेनेटिक डिसऑर्डर से प्रभावित होने की संभावना कम होती है। यह दंपत्ति को बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति आश्वस्त करता है। 

निर्णय लेने में मददगार 

यह टेस्ट दंपत्ति को आईवीएफ प्रक्रिया को चुनने का निर्णय लेने पर मदद करती है। साथ ही, दंपत्ति को जेनेटिक से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। 

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग से जुड़ी चुनौतियां -  Challenges of Preimplantation Genetic Counseling in Hindi 

तकनीकी सीमाएं - Technical Limitations

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग एक जटिल प्रक्रिया है, जिसके लिए उन्नत तकनीक और विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। साथ ही, इससे सभी आनुवंशिक समस्याओं का पता नहीं लगाया जा सकता है। 

अधिक लगात होना - Cost and Accessibility

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग की लागत अधिक होती है, और सभी बीमा योजनाएं इस प्रक्रिया को कवर नहीं करती हैं। साथ ही, अधिक लगात होने के कारण इसको सभी दंपत्ति नहीं करावा सकते हैं। 

जेनेटिक टेस्टिंग का IVF में भविष्य - Future Of Genetic Testing and IVF In Hindi

IVF में जेनेटिक टेस्टिंग के क्षेत्र निरंतर बदलाव, और रिसर्च कार्य चल रहे हैं। इससे आईवीएफ तकनीक के नए आयाम खुलेगें और लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल पाएगी। 

एक्सपैंडेड कैरियर स्क्रीनिंग - Expanded Carrier Screening

एक्सपैंडेड कैरियर स्क्रीनिंग से आगे चलकर ज्यादातर जेनेटिक डिसऑर्डर को कवर किया जाएगा। साथ ही, दंपत्तियों को ज्यादा बारीक जानकारियों का पता लगाने में मदद मिलेगी। 

नॉन इन्वेसिव टेस्टिंग - Non-Invasive Testing

आने वाले दिनों में रिसर्च से नॉन इन्वेसिक टेस्टिंग के जरिए पता लगाया जाएगा कि मेटरनल ब्लड में फ्री फेटल डीएनए की चांज की जाएगी। इस प्रक्रिया के द्वारा इम्ब्रयो के बारे में ज्यादा जानकारी मिल पाएगी। 

इसे भी पढे़ं : IVF Treatment Stages: आईवीएफ से बनने जा रही हैं मां, तो जान लें इसके 6 चरण

IVF की प्रक्रिया अपनाकर दंपत्ति के लिए फर्टिलिटी की खुद से चुनाव करना और भी आसान हो जाता है। आजकल आईवीएफ में कई तरह की आधुनिक मशीने आ चुकी हैं, जिसकी मदद से प्रेग्नेंसी से जुड़े जेनेटिक डिसऑर्डर के जोखिमों की पहचान कर उन्हें कम किया जा सकता है। ऑनलीमायहेल्थ की खुशखबरी विद आईवीएफ सीरीज से आप आगे भी इस विषय में लगातार नई जानकारियां प्राप्त करेंगे। इस लेख को अपने दोस्तों और नजदीकी लोगों के साथ शेयर करें और इससे जुड़े हमें सुझाव भेज सकते हैं।

All Image Credit: Freepik

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