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Khushkhabri with IVF: एंब्रियो ट्रांसफर के बाद महिलाओं को किस तरह का डाइट प्लान अपनाना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें

आईवीएफ में कई प्रक्रिया बेहद संवेदनशील होती हैं। एंब्रियो ट्रांसफर आईवीएफ की एक मुख्य प्रक्रिया मानी जाती है। इसमें महिलाओं को डाइट में विशेष तरह के बदलाव करने की सलाह दी जाती है। आगे जानते हैं कि एंब्रियो ट्रांसफर के बाद डाइट में किस तरह के बदलाव करने चाहिए?
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Khushkhabri with IVF: एंब्रियो ट्रांसफर के बाद महिलाओं को किस तरह का डाइट प्लान अपनाना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें


Khushkhabri with IVF: आईवीएफ के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान महिलाओं को कई चरणों से गुजरना पड़ता है। शुरुआती दौर में महिलाओं को डॉक्टर ओव्यूलेशन प्रक्रिया के लिए कई हार्मोनल इंजेक्शन देते हैं। इस दौरान ओवरी को स्टीम्यूलेट करके एग्स को निकाला जाता है। इसके बाद एग्स को पुरुष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज करके हेल्दी एंब्रियो को तैयार किया जाता है। इसके बाद हेल्दी एंब्रियो को महिला के गर्भाश में ट्रांसफर किया जाता है। यह एक संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसमें एग्स की क्वालिटी, एंब्रिया और महिला की मौजूदा हेल्थ का अहम रोल होता है। आईवीएफ की हर प्रक्रिया आगे स्टेज की सफलता को सुनिश्चित करती है। इसमें डाइट की मुख्य भूमिका होती है। आईवीएफ में पौष्टिक डाइट लेने से गर्भधारण की संभावना को बढ़ाया जा सकता है। यही वजह है कि हर पड़ाव के सभी पहलुओं को बारीकि से ध्यान में रखा जाता है। इस लेख में यशोदा फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर (Yashoda Fertility And IVF Center ) कड़कड़डूमा की इन्फ़र्टिलिटी और डाइटिशियन भावना गर्ग से जानते हैं कि एंब्रियो ट्रांसफर के बाद महिलाओं को डाइट में किस तरह के बदलाव करने चाहिए।

आज भी कई कपल्स आईवीएफ प्रक्रिया को अपनाने से घरबराते हैं। ऐसे में लोगों को सही जानकारी सरल भाषा में प्रदान करने के लिए ओनलीमाय हेल्थ की टीम द्वारा Khushkhabri With IVF सीरीज को शुरू किया है। आज की इस सीरीज में जानेंगे कि एंब्रियो ट्रांसफर के बाद महिलाओं को डाइट में किस तरह के बदलाव करने चाहिए और डाइट में किन चीजों को शामिल करना चाहिए।

एंब्रियो ट्रांसफर के बाद हेल्दी डाइट क्यों आवश्यक है? - Why Healthy Diet Is Important After Embryo Transfer In Hindi

एंब्रियो ट्रांसफर के बाद शरीर को हेल्दी डाइट और पोषण की आवश्यकता होती है। इससे गर्भधारण में सफलता मिलती है। इस दौरान हार्मोनल बदलाव, गर्भाशय की परत की मजबूती, और एंब्रियो के सफल ट्रांसफर में डाइट की अहम होती है। इस दौरान संतुलित आहार लेने से महिलाओं का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और शरीर में सूजन की समस्या को कम किया जा सकता है।

एंब्रियो ट्रांसफर के बाद क्या खाना चाहिए? - Diet Plan After Embryo Transfer in Hindi

प्रोटीन युक्त आहार

प्रोटीन शरीर की सेल्स को रिपेयर और ग्रोथ के लिए आवश्यक होता है। यह महिलाओं के गर्भाशय की दीवार को मजबूत बनाता है और भ्रूण को आवश्यक पोषण प्रदान करता है। इसके लिए महिलाएं डाइट में दाले, बीन्स, पनीर, दही, अंडा और मछली को शामिल कर सकती हैं।

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फाइबर युक्त आहार

महिलाओं को डाइट में फाइबर की आवश्यकता होती है। यह पाचन तंत्र को बेहतर करता है। साथ ही, कब्ज और अन्य समस्या से बचाने में मदद करता है। सामान्यतः एंब्रियो ट्रांसफर के बाद महिलाओं को कब्ज और पाचन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डायटिशियन हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी के अलावा साबुत अनाज, फल, चिया सीड्स और फ्लैक्स सीड्स खाने की भी सलाह देते हैं।

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हैल्दी फैट (Healthy Fats)

हेल्दी फैट हार्मोनल बैलेंस को सही बनाए रखने में सहायक होते हैं और एंब्रियो के विकास में मदद करते हैं। इसके लिए महिलाओं को डाइट में एवोकाडो और नारियल तेल, बादाम, अखरोट और काजू , ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजों को शामिल करने की सलाह दी जाती है।

आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर आहार

फोलिक एसिड एंब्रियो के न्यूरल ट्यूब की ग्रोथ में मदद करते हैं, जबकि आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बनाए रखता है। इसके लिए महिलाओं को पालक और ब्रोकली, अनार और बीटरूट, चना और मसूर की दाल को शामिल करने की सलाह दी जाती है।

डेयरी उत्पाद

डेयरी प्रोडक्ट में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, जो एंब्रियो की हड्डियों की ग्रोथ, दांतों के बनने के लिए आवश्यक माना जाता है। इसके लिए महिलाओं की डाइट में दूध और छाछ, पनीर और दही आदि को शामिल किया जाता है।

एंब्रियों ट्रांसफर के बाद क्या नहीं खाना चाहिए? - What To Avoid After Embryo Transfer in Hindi

  • अधिक मात्रा में कैफीन लेने से हार्मोनल बदलाव हो सकता है। इससे गर्भधारण की संभावना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • ज्यादा तेल और फैट युक्त खाद्य पदार्थ शरीर में इंफ्लेमेशन का कारण बन सकते हैं और पाचन को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में महिला को डीप फ्राई आहार को डाइट से हटाना चाहिए।
  • इसके अलावा, आप अल्कोहल और निकोटीन शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं। यह प्रेग्नेंसी के सेक्सेस रेट को प्रभावित कर सकता है।
  • कच्चे खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया और हानिकारक तत्व हो सकते हैं, जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

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एंब्रियो ट्रांसफर के बाद हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल को अपनाकर प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ा सकता है। संतुलित आहार, हाइड्रेशन, और हेल्दी हैबिट का पालन करके इस प्रक्रिया को सफल बनाया जा सकता है। इस दौरान होने वाली समस्या को दूर करे के लिए महिलाओं डाइट में बदलाव करने की सलाह दी जाती है।

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