Khushkhabri With IVF: समय के साथ लोगों की लाइफस्टाइल में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। पिछले कुछ वर्षों से युवा पहले की अपेक्षा देरी से शादी करते हैं। इसके पीछे करियर और शिक्षा एक बड़ा कारण माना जाता है। देरी से शादी करने और लाइफस्टाइल में बदलाव का असर सेहत के साथ ही महिला और पुरुष के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसे में महिला और पुरुषों को संतान प्राप्ति में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, इस समस्या को दूर करने के लिए आईवीएफ प्रक्रिया एक सफल और कारगर उपाय मानी जाती है। लेकिन, कुछ कपल्स को आईवीएफ प्रक्रिया को बार-बार कराना पड़ता है। दरअसल, डॉक्टरों के अनुसार आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर महिला व पुरुष की मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर रिजल्ट प्रदान करती हैं। इस लेख में जानते हैें कि बार-बार आईवीएफ साइकिल से गुजरने के बाद किस तरह के जोखिम होने की संभावना अधिक होती है।
समय के साथ आईवीएफ कराने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिला है। इससे पता चलता है कि आज के दौर में लोगों को संतान प्राप्ति से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए आईवीएफ प्रक्रिया भले ही सुरक्षित और कारगर उपाय मानी जाती है। लेकिन, आज भी कई कपल्स इस प्रक्रिया को अपनाने से घबराते और डरते हैं। ऐसे में लोगों की समस्याओं और आईवीएफ से जुड़ी जानकारी के अभाव को समझते हुए, ओनलीमाय हेल्थ की टीम ने लोगों के लिए Khushkhabri With IVF सीरीज को शुरू किया गया है। इस सीरीज में आईवीएफ से जुड़े विशेषज्ञों की मदद से हमारी टीम आपको हर पहलू पर सटिक जानकारी प्रदान करती है। आज की इस कड़ी में यशोदा फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर (Yashoda Fertility And IVF Center ) कड़कड़डूमा की इन्फ़र्टिलिटी और आईवीएफ कंसलटेंट डॉ. स्नेहा मिश्रा से जानते हैं कि कई बार आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने से किस तरह के जोखिम हो सकते हैं?
आईवीएफ प्रक्रिया क्या है? - What Is IVF In Hindi
आईवीएफ एक निसंतान दंपत्तियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, इस प्रजनन तकनीक से लाखों लोगों को फायदा मिला है। इसमें महिला के एग्स और पुरुष के शुक्राणु (स्पर्म) को शरीर के बाहर निकालकर फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद, एंब्रियो को महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है। यह प्रक्रिया उन दंपतियों के लिए होती है जो प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने में असमर्थ होते हैं। हालांकि, आईवीएफ का पहला चक्र हमेशा सफलता की गारंटी नहीं देता। कई बार इसे दोबारा या बार-बार करना पड़ सकता है, जिससे कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। आगे जानते हैं इससे जुड़े कुछ मुख्य जोखिम के बारे में।
बार-बार आईवीएफ कराने के क्या जोखिम हो सकते हैं? - Risk Of Multiple IVF Cycles In Hindi
बार-बार आईवीएफ प्रक्रिया से महिला की सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव
आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं जो उनके अंदर एग्स को बढ़ाने में सहायक होती हैं। ऐसे में महिला को ओवेरियन हाइपरस्टिम्युलेशन सिंड्रोम (OHSS) होने की संभावना बढ़ सकती है। यह स्थिति पर होती है जब ओवरी को ज्यादा एग्स के लिए स्टीम्यूलेट किया जाता है। इस स्थिति में महिला को पेट में सूजन, दर्द, मितली और सांस लेने में पेरशानी हो सकती है। इसके अलावा, बार-बार हार्मोन लेने से महिलाओं को थकावट और कमजोरी महसूस हो सकती है।
मेंटल हेल्थ प्रभावित हो सकती है
आईवीएफ प्रक्रिया न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी थकावट भरी हो सकती है। बार-बार आईवीएफ फेल होने से महिला व पुरुष को मानसिक रूप से दबाव महसूस हो सकता है। इसकी वजह से तनाव, अवसाद और चिंता को बढ़ा सकती है।
इंफेक्शन का जोखिम
बार-बार आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने के चलते कई महिलाओं को यूट्रेस और एग्स निकालने की प्रक्रिया में इंफेक्शन का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इस तरह के इंफेक्शन को दूर करने के लिए डॉक्टर एंटी-बायोटिक्स दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।
एग्स निकलाने में समस्या होना
आईवीएफ में एग रिट्रिव्ल (एग्स को निकालना) एक मुख्य चरण माना जाता है। इसमें महिला की ओवरी से एग्स को निकला जाता है। लेकिन, बार -बार आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने के बाद कुछ महिलाओं को ब्लीडिंग, इंफेक्शन, आंतों, ब्लैडर और नसों को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है।
दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं
कुछ स्टडी से पता चला है कि बार-बार हार्मोनल उपचार लेने से महिलाओं में कैंसर, विशेष रूप से ओवेरियन और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, इस विषय अभी और रिसर्च की जा रही है, ऐसे में शोधकर्ताओं का अलग-अलग मत हो सकता है।
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बार-बार आईवीएफ से होने वाले जोखिमों को कम करने के उपाय - Prevention Tips of Risk Of Multiple IVF Cycles In Hindi
लाइफस्टाइल में बदलाव
डॉक्टर महिला व पुरुष दोनों की लाइफस्टाइल में कुछ आवश्यक बदलाव कर सकते हैं। इसमें हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और योग को शामिल करने की सलाह दी जाती है।
आईवीएफ साइकिल के बीच निश्चित अंतराल रखना
पहली आईवीएफ साइकिल फेल होने के बाद महिलाओं को दूसरी शुरु करने के लिए जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। महिलाओं आंतरिक अंगों को दोबारा से नॉर्मल स्थिति में आने में थोड़ा समय लग सकता है। ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह पर दोनों साइकिल के बीच निश्चित अंतराल रखें।
विशेषज्ञ से सलाह लें
बार-बार आईवीएफ कराने से पहले एक अनुभवी फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है। वे आपके स्वास्थ्य और संभावनाओं का आकलन करके सही दिशा-निर्देश दे सकते हैं।
दोस्तों और रिश्तेदारो का सपोर्ट लें
बार-बार आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरते समय आपको मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आप घर के सदस्यों, दोस्तों और करीबी रिश्तेदारों के साथ अपनी पेरशानी को शेयर करें। इससे आपके मन का बोझ कम होने में मदद मिलती है।
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Khushkhabri With IVF: आईवीएफ प्रक्रिया संतानहीन दंपतियों के लिए एक वरदान है, लेकिन इसे बार-बार कराने के अपने खतरे हैं। यह जरूरी है कि दंपति इस प्रक्रिया को समझदारी और धैर्य के साथ अपनाएं। । यह तकनीक उन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं। यदि आप भी इस समस्या से जूझ रही हैं, तो विशेषज्ञ से सलाह लेकर IVF प्रक्रिया के माध्यम से अपने प्रेग्नेंसी के सपने को पूरा कर सकते हैं।