आज के समय में खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी डाइट और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के कारण महिला और पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में माता-पिता बनने के लिए कई कपल IVF का सहारा ले रहे हैं। IVF प्रक्रिया के दौरान कई बार प्रेग्नेंसी की सफलता दर बढ़ाने के लिए एक से ज्यादा एंब्रियो ट्रांसफर किए जाते हैं। यहीं कारण है कि IVF की मदद से बच्चा पैदा करने वाले कपल्स को ट्वींस होते हैं। लेकिन, क्या IVF में मल्टीपल एंब्रियो ट्रांसफर करना पूरी तरह सुरक्षित होता है, या दो से ज्यादा एंब्रियो ट्रांसफर करने से मां और शिशु के स्वास्थ्य पर कोई असर पड़ सकता है। इस बारे में आइए होम आईवीएफ (Home IVF) की संस्थापक और सीड्स ऑफ इनोसेंस की फर्टिलिटी और IVF स्पेशलिस्ट डॉ. गौरी अग्रवाल (Dr. Gauri Agarwal, Founder of Home IVF, Fertility and IVF Specialist at Seeds of Innocence) से जानते हैं कि IVF में मल्टीपल एंब्रियो ट्रांसफर करने के क्या रिस्क हैं या ये कितना सुरक्षित है?
IVF में मल्टीपल एंब्रियो ट्रांसफर कितना सुरक्षित?
IVF में मल्टीपल एंब्रियो ट्रांसफर को लेकर आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. गौरी अग्रवाल कहती हैं कि, "मैं आमतौर पर IVF के दौरान दो से ज्यादा भ्रूणों को ट्रांसफर नहीं करती हूं, और अगर मैं एक जेनेटिक भ्रूण को ट्रांसफर कर रही हूं, तो सिर्फ एक ही एंब्रियो ट्रांसफर करती हूं। अगर हम एक से ज्यादा या मल्टीपल एंब्रियो ट्रांसफर करते हैं तो इससे मां और बच्चे दोनों की सेहत पर कुछ नुकसान (Is it safe to transfer three embryos?) पहुंच सकता है, जैसे समय से पहले डिलीवरी, डायबिटीज का खतरा और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम बढ़ जाता है। मल्टीपल एंब्रियो ट्रांसफर में मां की लाइफ थोड़ी मुश्किल हो सकती है।" बता दें कि जब IVF के दौरान एक से ज्यादा एंब्रियो ट्रांसफर किए जाते हैं तो गर्भधारण के सफल होने की संभावना तो बढ़ जाती है, लेकिन इससे महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम बढ़ जाते हैं।
इसे भी पढ़ें: 10 सालों के बाद मां बनीं मैसूर की उषा, जानें किन परेशानियों के बाद आईवीएफ से मिली सफलता
ट्रिपल प्रेग्नेंसी के जोखिम क्या हैं?
ट्रिपल प्रेग्नेंसी के दौरान महिला और भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है-
महिला के स्वास्थ्य पर असर
महिलाओं के लिए ट्रिपल प्रेग्नेंसी काफी मुश्किल हो सकती है, इससे न सिर्फ उनकी प्रेग्नेंसी जर्नी में परेशानी आती है, बल्कि ये उनके संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है, जैसे-
- प्रीक्लेम्पसिया का खतरा: मल्टीपल प्रेग्नेंसी जैसे ट्विन्स या ट्रिपलेट में प्रीक्लेम्पसिया यानी प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने का जोखिम बढ़ जाता है। यह स्थिति महिलाओं में ब्लड प्रेशर, किडनी और लिवर समेत शरीर के अन्य कई अंगों को प्रभावित कर सकती है।
- जेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम: एक एंब्रियो ट्रांसफल की तुलना में मल्टीपल एंब्रियो ट्रांसफर के दौरान महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज (प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज होना) की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है, जिससे डिलीवरी और बाद में बच्चे का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
- सी-सेक्शन की संभावना: मल्टीपल प्रेग्नेंसी में सी-सेक्शन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि एक साथ कई बच्चों को जन्म देने का कारण भ्रूणों की अलग-अलग पोजीशन होती है, जिन्हें नॉर्मल डिलीवरी की मदद से पैदा करना मुश्किल हो सकता है।

भ्रूण के स्वास्थ्य पर असर
ट्रिपल प्रेग्नेंसी में मां के स्वास्थ्य का असर भ्रूण के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, जिससे उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे-
- समय से पहले जन्म: ट्रिपल प्रेग्नेंसी में ज्यादातर शिशुओं का जन्म 37 हफ्ते से पहले हो जाता है, जिससे शिशुओं में सांस और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं।
- कम वजन होना: ट्रिपल प्रेग्नेंसी में वजन के दौरान शिशुओं का वजन बहुत कम होता है, जिससे उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- NICU क्पलीकेशन्स: समय से पहले जन्म होने के कारण और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के कारण ट्रिपल प्रेग्नेंसी से जन्मे बच्चों को NISU में रखा जाता है, क्योंकि उनमें सांस से जुड़ी समस्याएं, पीलिया, इंफेक्शन आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम ज्यादा होता है।
निष्कर्ष
मल्टीपल एंब्रियो ट्रांसफर से IVF में सफलता दर तो बढ़ जाती है, लेकिन इससे महिला और भ्रूण के स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ सकता है, क्योंकि हर महिला की हेल्थ अलग होती है। इतना ही नहीं ट्रिपल प्रेग्नेंसी भी काफी मुश्किल होती है।
Image Credit: Freepik
FAQ
एंब्रियो ट्रांसफर के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?
एंब्रियो ट्रांसफर के बाद आपको ऐसे खाद्य पदार्थों को खाने से बचने चाहिए, जो आपके सेहत के लिए हानिकारक हो। आप कैफीन, शराब, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड्स खाने से बचें।एंब्रियो ट्रांसफर के बाद कैसे सोना चाहिए?
एंब्रियो ट्रांसफर होने के बाद आप सोने के लिए कोई भी पॉजीशन चुन सकते हैं, जिसमें आपको आराम मिले और अच्छी नींद आए।पीरियड के कितने दिन बाद आईवीएफ होता है?
आईवीएफ ट्रीटमेंट में आमतौर पर पीरियड के दूसरे या तीसरे दिन से प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। बता दें कि, IVF प्रक्रिया में आमतौर पर 4 से 6 हफ्ते लगते हैं, लेकिन यह महिला की प्रजनन क्षमता और डॉक्टर की सलाह पर भी निर्भर करता है।