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देबिना बनर्जी की IVF जर्नी: संघर्ष, उम्मीद और सफलता की कहानी

True Story IVF Journey Actress Debina Bonnerjee In Hindi: आज की तारीख में आईवीएफ प्रक्रिया से हर कोई वाकिफ है। फिर भी कई महिलाएं इस विकल्प को चुनने से बचती हैं। आज हम आईवीएफ डे के इस खास दिन एक्ट्रेस देबिना बनर्जी की आईवीएफ जर्नी के बारे में आपको बताएंगे। यकीनन मातृत्व का उनका यह सफर लाखों-करोड़ों लोगों को मेटिवेट करेगा।
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देबिना बनर्जी की IVF जर्नी: संघर्ष, उम्मीद और सफलता की कहानी


IVF Journey Actress Debina Bonnerjee In Hindi: देबिना बनर्जी आज लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करती हैं। उनकी मौजूदगी, उनकी बातें लोगों को न सिर्फ अपनी ओर आर्षित करती हैं, बल्कि मोटिवेट भी करती हैं। हालांकि, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि छोटे पर्दे से अपने करियर की शुरुआत करने वाली देबिना ने भी अपने जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं। उन्होंने 2011 में अपने ही को-एक्टर गुरमीत चौधरी के साथ शादी की थी। वैसे तो उनकी मैरीड लाइफ आज भी लाखों लोगों के लिए प्रोत्साहित करती है और हैप्पी मैरीड लाइफ के लिए मोटिवेट करती है। लेकिन, देबिना बनर्जी के लिए पत्नी से मां बनने का सफर बहुत मुश्किल रहा। उन्होंने कई सालों तक मां बनने की प्रतीक्षा की। उन्होंने 3 अप्रैल 2022 में अपनी पहली बेटी लियाना को IVF प्रोसेस के जरिए जन्म दिया था। मां बनने के सफर में उन्हें कई तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ा। आज World IVF Day के दिन हम देबिना बनर्जी की आईवीएफ जर्नी के बारे में जानेंगे।

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सवालः आईवीएफ की आपकी ओवरऑल जर्नी कैसी रही? क्या आप बता सकती हैं कि आपको आईवीएफ क्यों करवाना पड़ा?

देबिना बनर्जीः मेरी आईवीएफ जर्नी बहुत ही इमोशनल रही है। दरअसल, मैंने  लंबे समय तक नेचुरली कंसीव करने की कोशिश की थी। लेकिन, जब काफी समय बीत गया और तमाम कोशिशों के बावजूद मुझे कोई रिजल्ट नहीं दिखा, तब हमने मेडिकल हेल्प लेने का फैसला किया। मैंने नोटिस किया है कई बार कोई मेजर प्रॉब्लम न होने के बावजूद, बॉडी सही तरह से रेस्पॉन्ड नहीं करती है। मेरे केस में भी कुछ ऐसा ही था। इसलिए डॉक्टर्स ने आईवीएफ सजेस्ट किया।

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सवालः आईवीएफ जर्नी के दौरान किस तरह की फिजिकल प्रॉब्लम को फेस करना पड़ा? कितनी बार डॉक्टर के पास जाना पड़ा?

देबिना बनर्जीः आईवीएफ प्रोसस का बॉडी पर बहुत गहरा असर पड़ता है। हर दिन एक नया टेस्ट, नए इंजेक्शंस लगवाने पड़ते हैं। इसकी वजह से बॉडी में हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसके लिए आपको बार-बार क्लिनिक जाना पड़ता है। ऐक समय बाद तो यह सब एक रूटीन की तरह लगने लगता है। जैसे कभी-कभी हफ्ते में 3-4 बार अल्ट्रासाउंड या ब्लड टेस्ट के लिए जाना पड़ता था। फिजिकली थकान होती थी, पेट फूला हुआ लगता था, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन सब कुछ होता था।

सवालः क्या फिजिकल चैलेंजेस ने आपको मेंटली परेशान किया?

देबिना बनर्जीः बिलकुल किया। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं, क्योंकि इस प्रोसेस के दौरान बॉडी में कई चेंजेस होते हैं, जिसे मेंटली एक्सेप्ट नहीं कर पाते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है कि जैसे अपना ही शरीर अब साथ नहीं दे रहा है। मन विचलित रहने लगता है। इस प्रोसेस के दौरान कई बार, बल्कि बार-बार यह ख्याल आता था कि शायद मैं कभी मां नहीं बन सकूंगी। इसके बावजूद, मैंने हिम्मत नहीं हारी। कभी-कभी खुद को ही दिलासा देना पड़ता है, ‘देबिना, तुमने बहुत कुछ फेस किया है, ये भी पार कर जाओगी।’

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सवालः क्या आपने अपनी लाइफस्टाइल और डाइट में भी कुछ चेंजेस किए थे ताकि आईवीएफ सक्सेस हो सके?

देबिना बनर्जीः हां, मैंने अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बहुत कुछ बदलाव किए। मैंने सबसे पहले आईवीएफ प्रोसेस को सीरियसली लेना शुरू किया, रेगुलर एक्सरसाइज, स्लीप साइकिल ठीक रखा और डॉक्टर द्वारा बताई गई चीजों को ही डाइट में शामिल किया। डाइट में प्रोटीन, फाइबर और आयरन रिच फूड्स ज्यादा लेने लगी। कैफीन और शुगर को पूरी तरह लिमिट कर दिया। ऐसा इसलिए किया क्योंकि डॉक्टरों के अनुसार हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से आईवीएफ की सफलतादर को बढ़ाया जा सकता है।

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सवालः कहते हैं कि आईवीएफ प्रोसेस महिलाओं के लिए बहुत मुश्किलों भरा होता है। इस दौरान आपने खुद को मेंटली स्ट्रॉन्ग कैसे बनाए रखा? क्या इसके लिए आपने एक्सपर्ट की हेल्प ली?

देबिना बनर्जीः मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकती हूं कि आईवीएफ जर्नी मुश्किल होती है। यह बहुत चुनौतियों से भरी होती है। इसके लिए, मैंने प्रॉफेशनल मदद ली थी। एक थेरपिस्ट से बात करती थी, और उस बातचीत ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। इसके अलावा, मैंने खुद को भी पॉजिटिव रखने की हर कोशिश करती थी। हालांकि, इस तरह की सोच के लिए में खुद को पॉजिटिव रखना होता है। पॉजिटिविटी के लिए मैंने मेडिटेशन किया, पॉजिटिव अफर्मेशन्स बोले, और खुद को समझाया कि ये फेज भी गुजर जाएगा।

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सवालः इस प्रोसेस में आपके हसबैंड से आपको कितना सपोर्ट मिला?

देबिना बनर्जीः मैं यह मानती हूं कि हर पत्नी को पति का सपोर्ट होना बहुत जरूरी है। खासकर, आईवीएफ जर्नी में पति साथ न दे, तो यह सफर बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन, मैं लकी हूं क्योंकि गुरमीत ने मुझे पूरा सपोर्ट किया। वह मेरे हर डॉक्टर अपॉइंटमेंट में साथ होते थे, मेरी हर थकान में मेरे लिए ग्रीन टी बनाते थे, मेरे हर डर को समझते थे। मेरे हिसाब से आईवीएफ सिर्फ एक महिला की जर्नी नहीं होती, अगर पति का पूरा साथ मिले तो आधी लड़ाई वहीं जीत ली जाती है। मैं सच में बहुत लकी हूं कि मुझे ऐसा साथी मिला।

सवालः आज भी लोग अपने आईवीएफ प्रोसीजर के बारे में खुलकर बात नहीं करते हैं। उन्हें आप क्या मैसेज देना चाहेंगी?

देबिना बनर्जीः मैं यही कहना चाहूंगी कि मां बनने का सफर हर महिला के लिए अलग-अलग होता है। कुछ महिलाएं नेचुरली कंसीव कर लेती हैं, तो कुछ महिलाएं आईवीएफ या सरोगेसी करवाती हैं। कुछ महिलाएं एडॉप्ट का विकल्प चुनती हैं। लेकिन मैं यह मानती हूं कि मां सिर्फ मां होती है। आईवीएफ करोड़ों की संख्या में लोगों को पैरेंट्स बनने के सपने को पूरा कर रहा है। इस विकल्प को चुनते हुए किसी महिला को शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। यह एक साइंटिफिक ब्लेसिंग है। जितना ज्यादा हम इसके बारे में बात करेंगे, उतनी और महिलाएं अपने डर और शर्म से बाहर आएंगी।

All Image Credit: Insta-Actress Debina Bonnerjee

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