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Khushkhabri With IVF: आईवीएफ में कब पड़ती है इक्सी (ICSI) की जरूरत? डॉक्टर से समझें

Khushkhabri With IVF: आईवीएफ प्रक्रिया में इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) के द्वारा सफल प्रेग्नेंसी की जा सकती है। आगे जानते हैं यह प्रक्रिया कब की जाती है?
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Khushkhabri With IVF: आईवीएफ में कब पड़ती है इक्सी (ICSI) की जरूरत? डॉक्टर से समझें


Khushkhabri With IVF: समय के साथ लोगों को रहन-सहन और लाइफस्टाइल में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। करियर बनाने के जद्दोजहत में आज के समय में अधिकतर लोग अधिक उम्र में शादी करते हैं। देरी से शादी होना, खान-पान की अनियमित आदतें, लाइफस्टाइल में फिजिकल एक्टिविटी की कमी के चलते लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई वर्षों के बाद भी कुछ लोगों के घर में संतान की किलकारियां नहीं गूंजती हैं। इसका एक बड़ा कारण समय फर्टिलिटी में आई कमी को माना जा सकता है। लेकिन, इसके साथ ही हार्मोनल और आनुवांशिक कारण भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। निसंतान दंपत्ति की समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर आईवीएफ (In Vitro Fertilization) का विकल्प चुनने की सलाह दे सकते हैं। यह एक नवीन और पावरफुल तकनीक हैं। इसमें महिला और पुरुष के संतान न प्राप्त करने के कारणों का ट्रीटमेंट किया जाता है। आज के इस लेख में हम आपको आईवीएफ के दौरान आईसीएसआई (Intracytoplasmic sperm Injection- ICSI) तकनीक का इस्तेमाल कब किया जाता है और यह तकनीक सफल गर्भधारण करने में कैसे काम करती है, विषय को विस्तार से बताया गया है। 

ओनलीमायहेल्थ की ओर से आईवीएफ के हर छोटे बड़े पहलुओं को विस्तार से बताने के लिए Khushkhabri With IVF सीरीज को शुरु किया गया है। इस सीरीज में आईवीएफ तकनीक से जुड़े उन प्रश्नों का जवाब दिया जाता है, जिनको लेकर लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां होती है। इन प्रश्नों के जवाब आईवीएफ के विशेषज्ञ और डॉक्टर की मदद से दिया जाता है। आज की इस कड़ी में हम आपको यशोदा फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर कड़कड़डूमा की इन्फ़र्टिलिटी और आईवीएफ कंसलटेंट डॉ. स्नेहा मिश्रा से जानते हैं कि आईवीएफ ट्रीटमेंट में आईसीएसआई तकनीक कब की जाती है और इससे क्या फायदे होते हैं। साथ ही, यह भी जानेंगे कि क्या इस तकनीक से क्या आईवीएफ में गर्भधारण करने की सफलता की संभावनाएं बढ़ाई जा सकती है। 

ICSI तकनीक क्या होती है? - What is ICSI Procedure in IVF In Hindi

इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) में महिला के एग्स को लैब में निकाला जाता है और उसे पुरुष के शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में एग्स और शुक्राणु मिलकर भ्रूण (Embryo) का निर्माण करते हैं। इसके बाद इस एंब्रियो को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है, जिससे गर्भधारण हो सके। लेकिन, कई बार पुरुष के स्पर्म काउंट कम होने या उसकी क्वालिटी खराब होने की वजह से गर्भधारण में समस्या हो सकती है। ऐसे में इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) तकनी को अपनाया जाता है। IVF में जब पुरुष के स्पर्म की जांच की जाती है और उनकी क्वालिटी या क्वांटीटी पूरी नहीं होती है तब पुरुष के स्पर्म को सीधे महिला के एग्स में इंजेक्ट किया जाता है। आईवीएफ के दौरान ICSI तकनीक से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। ICSI की प्रक्रिया को बहुत ही बारीकी और कुशलता से किया जाता है, क्योंकि इसमें सूक्ष्म उपकरणों का उपयोग किया जाता है।

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IVF के साथ ICSI का उपयोग कब किया जाता है? - When Is ICSI Procedure Needed In IVF Treatment in Hindi

पुरुष इंफर्टिलिटी में 

जब पुरुष में स्पर्म की संख्या कम होती है, तो ICSI एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह उन पुरुषों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है जिनके स्पर्म की गतिशीलता (motility) में समस्या होती है।

IVF के असफल प्रयास के बाद ICSI करना

अगर किसी कपल ने IVF का प्रयास किया हो और उसमें सफलता नहीं मिली हो, तो ICSI को IVF के साथ जोड़ने से सफलता की संभावना बढ़ सकती है। इस स्थिति में ICSI द्वारा एग्स के भीतर स्पर्म को प्रत्यक्ष रूप से इंजेक्ट किया जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन में सहायता मिलती है।

बिना किसी कारण बांझपन होना (Unexplained Infertility)

कुछ मामलों में बांझपन का कारण स्पष्ट नहीं होता है। ऐसे में IVF के साथ ICSI का उपयोग एक विकल्प के रूप में किया जा सकता है ताकि फर्टिलाइजेशन की संभावना को बढ़ाया जा सके।

एंटी-स्पर्म एंटीबॉडी

कुछ मामलों में महिला या पुरुष के शरीर में ऐसे एंटीबॉडीज मौजूद हो सकते हैं जो स्पर्म को नष्ट कर सकते हैं। ऐसे में, ICSI द्वारा स्पर्म को सीधे महिला के एग्स में इंजेक्ट करने से इस समस्या से बचा जा सकता है और फर्टिलाइजेशन का अवसर बढ़ता है।

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IVF के साथ ICSI की प्रक्रिया कैसे होती है? - Procedure Of ICSI In Hindi 

एग्स को निकालना (Egg Retrieval)

पहले महिला को हार्मोनल दवाइयां दी जाती हैं ताकि कई एग्स विकसित हों। इसके बाद अल्ट्रासाउंड गाइडेंस के तहत एग्स को निकाल लिया जाता है।

स्पर्म को  कलेक्ट करना (Sperm Collection)

पुरुष से स्पर्म का सैंपल लिया जाता है। अगर स्पर्म सामान्य रूप से उपलब्ध नहीं हैं, तो टेस्टिकल्स से सर्जिकल तरीके से शुक्राणु (Sperms) निकाले जाते हैं।

एग्स में स्पर्म को इंजेक्ट करना (Injection of Sperm into Egg)

ICSI प्रक्रिया के दौरान एक स्वस्थ स्पर्म को माइक्रोइंजेक्शन तकनीक द्वारा सीधे महिला के एग में इंजेक्ट किया जाता है। यह सबसे संवेदनशील प्रक्रिया है और उच्च स्तर की कुशलता की आवश्यकता होती है।

भ्रूण का विकास (Embryo Development)

इंजेक्शन के बाद एग्स को लैब में रखा जाता है, जहां यह एंब्रियो बनने की प्रक्रिया आगे चलती है। एंब्रियो के बनने के बाद इसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

IVF के साथ ICSI के फायदे - Benefits OF ICSI Procedure In Hindi 

  • ICSI प्रक्रिया फर्टिलाइजेशन में सफलता दर को बढ़ाती है, खासकर तब जब पुरुष में बांझपन की समस्या हो।
  • जिन मामलों में बांझपन का कारण ज्ञात नहीं है, ICSI एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में मददगार साबित होता है।
  • इस प्रक्रिया में हेल्दी स्पर्म को चुनकर उसे एग्स में प्रत्यक्ष रूप से इंजेक्ट किया जाता है, जिससे एंब्रियो की गुणवत्ता में सुधार होता है।

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IVF और ICSI तकनीक ने इंफर्टिलिटी का इलाज करने में काफी मदद की है। यह उन दंपतियों के लिए एक बड़ा सहारा है, जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, यह तकनीक हर किसी के लिए नहीं होती, लेकिन जिन दंपतियों में स्पर्म की कमी, अज्ञात बांझपन, या पहले असफल IVF के मामले होते हैं, उनके लिए ICSI एक उपयोगी विकल्प साबित हो सकता है। आईवीएफ के बारे में इन अधिक जानकारी के लिए आप हमारी सीरीज को आगे भी पढ़ते रहें।


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