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Khushkhabri With IVF: आईवीएफ की सफलता दर किन बातों पर निर्भर करती है? डॉक्टर से जानें 6 कारकों के बारे में

Khushkhabri With IVF: आईवीएफ की सफलता दर कई तरह की बातों पर निर्भर करती है, जैसे लाइफस्टाइल फैक्टर, हेल्दी एग्स और स्पर्म क्वालिटी आदि। अन्य कारक भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। जानें, इनके बारे में-
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Khushkhabri With IVF: आईवीएफ की सफलता दर किन बातों पर निर्भर करती है? डॉक्टर से जानें 6 कारकों के बारे में


Khushkhabri With IVF: आईवीएफ जटिल प्रक्रिया होने के बावजूद अब तक लाखों-करोड़ों कपल्स इस विकल्प को पैरेंट्स बनने के लिए चुन चुके हैं। अच्छी बात ये है कि कई पैरेंट्स के अधूरे सपने भी इस प्रक्रिया के जरिए सफल हुए हैं। यही कारण है कि मौजूदा समय में लोगों का विश्वास आईवीएफ प्रक्रिया की ओर बढ़ा है। हालांकि, आईवीएफ प्रक्रिया में कई तरह की जटिलताएं, परेशानियां और असफलता की आशंका भी बनी रहती है। इसके बावजूद, यह देखने में आता है कि आज की तारीख में कई लोग इस विकल्प को चुन रहे हैं। ऐसा इसलिए भी हो रहा है, क्योंकि दिनों-दिन महिला और पुरुषों में इंफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। जैसे अब महिलाएं देर से शादी करती हैं, बच्चा देर से प्लान करती हैं और खराब जीवनशैली ने भी महिला-पुरुष में इंफर्टिलिटी को बढ़ावा दिया है। ऐसे में आईवीएफ प्रक्रिया की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है और मॉडर्न जमाने में यह लाखों-करोडों कपल्स की जरूरत बन गया है। इसलिए, यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि आखिर आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर किस बात पर निर्भर करती है?

ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF नाम से एक स्पेशल सीरीज चलाई है, जिसमें आपको आईवीएफ से जुड़े सवालों के जवाब मिल जाएंगे। इस सीरीज हम आपको बता रहे हैं कि क्या आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर कितनी होती है? यह प्रक्रिया किन लोगों में अधिक कारगर तरीके से काम करती है। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से। अगर आप भी IVF के जरिये प्रेग्नेंसी प्लान करने की सोच रहे हैं, तो इस लेख से आपको मदद मिल सकती है।

आईवीएफ की सफलता दर किस बात पर निर्भर करती है?- IVF Success Factors In Hindi

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1. पिछली प्रेग्नेंसी पर निर्भर

अगर महिला की पिछली प्रेग्नेंसी सामान्य रही और सफल हुई हो, तो अगली प्रेग्नेंसी की सफलता दर अपने आप बढ़ जाती है। ऐसा ही आईवीएफ प्रक्रिया के साथ भी होता है। अगर महिला की पिछली आईवीएफ प्रक्रिया सामान्य रही है, तो अगली आईवीएफ प्रक्रिया के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, अगर महिला का कई बार मिसकैरेज हो चुका है, तो ऐसे में आईवीएफ की सफलतादर प्रभावित हो सकती है।

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2. महिला की उम्र

24 से 34 वर्ष की महिलाओं में आईवीएफ प्रक्रिया सफल होने की उम्मीद अधिक होती है। असल में, 24 से 34 की उम्र में महिलाएं अधिक फर्टाइल होती हैं। वहीं, 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं की फर्टिलिटी कम होने लगती है। इसलिए, इस उम्र के बाद आईवीएफ प्रक्रिया करवाने से कंसीव करने की संभावना अपने आप कम हो जाती है। विशेषज्ञों की मानें, तो जब कोई महिला 40 वर्ष की आयु तक पहुंचती है, तो सफलता दर लगभग 13.6 फीसदी तक गिर जाती है। हालांकि, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि महिलाएं जब तक रिप्रोडक्टिव रहती हैं, तब तक आईवीएफ प्रक्रिया के सफल होने की संभावना बनी रहती है।

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3. प्रजनन संबंधी समस्या

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आमतौर पर आईवीएफ प्रक्रिया की जरूरत उन्हीं महिलाओं को होती है, जिन्हें प्रजनन संबंधी समस्या होती है। अगर प्रजनन संबंधी समस्या ज्यादा गंभीर न हो, लेकिन उसकी वजह से नेचुरली कंसीव करना महिला के लिए मुश्किल है। ऐसे में महिला आईवीएफ की मदद से प्रजनन संबंधी समस्या को मात देते हुए कंसीव कर सकती हैं। प्रजनन संबंधी समस्या कई तरह की हो सकती है, जैसे फाइब्रॉएड ट्यूमर, गर्भाशय संबंधी असामान्यताएं, बांझपन, ओवरी से जुड़ी समस्या आदि। हालांकि, आईवीएफ बहुत सारी प्रजनन संबंधी समस्याओं को सफलतापूर्वक दूर कर सकता है।

4. अंडे और भ्रूण की गुणवत्ता

आईवीएफ प्रक्रिया सफल होगी या नहीं, यह महिला के अंडे और भ्रूण की गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है। अंडे की क्वालिटी जितनी अच्छी होगी, कंसीव करने की संभावना उतनी ज्यादा होती है। वीर्य की गुणवत्ता खराब हो, तब भी महिला के आईवीएफ के जरिए कंसीव करना मुश्किल हो जाता है। असल में, पुरुष पुरुष प्रजनन कारक भी भ्रूण को प्रभावित करते हैं। यदि पुरुष पार्टनर को प्रजनन संबंधी समस्याएं हैं, तो उन्हें अपना इलाज करवाना चाहिए। वहीं, अगर महिला डोनर एग की मदद से आईवीएफ प्रक्रिया करवा रही हैं, तो उन्हें भी डोनर की उम्र और फर्टिलिटी के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

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5. एंब्रियो ट्रांसफर प्रक्रिया 

एंब्रियो ट्रांसफर प्रक्रिया आईवीएफ ट्रीटमेंट का सबसे अहम चरण होता है। भ्रूण का स्वास्थ्य और गर्भाशय में सफल प्रत्यारोपण होना बहुत जरूरी है। यह तभी तय होता है कि एंब्रियो ट्रांसफर सही तरह यानी सफलतापूर्वक होता है। अगर एंब्रियो ट्रांसफर असफल हो जाए, तो आईवीएफ प्रक्रिया पूरी तरह फेल हो सकता है।

6. लाइफस्टाइल से जुड़े कारक

आईवीएफ प्रक्रिया के सफल होने के पीछे लाइफस्टाइल से जुड़े कारक भी जिम्मेदार होते हैं। आईवीएफ शुरू करने से कम से कम तीन महीने पहले, धूम्रपान और शराब के सेवन से दूर रहना चाहिए। ध्यान रखें कि जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं, उनकी आईवीएफ प्रक्रिया के सफल होने की संभावना भी कम होती है। ऐसी महिलाओं में लगभग 50 फीसदी तक सफल होने की संभावना कम हो जाती है। आईवीएफ के सफल होने के पीछे संतुलित वजन, अच्छी डाइट और दवाओं को समय पर लेने जैसे फैक्टर महत्वपूर्ण हैं। अच्छी बात यह है कि आप अपनी जीवनशैली को मैनेज कर आईवीएफ सफलता दर को बढ़ा सकती हैं।

All Image Credit: Freepik

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