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Khushkhabri with IVF: ट्यूबल ब्लॉकेज की वजह से कंसीव नहीं कर पा रही थीं कविता, IVF की मदद से मिली गुड न्यूज

Khushkhabri with IVF: कविता नेचुरल तरीके से मां नहीं बन पा रही थी, क्योंकि उन्हें ट्यूबल ब्लॉकेज की समस्या थी। लेकिन, आईवीएफ की मदद से उन्हें मां बनने का सुख प्राप्त हुआ।
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Khushkhabri with IVF: ट्यूबल ब्लॉकेज की वजह से कंसीव नहीं कर पा रही थीं कविता, IVF की मदद से मिली गुड न्यूज


आईवीएफ तकनीक का सहारा तभी लिया जाता है, जब कोई प्राकृतिक तरीके से कंसीव नहीं कर पाता है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जिसकी वजह से नेचुरल तरीके से कंसीव करना चैलेंजिंग हो जाता है। इसमें कुछ मेडिकल कंडीशंस और हेल्थ कंडीशन शामिल हैं। जैसे पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस, ट्यूबल ब्लॉकेज आदि। इसी तरह की एक प्रॉब्लम से गुजर रही थीं कविता शर्मा। आज इस लेख में हम कविता शर्मा की कहानी के बारे में जानेंगे कि आखिर उन्हें आईवीएफ की जरूरत क्यों पड़ी और अंततः क्या उनके घर खुशियों ने दस्तक दी?

आईवीएफ को लेकर आपके मन में कई तरह के सवाल होंगे । इन्हीं सवालों को ध्यान में रखते हुए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF नाम से एक स्पेशल सीरीज चलाई है। आज इस लेख में हम आपको कविता शर्मा और मनोज शर्मा की कहानी बता रहे हैं।  जिन्होंने नेचुरल तरीके से कंसीव करने की कोशिश की। लेकिन इसमें नाकाम रहे। लेकिन वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता की देखरेख और IVF ट्रीटमेंट की मदद से वे पेरेंट्स बनने में सफल हुए। ऐसा कैसे हुआ? जानने के लिए कविता की पूरी कहानी पढ़ें। 

पहले किया नेचुरल तरीके से कोशिश

true story kavita sharma journey to parenthood with ivf

कविता की उम्र 27 साल है। उनकी शादी कम उम्र में ही हो गई थी। उनकी फिजिकल हेल्थ भी बिल्कुल सही थी। इसलिए, उन्हें कभी यह अहसास ही नहीं हुआ कि प्रेग्नेंसी से जुड़ी किसी तरह की समस्या उन्हें हो सकती है। उनके पीरियड्स नॉर्मल थे, वजन सामान्य था और सब चीजें सही चल रही थीं। उन्हें किसी तरह की मेडिकल कंडीश्न भी नहीं थी। शादी के कुछ सालों बाद जब पहली बार कविता ने नेचुरल तरीके से कंसीव करने की कोशिश की, तो वह इसमें कामयाब नहीं हुई।

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समस्या का चला पता

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जब तमाम कोशिशों के बावजूद नेचुरल तरीके से कविता कंसीव नहीं कर पाई, तो उन्हें लगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? समस्या क्या है? इस संबंध में बिना देरी किए कविता और मनोज डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने न सिर्फ कविता को कई सारे टेस्ट करने सलाह दी, बल्कि मनोज को भी कुछ टेस्ट करने को कहें। इन टेस्ट के जरिए यह पता लगाया गया कि समस्या कहां है? टेस्ट के माध्यम से पता चला कि मनोज की स्पर्म क्वालिटी, स्पर्म काउंट और स्पर्म मोबिलिटी सब सही हैं। वहीं, कविता को भी किसी तरह की खास शारीरिक समस्या नहीं थी। लेकिन, उसके फेलियापियन ट्यूब में ब्लॉकेज थी। कविता को यह जानकर गहरा झटका लगा कि प्रॉब्लम उनमें है। वह पूरी तरह निराश हो गईं कि वह कभी भी गर्भधारण नहीं कर पाएंगी। कविता ने अपनी सारी उम्मीदें छोड़ दी थी। लेकिन, डॉक्टरों ने उसे सजेस्ट किया है कि महिलाओं में इंफर्टिलिटी का एक मुख्य कारण फेलियापियन ट्यूब में ब्लॉकेज है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि वह कभी कंसीव नहीं कर सकती हैं। मां बनने के लिए वह आईवीएफ तकनीक का सहारा ले सकती हैं।

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आईवीएफ का लिया सहारा

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कविता जब कई कोशिशों के बावजूद नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पाईं, तो उन्होंने आईवीएफ की मदद ली। उन्हें किसी ने मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर में डॉक्टर शोभा गुप्ता से कंसल्ट करने की सलाह दी। जब कविता डॉक्टर के पास पहुंचीं, उन्हें आईवीएफ से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां दी गईं। सबसे पहले उन्हें यह स्पष्ट किया गया कि आईवीएफ के माध्यम से कंसीव किया जा सकता है। लेकिन, इसे सौ मां बनने की फीसदी गारंटी न समझे। इस प्रक्रिया के फेल होने का रिस्क होता है और महिला को कई तरह के फिजिकल मेंटल चेंजेस से भी गुजरना पड़ता है। यहां तक कि लाइफस्टाइल, डाइट, वर्कआउट आदि में बदलाव करने होते हैं। यही नहीं, ट्रीटमेंट शुरू होने से पहले कविता की काउंसलिंग भी की गई, ताकि वह हर तरह की चुनौतियों के लिए मानसिक-शारीरिक रूप से तैयार रहें।

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घर में आई खुशखबरी

कविता और मनोज, कई कपल्स की तुलना में काफी लकी साबित हुए। क्योंकि वे अपनी पहली ही कोशिश में सफल हो गए थे। कविता का कहना है, ‘मुझे डॉ. शोभा ने जो-जो टेस्ट कहें, मैंने करवाए। मैं उनकी काउंसलिंग की वजह से ट्रीटमेंट के दौरान होने वाली असहजता के लिए तैयार थी। मुझे पूरी उम्मीद थी कि भविष्य में मुझे उनकी मदद से कोई न कोई खुशखबरी जरूर मिलेगी। मुझे मेरे पति मनोज ने भी पूरा सपोर्ट किया। वे मेरी हेल्थ और डाइट का पूरा ध्यान रखते थे। जब मैंने कंसीव किया था, उसके बाद से मैंने एक दिन भी अनहेल्दी चीजों को नहीं हाथ लगाया। अपनी हेल्थ का ध्यान रखा। समय-समय पर जरूरी जांच करवाती रही और अंततः मेरी गोद में मेरे दो नन्हे-नन्हे बच्चे थे। मुझे आईवीएफ के जरिए दो संताने प्राप्त हुईं, जिन्होंने मेरा परिवार पूरा कर दिया।’

अगर आप IVF के जरिए पेरेंट्स बनने की चाहत को पूरा करना चाहते हैं, तो जितना जल्दी हो इस तकनीक की मदद लें। ध्यान रखें कि बढ़ती उम्र में IVF की सफलता दर कम हो जाती है। साथ ही कई जटिलताएं भी बढ़ जाती हैं। इस संबंध में एक्सपर्ट से संपर्क करें। हमने अपने इस Khuskhabri with IVF की इस स्पेशल सीरीज में आईवीएफ से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताई हैं। फिर भी मन में कोई सवाल रह जाए, तो इस संबंध में हमारी वेबसाइट में विजिट करें।

All Image Credit: Freepik

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