Kya IVF Me Miscarriage Hota Hai: आईवीएफ एक जटिल प्रकिया है। इस प्रक्रिया की मदद से अब तक लाखों-करोड़ों कपल्स पेरेंट्स बन चुके हैं। लेकिन, यह भी सच है कि यह प्रक्रिया काफी चुनौतियों से भरी हुई है। इसमें महिला को फिजिकल-मेंटल पेन से गुजरना पड़ता है। कई तरह के इंजेक्शन लगाए जाते हैं और महिला को अपनी लाइफस्टाइल को भी पूरी तरह बदलना पड़ता है। यह सब सिर्फ इसलिए किया जाता है, ताकि महिला मां बन सके। इसके बावजूद, कई कपल्स इस प्रक्रिया से पेरेट्स बनने का सुख प्राप्त नहीं कर पाते हैं। सवाल है, ऐसा क्यों होता है? ऐसा बार-बार मिसैरेज होने के कारण हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें, तो आईवीएफ में नॉर्मल प्रेग्नेंसी की तुलना में मिसकैरेज का रिस्क अधिक होता है। इसके क्या कारण हो सकते हैं, इस संबंध में हम इस लेख में विस्तार से जानेंगे।
आईवीएफ को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं। इन्हीं सवालों को ध्यान में रखते हुए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF नाम से एक स्पेशल सीरीज चलाई है। आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर IVF ट्रीटमेंट के दौरान किसी महिला का बार-बार मिसकैरेज क्यों होता है? इस विषय को समझने के लिए हमारी टीम ने ठकराल होस्पिटल एंड फर्टिलिटी सेंटर, गुड़गांव की डायरेक्टर डॉक्टर नीरु ठकराल से बात की। अगर आप भी IVF के जरिये प्रेग्नेंसी प्लान करने की सोच रहे हैं, तो इस स्टोरी से आपको मदद मिल सकती है।
आईवीएफ और मिसकैरेज- IVF And Miscarriage In Hindi
आईवीएफ यानी इनविट्रो फर्टिलिटी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एग्स और स्पर्म लिए जाते हैं, जिन्हें लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद एंब्रेयो को यूट्रस यानी गर्भाशय में एनेस्थीसिया की मदद से ट्रांसफर किया जाता है। अगर प्रकिया सही रहती है, तो इसके बाद महिला कंसीव कर लेती है। वहीं, अगर किसी तरह की परेशानी होती है, तो मिसकैरेज होने का जोखिम हो सकता है। आपको बता दें कि जब 20 सप्ताह से पहले प्रेग्नेंसी लॉस हो जाती है, तो उसे मिसकैरेज कहा जाता है। जाहिर है, मिसकैरेज किसी भी महिला के लिए न सिर्फ कष्टकारी होता है, बल्कि इमोशनली भी उसे तोड़ देता है। आगे इस लेख में हम जानते हैं कि आखिर आईवीएफ में मिसकैरेज होने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं।
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आईवीएफ में मिसकैरेज होने के कारण- Causes Of Miscarriage After IVF In Hindi
जेनेटिक असामान्यताएं
अगर एंब्रेयो में किसी तरह की जेनेटिक असामान्यता हो, तो ऐसे में मिसकैरेज का जोखिम हो सकता है। इसमें क्रोमोसोमल एब्नॉर्मलिटीज भी शामिल हैं। दरअसल, क्रोमोसोमल एब्नॉर्मलिटीज होने पर इंप्लांटेशन फेलियर हो सकता है, जिससे मिसकैरेज का जोखिम बढ़ जाता है।
हार्मोनल इंबैलेंस
आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिलाओं में हार्मोनल बैलेंस होना बहुत जरूरी है। अगर किसी वजह से महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है, तो ऐसे में हार्मोनल इंबैलेंस का जोखिम बढ़ जाता है। ध्यान रखें कि प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बढ़ोत्तरी होने पर मिसकैरेज होने का रिस्क रहता है।
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यूटेराइन एब्नॉर्मलिटीज
अगर महिला को फाइब्रॉएड, पीसीओडी या एंडोमेट्रियोसिस जैसी यूटेराइन एब्नॉर्मलिटीज हैं, तो भी मिसकैरेज होने का जोखिम रहता है। यही नहीं, अगर यूट्रस का शेप एब्नॉर्मल हो, तो भी गर्भपात होने का रिस्क रहता है।
बुरी आदतें
अगर आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिला स्मोकिंग या शराब का सेवन करती है, वजन ज्यादा है या फिर ट्रीटमेंट का महिला की हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। ये सभी बातें मिसकैरेज के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
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दोबारा आईवीएफ ट्रीटमेंट कब ट्राई करें- When To Try IVF Again After A Miscarriage In Hindi
वैसे तो आईवीएफ ट्रीटमेंट फेल होने या मिसकैरेज के बाद कपल दोबार इस ट्रीटमेंट को कब दोबारा ट्राई करना चाहते हैं, यह उनका निजी फैसला होता है। हालांकि, महिला को हमेशा दोबारा आईवीएफ ट्रीटमेंट ट्राई करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। वे महिला की इमोशनल-फिजिकल हेल्थ की जांच करेंगे। उसके मेंस्ट्रुअल साइकिल पर नजर रखेंगे और यह देखेंगे कि क्या शरीर दोबारा कंसीव करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इन्हीं सब बातों पर गौर करते हुए महिला को आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए दोबारा तैयार किया जाता है। इसके अलावा, डॉक्टर्स कुछ मेडिकल टेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं, जिससे पता चल सके कि महिलरा की बॉडी अगले आईवीएफ साइकिल के लिए रेडी है।
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दोबारा आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने से पहले महिलाएं क्या करें- How To Prepare For Pregnancy After IVF After A Miscarriage In Hindi
दोबरा आईवीएफ ट्रीटमेंट से गुजरना अपने आप में नई चुनौतियों भरा होता है। खासकर, तब जब यह एक कोशिश नाकाम हो चुकी हो। इसके बावजूद, आपको उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करके आप आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए खुद को नए सिरे से तैयार कर सकती हैं और इससे सफलता दर भी बढ़ सकती है, जैसे-
- आईवीएफ फेल होने के बाद आप काउंसलर की मदद जरूर लें। वे आपको सपोर्ट ग्रुप से मिलने की सलाह देंगे। वहां आपको अपने जैसे कुछ मिलेंगे, जिनसे बात करे आप बेटर फील करेंगी और इमोश्नली हील हो सकेंगी।
- फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से मिलना भी बहुत जरूरी है। अगर एक बार आईवीएफ अटेंप्ट फेल हो गया है, तो निराश न हों। उन चीजों पर काम करें, जिससे मिसकैरेज हुआ था। इसके लिए, फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट की मदद लें।
- अपने फिजिकल हेल्थ का ध्यान जरूर रखें। सेहत में सुधार होने से कंसीव करने की संभावना बढ़ जात है और मिसकैरेज का जोखिम भी कम हो जाता है।
- मानसिक रूप से हमेशा पॉजिटिव रहें। ध्यान रखें कि आपका निगेटिव थॉट आपके आईवीएफ प्रोसेस पर निगेटिव इंपैक्ट छोड़ सकता है। वहीं, पॉजिटिव रहने से स्वास्थ्य सही रहता है और आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता दर बढ़ती है।
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