
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपकी नाभि के आसपास सूजन, दर्द या लालिमा हो रही है? या नहाने के बाद वहां से हल्की बदबू या चिपचिपाहट महसूस होती है? अगर हां, तो यह नाभि के पकने (Nabhi Pakna) की शुरुआत हो सकती है। अक्सर लोग इसे मामूली त्वचा समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार नाभि शरीर का केंद्र है जहां से नाड़ियां जुड़ी होती हैं। इसलिए इसका असंतुलन पूरे शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, नाभि पकने के क्या कारण हैं और इसका इलाज क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार नाभि के पकने के कारण
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि नाभि के पकने के कई कारण हो सकते हैं, कभी यह ड्राईनेस (शुष्कता) की वजह से होता है, तो कभी फंगल या बैक्टीरियल इंफेक्शन से। बार-बार नाभि को छूना या उसकी सफाई न करना भी संक्रमण को बढ़ा देता है। नाभि का संबंध पाचन तंत्र और त्रिदोषों से भी माना गया है। जब शरीर में वात या पित्त दोष असंतुलित हो जाते हैं, तो नाभि के आसपास की त्वचा में गर्मी और सूजन बढ़ जाती है, जिससे नाभि पक सकती है।
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- शरीर में नमी की कमी होने या बार-बार नाभि को साबुन से धोने से वहां की त्वचा सूख जाती है, जिससे हल्की दरारें या जलन पैदा होती है। यही जगह आगे चलकर संक्रमित हो सकती है।
- नाभि को बार-बार छूने से वहां बैक्टीरिया या धूल-मिट्टी जमा हो जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- गर्मी के मौसम में पसीना और गंदगी नाभि में जमा होकर फंगल इन्फेक्शन को बढ़ावा देते हैं।
- कभी-कभी नाभि के आसपास फुंसी या छोटे दाने निकल आते हैं, जो पककर मवाद बनाते हैं और दर्द पैदा करते हैं।
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नाभि पकने का इलाज
आयुर्वेद के अनुसार नाभि की नियमित ऑयलिंग (तेल लगाना) शरीर के कई रोगों से बचाव का सरल और प्रभावी उपाय है। डॉ. श्रेय शर्मा का कहना है कि नाभि की त्वचा पतली और संवेदनशील होती है, इसलिए इसमें तेल लगाने से न केवल ड्राईनेस खत्म होती है बल्कि रक्तसंचार और नमी का संतुलन भी बना रहता है। रोज रात को सोने से पहले नाभि में 2-3 बूंद सरसों या नारियल तेल डालने से संक्रमण की संभावना कम होती है और सूजन में राहत मिलती है।
गंधक युक्त दूध
डॉ. शर्मा के अनुसार, अगर नाभि में बार-बार संक्रमण या पकने की समस्या होती है, तो रात को दूध में थोड़ा सा गंधक मिलाकर पीना लाभकारी होता है। यह शरीर के भीतर से गर्मी और सूजन को कम करता है, जिससे संक्रमण धीरे-धीरे शांत हो जाता है।
निष्कर्ष
नाभि का पकना सुनने में मामूली लग सकता है, लेकिन अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर संक्रमण का रूप भी ले सकता है। नाभि शरीर की कई नाड़ियों से जुड़ी होती है, इसलिए इसका स्वस्थ रहना पूरे शरीर के संतुलन के लिए जरूरी है। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, नाभि शरीर का केंद्र है, इसलिए इसकी सफाई और ऑयलिंग उतनी ही जरूरी है जितनी चेहरे या बालों की देखभाल। अगर नाभि में बार-बार सूजन या दर्द होता है, तो यह शरीर के अंदर बढ़े हुए पित्त और वात दोष का संकेत भी हो सकता है।
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FAQ
नाभि के पकने के क्या लक्षण होते हैं?
नाभि के पकने पर वहां लालिमा, सूजन, हल्का दर्द, खुजली, बदबू या मवाद जैसी समस्या हो सकती है। कभी-कभी हल्का बुखार या जलन भी महसूस होती है।क्या नाभि में तेल लगाना फायदेमंद होता है?
नाभि में सरसों, नारियल या तिल का तेल लगाने से ड्राईनेस, सूजन और संक्रमण से बचाव होता है। नियमित ऑयलिंग से नाभि स्वस्थ रहती है और त्वचा में नमी बनी रहती है।नाभि की सफाई कितनी बार करनी चाहिए?
नाभि की सफाई सप्ताह में 2-3 बार हल्के गुनगुने पानी से करें। नहाने के बाद उसे पूरी तरह सुखाएं और चाहें तो कुछ बूंदें तेल की लगाएं।
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Current Version
Nov 05, 2025 09:32 IST
Published By : Akanksha Tiwari