
Toxic Shock Syndrome In Hindi: पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज तक महिलाओं के लिए अपनी वजाइनल हेल्थ पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए सही पोषण और सही हाइजीन दोनों का ध्यान रखना जरूरी है। लेकिन कई महिलाएं पीरियड्स हाइजीन को हल्के में लेने लगती हैं, जो शरीर में बैक्टीरिया पनपने और गंभीर बीमारियों का कारण बनने लगती हैं। इसी प्रकार एक गंभीर समस्या है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम। अनहेल्दी लाइफस्टाइल और पीरियड्स के दौरान हाइजीन पर ध्यान न देना, घाव या सर्जरी भी इस समस्या के जोखिमो को बढ़ा सकता है। अध्ययनों की मानें तो टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के बढ़ने के कारण कई हानिकारक बीमारियों का खतरा हो सकता है। ऐसे में जरूरी है इस समस्या के लक्षणों और कारणों को विस्तार से समझा जाए। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के बारे गहनता से जानने के लिए हमने बात की सीके बिड़ला अस्पताल (आर) दिल्ली की ऑब्सटेट्रिक्स और गायनोकॉलोजी की कंसलटेंट डॉ प्रियंका सुहाग से, जिन्होनें इस समस्या के बारे में विस्तार से बात की।

जानिए क्या है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम? What Is Toxic Shock Syndrome
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक गंभीर समस्या है जिसमें व्यक्ति का ब्लड प्रेशर असंतुलित होने लगता है। यह बाहरी रूप से आने वाले बैक्टीरिया के कारण हो सकता है, जो ब्लड सर्कुलेशन में टॉक्सिन छोड़ देता है। इन टॉक्सिन्स के कारण इन्फेक्शन धीरे-धीरे शरीर के सभी हिस्सों में फैल सकता है, जो लिवर, किडनी, फैफड़े के इन्फेक्शन का कारण भी बन सकता है। इस समस्या के बढ़ने पर हाइपरटेंशन, सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर, शरीर की कमजोरी और सांस लेने में तकलीफ होने जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण - Toxic Shock Syndrome Symptoms
- अचानक तेज बुखार आना या डायरिया की समस्या होना
- चक्कर आना या बैचेनी महसूस होना
- अनियमित रूप से डिस्चार्ज होना
- अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होना
- जोड़ो में दर्द और ब्लड प्रेशर अनियमित होना
- हथेलियों और तलवों का रंग पीला पड़ना
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टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के कारण -Toxic Shock Syndrome Causes
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम की समस्या क्लोस्ट्रीडियम सोड्रेली, स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया के कारण हो सकती है। जो बाहरी रूप से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक टैम्पोन लगे रहने देना या पैड समय पर न बदलना इस समस्या के मुख्य कारणों में शामिल हो सकता है। ये बैक्टीरिया यूट्रस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जो खून में टॉक्सिन छोड़कर इन्फेक्शन फैलाते हैं। इसके अलावा किसी सर्जरी या घाव के दौरान सही इलाज और साफ-सफाई का ध्यान न रखना भी इसके जोखिम बढ़ा सकता है।
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टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम की रोकथाम कैसे करें - Precautions For Toxic Shock Syndrome
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। इसके साथ ही पीरियड्स के दौरान हाइजीन का विशेष ध्यान रखें। हर 4 से 5 घंटे में पैड बदलते रहें और वजाइना को क्लीन रखें। इसी के साथ डाइ़ट और हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतों के जरूर अपनाएं।
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