Septic Shock Symptoms: आज के समय में खराब जीवनशैली, असंतुलित खानपान समेत कई कारणों से लोग तमाम तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। कुछ बीमारियां आनुवांशिक होती हैं, जो परिवार के किसी सदस्य के जीन से एक दूसरे में ट्रांसफर होती रहती हैं। वहीं कुछ बीमारियां आपके जीवनशैली से जुड़े गलत कारणों, खानपान से जुड़ी गड़बड़ी आदि से होती हैं। सेप्टिक शॉक (Septic Shock) भी इसी तरह की एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर में संक्रमण बढ़ने के कारण होती है। इसकी वजह से ब्लड प्रेशर गंभीर रूप से प्रभावित होता है और सही समय पर इलाज न मिलने के कारण मरीज की मौत भी हो सकती है। आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं, सेप्टिक शॉक के बारे में।
क्या है सेप्टिक शॉक?- What is Septic Shock in Hindi
सेप्टिक शॉक एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी शरीर में संक्रमण फैलने के कारण होती है। संक्रमण की वजह से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन खराब हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर में सूजन होने लगती है। सूजन के कारण खून का थक्का जमने लगता है और शरीर के अंग काम करना बंद कर सकते हैं। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ समीर कहते हैं, "सेप्टिक शॉक की बीमारी बैक्टीरियल, वायरल और फंगल इन्फेक्शन बढ़ने के कारण हो सकता है। इन्फेक्शन का सही समय पर इलाज न होने से इसका खतरा बढ़ जाता है।"
इसे भी पढ़ें: ब्लड इंफेक्शन ( सेप्सिस ) क्या है ? जानें कारण, लक्षण और बचाव
सेप्टिक शॉक के लक्षण- Septic Shock Symptoms in Hindi
हर मरीज में सेप्टिक शॉक के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। संक्रमण की गंभीरता के आधार पर सेप्टिक शॉक के कुछ प्रमुख लक्षण इस तरह से हैं-
- अचानक से बहुत तेज बुखार आना
- लो ब्लड प्रेशर, जिससे चक्कर आना और बेहोशी
- सांस फूलन या तेजी से सांस लेना
- दिल की धड़कन का तेज होना
- पेशाब की मात्रा का कम होना
- किडनी फेलियर
- स्किन का ठंडा और पीला पड़ना
- मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे भ्रम, बेचैनी, और बीहोशी
सेप्टिक शॉक के कारण- What Causes Septic Shock in Hindi
सेप्टिक शॉक की बीमारी के मुख्य कारण इस तरह से हैं-
1. बैक्टीरियल संक्रमण: अधिकांश मामलों में, बैक्टीरिया संक्रमण सेप्सिस और सेप्टिक शॉक का प्रमुख कारण होता है।
2. वायरल संक्रमण: कुछ वायरस, जैसे इन्फ्लुएंजा और इबोला, सेप्टिक शॉक का कारण बन सकते हैं।
3. फंगल संक्रमण: कुछ मामलों में, फंगल संक्रमण भी सेप्टिक शॉक का कारण हो सकता है।
4. बीमारियां: निमोनिया, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI), पेट के संक्रमण, और त्वचा के संक्रमण सामान्य संक्रमण स्थल होते हैं जो सेप्सिस को जन्म दे सकते हैं।
5. स्ट्रोक या सर्जरी: बड़े सर्जरी या आघात के बाद संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
सेप्टिक शॉक की रोकथाम के टिप्स- Tips To Prevent Septic Shock in Hindi
सेप्टिक शॉक से बचाव या रोकथाम के लिए इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए-
1. संक्रमण की पहचान और उपचार: संक्रमण की शुरुआती पहचान और उचित उपचार से सेप्सिस को बढ़ने से रोका जा सकता है। एंटीबायोटिक्स का समय पर और सही उपयोग बेहद महत्वपूर्ण है।
2. टीकाकरण: टीकाकरण संक्रमण की संभावना को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन्फ्लुएंजा, न्यूमोकॉकल, और अन्य वैक्सीन से संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
3. स्वच्छता बनाए रखना: व्यक्तिगत स्वच्छता, जैसे नियमित हाथ धोना, संक्रमण को रोकने में सहायक होता है।
4. घावों की सही देखभाल: किसी भी कट या घाव को साफ और सुरक्षित रखना आवश्यक है जिससे संक्रमण न फैले।
5. स्वस्थ जीवनशैली: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और पर्याप्त नींद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं, जिससे संक्रमण का जोखिम कम होता है।
6. चिकित्सा परामर्श: यदि किसी को संक्रमण के लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए। इससे संक्रमण को प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रित किया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें: एंटीसेप्टिक और डिसइंफेक्टेंट हैं एक-दूसरे से बहुत अलग, डॉक्टर से जानें कब पड़ती है किसकी जरूरत
सेप्टिक शॉक होने पर इलाज में देरी जानलेवा हो सकती है। इस बीमारी का तुरंत और प्रभावी इलाज होना चाहिए। डॉक्टर मरीज की स्थिति के हिसाब से एंटीबायोटिक्स, वेसोप्रेसर्स, ऑक्सीजन थेरेपी और सर्जरी की सहायता से इसका इलाज करते हैं। इस स्थिति को सभी समय पर पहचान उचित इलाज लेने से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
(Image Courtesy: freepik.com)