
पीरियड्स में महिलाएं ज्यादातर सैनिटरी पैड्स के इस्तेमाल को लेकर सहज होती हैं पर अब बाजार में और कई सारे चीजें उपलब्ध होने लगी हैं, जैसे कि टैम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप। टैम्पोन उपयोग करने का तरीका भले ही अब लोगों में थोड़ा पॉपुलर हो गया है पर इसके इस्तेमाल से जुड़े कुछ खतरे भी हैं, जो शरीर के लिए बेहद नुकसानदेह है। वहीं मेन्स्ट्रुअल कप और टैम्पोन के इस्तेमाल को लेकर मेंस्ट्रुअल हाइजीन (Menstrual Hygiene) से जुड़े सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा खतरा जो इसे लेकर है, वो है टैम्पोन का इस्तेमाल (tampons) और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (Toxic Shock Syndrome) होने का डर। पर आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि क्या है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (Toxic Shock Syndrome)?

क्या है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (Toxic Shock Syndrome)?
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (Toxic Shock Syndrome) एक अचानक से होने वाली घातक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें स्टैफिलोकोकस ऑरियस या स्टैफ नामक बैक्टीरिया (Staphylococcus aureus or staph bacteria) का शरीर में ओवरग्रोथ हो जाता है यानी कि वो शरीर में हद से ज्यादा बढ़ जाते हैं। यही बैक्टीरिया शरीर में विषाक्त पदार्थों को छोड़ते हैं और इसके कारण पैदा हुई बीमारी को टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (Toxic Shock Syndrome) कहते हैं। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम महिलाओं के पीरियड्स को प्रभावित करता है, विशेष रूप से उन्हें जो टैम्पोन (tampons) का उपयोग करती हैं।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं (Toxic Shock Syndrome Symptoms)?
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम में शरीर रक्तचाप में तेज गिरावट के साथ एक तेज प्रतिक्रिया होती है, जो ऑक्सीजन को रोक देता है जिससे कारण मौत भी हो सकती है। वहीं इसके आम लक्षणों की बात करें, तो टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं को ये निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैं। जैसे कि
- -उल्टी
- -दस्त
- -ब्लड प्रेशर का कम हो जाना
- -आंखों में जलन
- -तेज बुखार और ठंड लगना
- -बेहोशी
- -मांसपेशियों में दर्द
- -सिर दर्द
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यह इतना खतरनाक क्यों है?
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम घातक हो सकता है और निम्नलिखित स्वास्थ्य परिणामों को जन्म दे सकता है। जैसे कि
- -हाइपोटेंशन जिसमें सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।
- -लिवर फेल्योर या किसी अंग का काम करना बंद कर देना।
- - सांस की तकलीफ ये शुरुआत होना और मरीज को आमतौर पर वेंटिलेटर की मदद लेनी पड़ सकती है।
- - त्वचा की सतह पर फटे चकत्ते जो गुच्छे के रूप में निकल सकते हैं।
- -शरीर के विभिन्न हिस्सों में स्किन का बाहर निकल आना।
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टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लिए उपचार प्रक्रिया क्या है?
इस तरह संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाएं डॉक्टरों द्वारा दिए जाते हैं। मरीज को डॉक्टर द्वारा बारीकी से देखा जाता है और टीएसएस के अंतर्निहित कारण के आधार पर उपचार तय किया जाता है। अगर एक महिला टैम्पोन के कारण इससे पीड़ित है, तो डॉक्टर इसे हटाने या कभी भी इस्तेमाल न करने का सुझाव देते हैं। अगर ये कारण एक खुला घाव बन गया है, तो डॉक्टर इसे साफ करेंगे और घाव से मवाद को निकाल देते हैं। साथ ही डिहाइड्रेशन से निपटने के लिए रक्तचाप और तरल पदार्थों के प्रबंधन के लिए दवाओं का सुझाव दिया जा सकता है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम को रोकने के लिए आप क्या सावधानियां बरत सकती हैं?
- -हर 4 घंटे के बाद अपने टैम्पोन को बदलें या पीरियड्स के दौरान हल्का प्रवाह होने पर बस एक सैनिटरी नैपकिन का विकल्प चुनें।
- -अगर आप पीरियड्स में एक कप का इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसे बदलते समय अपने हाथों और कप को अच्छी तरह से धो लें।
- -संक्रमण से बचने के लिए हर तरह की सफाई का खास ख्याल रखें, चाहे वो टैम्पोन की हो या आपके वेजाइनल एरिया की।
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