Myths and Facts about Tampons in Hindi: हर महिला को महीने के 3 से 5 दिनों तक पीरियड्स होते हैं। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग और हाइजीन को बनाए रखने के लिए महिलाएं पहले सिर्फ पैड्स का इस्तेमाल करती थीं। लेकिन आज के समय में ब्लीडिंग को मैनेज करने करने के लिए टैम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप भी बाजार में मिलते हैं। टैम्पोन हाइजीन बनाए रखने और ब्लीडिंग सोखने में मदद करता है।
जो लड़कियां पहले पीरियड के दिन से पैड का इस्तेमाल करती हैं, उनके मन में टैम्पोन को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं। आज से लगभग 3 साल पहले जब मैंने टैम्पोन का इस्तेमाल करना शुरू किया था, तब मेरे मन भी कई तरह के सवाल थे। इन सवालों का जवाब जानने के लिए जब मैंने सर्च इंजन पर खोजा, तो कई भ्रामक जानकारियां मेरे सामने आईं, जिसका रियल लाइफ से कनेक्शन तक नहीं था। हालांकि इसके बाद मैंने डॉक्टर से बात की और बिना किसी डर के टैम्पोन का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। मेरी ही तरह जो लड़कियां पहली बार टैम्पोन का इस्तेमाल करने की सोचते हैं, तो उनके सामने कई ऐसे मिथक आते हैं, जिन पर वह आंखें मूंद कर भरोसा कर लेती हैं। आज हम इस लेख में टैम्पोन से जुड़े ऐसे ही 5 मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में बात करने जा रहे हैं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आस्था दयाल से बात की।
मिथक 1 : टैम्पोन यूज करने से वर्जिनिटी खो जाती है?
सच्चाई : डॉ. आस्था दयाल के अनुसार, पीरियड्स के दौरान टैम्पोन का इस्तेमाल करने से वर्जिनिटी का कोई भी कनेक्शन नहीं है। टैम्पोन का इस्तेमाल सिर्फ पीरियड्स को सुरक्षित और हाइजीन बनाना है। वर्जिनिटी का सीधा कनेक्शन हाइमन से होता है। टैम्पोन इतने छोटे होते हैं कि हाइमन को बिना प्रभावित किए योनि में फिट हो जाते हैं और पीरियड की ब्लीडिंग को सोख लेते हैं। डॉक्टर का कहना है कि हाइमन वजन उठाने, उम्र और शारीरिक गतिविधियों के कारण प्रभावित हो सकता है, इसका टैम्पोन से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए महिलाएं बिना वर्जिनिटी की चिंता किए टैम्पोन का इस्तेमाल कर सकती हैं।
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मिथक 2 : टैम्पोन से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (TSS) होता है।
सच्चाई : डॉक्टर के अनुसार, टैम्पोन से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (TSS) होता है, इस दावे में किसी भी तरह की सच्चाई नहीं है। महिलाओं को होने वाला टीएसएस स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। भारतीय महिलाओं में टीएसएस के मामले बहुत ही कम देखे जाते हैं। महिलाओं को होने वाली योनि संबंधी समस्याओं के मुकाबले टीएसएस का इलाज भी बहुत आसान है, इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है।
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मिथक 3 : टैम्पोन यूज करने से एंडोमेट्रियोसिस का खतरा बढ़ जाता है
सच्चाई : इस दावे में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है। टैम्पोन का इस्तेमाल करने से एंडोमेट्रियोसिस का खतरा नहीं बढ़ता है। डॉक्टर के अनुसार, पीरियड्स के दौरान जब ब्लीडिंग रोकने के लिए टैम्पोन का इस्तेमाव करती हैं और अगर वह भर जाते हैं, तो गर्भाशय ग्रीवा की दीवार पर नहीं जाते हैं, बल्कि योनि से बाहर की ओर निकलते हैं। हालांकि टैम्पोन का इस्तेमाल करते समय हाइजीन का ध्यान रखना जरूरी है। अगर आप पीरियड में टैम्पोन का इस्तेमाल कर रही हैं, तो हर 3 से 4 घंटे में इसे बदलें।
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मिथक 4 : रात को सोते समय टैम्पोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
सच्चाई : यह बात बिल्कुल सच है कि टैम्पोन का इस्तेमाल रात को सोते समय बिल्कुल नहीं करना चाहिए। दरअसल, टैम्पोन की अवधि 3 से 4 घंटे की ही होती है। वहीं, रात को कम से कम महिलाएं 7 से 8 घंटे सोती हैं। इस स्थिति में टैम्पोन का इस्तेमाल किया जाए, तो यह ओवरफ्लो होकर बेडशीट और कपड़ों को गंदा कर सकता है। एक्सपर्ट का कहना है पीरियड्स में टैम्पोन का यूज तभी करना चाहिए, जब इसे 3 से 4 घंटे पर बदला जा सके।
मिथक 5 : हर बार टॉयलेट जाने पर टैम्पोन हटाना पड़ता है।
सच्चाई : यह बात बिल्कुल गलत है कि हर बार टॉयलेट जाने का इस्तेमाल करने से पहले आपको टैम्पोन को हटाना पड़ेगा। डॉक्टर के मुताबिक, मूत्र त्याग की प्रक्रिया मूत्रमार्ग के जरिए होती है। वहीं, टैम्पोन का इस्तेमाल योनि में (जो मूत्रमार्ग के पीछे होता है) किया जाता है। आप अपने टैम्पोन को गीला किए बिना पेशाब कर सकते हैं।
डॉ. आस्था के अनुसार, टैम्पोन का इस्तेमाल पैड्स के मुकाबले थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। अगर आपके मन में टैम्पोन को लेकर कोई सवाल है, तो इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें।