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पेट के न‍िचले ह‍िस्‍से में फंगल इंफेक्‍शन की वजह हो सकती है आपकी टाइट जींस, जानें कैसे करें बचाव

टाइट जींस पहनने से पसीना जमा होता है, जिससे पेट के निचले हिस्से में फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्‍या गर्मि‍यों में ज्‍यादा होती है।
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पेट के न‍िचले ह‍िस्‍से में फंगल इंफेक्‍शन की वजह हो सकती है आपकी टाइट जींस, जानें कैसे करें बचाव


फैशन के दौर में टाइट जींस पहनना एक आम ट्रेंड बन चुका है, खासकर युवाओं और महिलाओं के बीच। यह लुक जितना स्मार्ट दिखता है, उतना ही आपकी सेहत के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है, खासकर जब इसे लंबे समय तक पहना जाए। त्वचा रोग विशेषज्ञ यह मानते हैं क‍ि गर्मी और उमस के मौसम में लगातार टाइट जींस पहनने से पेट के निचले हिस्से और कमर के आसपास फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। टाइट कपड़ों से त्वचा को हवा नहीं मिलता ज‍िससे पसीना जमता है और वहां नमी बनी रहती है, जो फंगस के पनपने के लिए अच्‍छा माहौल बनाता है। कई बार लोग इसे मामूली खुजली या चकत्ते समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्‍क‍िन इंफेक्‍शन बढ़ जाता है और दर्द, जलन या बदबू जैसी समस्याएं होने लगती हैं। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह इंफेक्शन स्किन की ऊपरी सतह से बढ़कर अंदरूनी हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि टाइट जींस कैसे फंगल इंफेक्शन को बढ़ावा देती है, इसके लक्षण क्या होते हैं और आप इससे कैसे बच सकते हैं। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने ओम स्किन क्लीनिक, लखनऊ के वरिष्ठ कंसलटेंट डर्मेटोलॉज‍िस्‍ट डॉ देवेश मिश्रा से बात की।

गर्मी में टाइट जींस पहनने से फंगल इंफेक्‍शन होने का खतरा ज्यादा होता है- More Risk of Fungal Infection in Hot Weather

टाइट जींस स्किन से चिपककर, चलने-फिरने में रगड़ पैदा करती है। खासकर कमर, पेट और थाइज के पास यह रगड़ त्वचा को कमजोर करती है। जब पसीना और नमी इन हिस्सों में जमा होता है, तो उस जगह फंगल ग्रोथ होने लगती है। स्किन की नेचुरल बैरियर टूटने लगती है और इंफेक्शन जल्दी फैलता है। गर्मी के मौसम में शरीर से ज्यादा पसीना निकलता है। जब आप टाइट कपड़े पहनते हैं, तो पसीना सूख नहीं पाता और स्किन पर नमी बनी रहती है। यह नमी फंगल इंफेक्शन को जन्म देती है। जिन लोगों को पहले से स्किन एलर्जी या डायबिटीज है, उनमें यह समस्या ज्यादा देखी जाती है।

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फंगल इंफेक्शन के लक्षण- Symptoms of Fungal Infection

  • पेट के निचले हिस्से या कमर पर लाल धब्बे होना
  • लगातार खुजली या जलन होना
  • स्किन पर सफेद या काले चकत्ते होना
  • बदबू या पसीने की तेज गंध आना
  • स्किन में दरारें या सूजन होना

अगर ये लक्षण दिखें, तो समय पर डॉक्टर से सलाह लें।

टाइट जींस पहनने से होने वाले फंगल इंफेक्‍शन से कैसे बचें?- How to Prevent Fungal Infection by Wearing Tight Jeans

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हल्के फंगल इंफेक्शन के लिए एंटी-फंगल क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। घरेलू उपायों में नारियल तेल और टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल फंगल एरिया पर किया जा सकता है क्योंकि ये दोनों प्राकृतिक एंटी-फंगल एजेंट्स होते हैं। अब जानते हैं फंगल इंफेक्‍शन से बचने के उपाय-

  • बहुत टाइट कपड़े पहनने से बचें।
  • कॉटन या ढीले कपड़े पहनें जो स्किन को सांस लेने दें।
  • दिन में एक बार नहाएं और स्किन को अच्छे से सुखाएं।
  • पसीने वाली जगहों पर एंटी-फंगल पाउडर का इस्तेमाल करें।
  • गर्मियों में जींस की जगह लूज ट्राउजर्स या कुर्ता-पायजामा पहनें।
  • अंडरगारमेंट्स को रोज बदलें और धूप में सुखाएं ताकि उनमें नमी न रहे।
  • फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए साफ-सफाई सबसे जरूरी है। नहाने के बाद स्किन को अच्छे से सुखाना, टॉवल शेयर न करना और नियमित कपड़े धोना भी जरूरी है।

टाइट जींस भले ही फैशन स्टेटमेंट हो, लेकिन इसकी वजह से होने वाली स्किन प्रॉब्लम्स को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। अगर आप फंगल इंफेक्शन से बचना चाहते हैं, तो कपड़ों के चुनाव में स्मार्ट रहें और स्किन की हाइजीन पर पूरा ध्यान दें।

उम्‍मीद करते हैं क‍ि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।

image credit: hips.hearstapps.com, drsafehands.com

FAQ

  • क्या टाइट जींस से इंफेक्‍शन हो सकता है?

    हां, टाइट जींस स्किन से चिपककर पसीना और नमी को रोकती है, जिससे फंगल इंफेक्शन या स्किन एलर्जी का खतरा बढ़ जाता है, खासकर गर्मियों में।
  • टाइट पैंट में सूजन क्यों होती है?

    टाइट पैंट ब्लड सर्कुलेशन और नसों पर दबाव डालती है, जिससे पेट और कमर के आसपास सूजन, दर्द या झुनझुनाहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • क्या टाइट कपड़े आपको बीमार कर सकते हैं?

    हां, टाइट कपड़े पहनने से स्किन इंफेक्शन, पाचन समस्याएं और नसों पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी कई समस्‍याएं हो सकती हैं।

 

 

 

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  • Oct 05, 2025 11:25 IST

    Published By : Yashaswi Mathur