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थायराइड टेस्ट में T4 का क्या मतलब है? डॉक्टर से समझें इसके ज्यादा-कम होने का सेहत पर असर

The Role Of Free T4 In Diagnosing Thyroid Disorders In Hindi: थायराइड डिसऑर्डर होने के पीछे टी4 का बहुत बड़ी भूमिका होती है। यह शरीर में कई बदलाव के लिए जिम्मेदार हो सकता है। इस लेख में डॉक्टर से समझें सब कुछ।
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थायराइड टेस्ट में T4 का क्या मतलब है? डॉक्टर से समझें इसके ज्यादा-कम होने का सेहत पर असर


The Role Of Free T4 In Diagnosing Thyroid Disorders In Hindi: थायराइड ग्लैंड में हो रही परेशानियों के कारण थायराइड डिसऑर्डर होता है। थायराइड ग्लैंड में हुई परेशानी की वजह से थायराइड ग्लैंड काफी कम या बहुत ज्यादा मात्रा में थायराइड हार्मोन बनाता है। यह दोनों स्थितियां व्यक्ति के लिए सही नहीं मानी जाती हैं। यह मरीज के गले और त्वचा को प्रभावित करता है। इसके अलावा, थायराइड ग्लैंड में हुई दिक्कत के कारण शरीर के कई फंक्शन सही तरह से काम नहीं करते हैं। आपको बता दें कि कई तरह के थायराइड डिसऑर्डर होते हैं, जैसे हाइपरथायरायडिज्म, हाइपोथायरायडिज्म, थायराइडाइटिस, थायराइड कैंसर आदि। थायराइड डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए फ्री टी4 टेस्ट किया जाता है। आखिर, इसकी क्या भूमिका होती है? आइए, जानते हैं इस लेख में। इस संबंध में हमने मुंबई के मुलुंड में स्थित फोर्टिस अस्पताल में सलाहकार एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. श्वेता बुदियाल और कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट डॉ. आकाश शाह से बात की ।

थायराइड टेस्ट में टी4 क्या है?- What Is T4 In Diagnosing Thyroid Disorders In Hindi

T4 in diagnosing thyroid disorders 01

फ्री टी4 को हम थायरोक्सिन के नाम से जानते हैं। थायराइड डिसऑर्ड के निदान में यह टेस्ट बहुत ज्यादा अहम होता है। ध्यान रखें कि थायराइड ग्लैंड द्वारा में थायरॉक्सिन प्रोड्यूस होता है। यह दो रूपों में पाया जाता है। बाउंड टी4 (प्रोटीन से जुड़ा हुआ) और फ्री टी4 (अनबाउंड और एक्टिव)। आपको बता दें कि फ्री टी4 अधिक महत्वपूर्ण होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह सीधे मेटाबॉलिज्म की प्रक्रियाओं, वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है। फ्री टी4 के स्तर को मेजर करने से टी4 की तुलना में थायरॉइड ग्लैंड की एक्टिविटी का एक्जैक्ट पता लगाया जा सकता है। ध्यान रखें कि यह टेस्ट ओवर ऑल थायरॉइड पैनल का उक हिस्सा होता है। इसमें जिसमें थायरॉइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) शामिल होता है। फ्री टी4 स्तरों का इस्तेमाल यह आकलन करने के लिए किया जाता है कि थायरॉइड ग्रंथि कितनी अच्छी तरह से हार्मोन का उत्पादन कर रही। इसके अलावा, थायराइड से जुड़ी अन्य बीमारियों का भी इसकी वजह से पता चलता है। ध्यान रखें कि टी4 की सामान्य सीमा होती है 4.5 से 11.5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलिटर (एमसीजी/डीएल)।

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टी4 के ज्यादा होने से क्या होता है?- What Happens In T4 Increases In Hindi

शरीर में टी4 ज्यादा होने से हाइपरथायरायडिज्म का रिस्क बढ़ जाता है। इसे आप ओवरएक्टिव थायराइड भी कह सकते हैं। इस तरह की स्थिति होने पर आपको कुछ बदलाव अपने शरीर में देखने को मिल सकते हैं, जैसे-

  1. अचानक वजन का कम होना। हैरानी इस बात की होती है कि टी4 होने पर ज्यादा खाने के बावजूद वजन घटता रहता है।
  2. हाइपरथायरायडिज्म के कारण हार्ट से जुड़ी परेशानी, जैसे दिल का अनियमित धड़कना आदि समस्याएं होने लगती हैं।
  3. हाइपरथायरायडिज्म के कारण व्यक्ति को नर्वसनेस, बेचैनी और बार-बार मूड स्विंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  4. हाइपरथायरायडिज्म लोगों में नींद से जुड़ी समस्या का कारण बनता है। यहां तक कि हाइपरथायरायडिज्म के कारण व्यक्ति को पसीना भी अधिक आता है। ऐसे लोग गर्म वातावरण के प्रति काफी ज्यादा सेंसटिव होते हैं।

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टी4 के कम होने से क्या होता है- What Happens In T4 Decreases In Hindi

टी4 के कम पर यह हाइपोथायरायडिज्म की ओर संकेत करता है। इसे हम अंडरएक्टिव थायराइड भी कहते हैं। इसके होने पर भी आपको कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे-

  1. थकान
  2. कमजोरी
  3. अधिक ठंड लगना
  4. हार्ट रेट का धीमा होना
  5. स्किन ड्राइनेस
  6. चेहरे पर हल्की सूजन नजर आना।

All Image Credit: Freepik

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