why Thyroid Function Tests is important for Pregnant women: यह बात हम सभी जानते हैं कि गर्भवती महिलाओं को सभी जरूरी टेस्ट करवाने चाहिए, ताकि उनके बच्चे को किसी भी बीमारी के जोखिम से बचाया जा सके। यही कारण है कि तमाम डॉक्टर महिला के कंसीव करने के तुरंत बाद कुछ टेस्ट की सूचि देते हैं। इन्हें आप रूटीन टेस्ट भी कह सकते हैं। अलग-अलग तरह के टेस्ट प्रत्येक तीन माह में किए जाते हैं। इसमें थायराइड फंक्शन टेस्ट भी शामिल है। सवाल है कि अगर थायराइड फंक्शन टेस्ट न करवाया जाए, तो आखिर इसका महिला और बच्चे के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ सकता है? इस बारे में हम न्यूबर्ग अजय शाह लॅबोरेट्री में प्रबंध निदेशक डॉ. अजय शाह से विस्तार से जाना।
गर्भवती महिलाओं को थायराइड फंक्शन टेस्ट क्यों करवाना चाहिए?- why Thyroid Function Tests is important for Pregnant women In Hindi
आमतौर पर यही माना जात है कि थायराइड की जांच करने के लिए ही थायराइड फंक्शन टेस्ट करवाया जाता है। यह टेस्ट अन्य टेस्ट की तुलना में काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल, थायराइडफ फंक्शन हर गर्भवती महिला के लिए बहुत जरूरी हे। यह बच्चे के विकास और मां के ओवर ऑल हेल्थ में सुधार में अहम भूमि निभाता है। अगर किसी वजह से प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड फंक्शन में किसी भी तरह प्रॉब्लम हो जाए, जिन्हें हम हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म के नाम से जानते हैं। ऐसे में बच्चे और मां के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, दोनों का बेहतर स्वास्थ्य बना रहे, इसके लिए थायराइड फंक्शन टेस्ट किया जाता है।
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प्रेग्नेंसी में थायराइड फंक्शन टेस्ट करवाने के फायदे
मां के स्वास्थ्य में सुधार
गर्भावस्था में थायराइड सही तरह से काम करे, इसके लिए थायराइड फंक्शन टेस्ट होता है। इन टेस्ट की मदद से गर्भपात, प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर, समय से पहले बच्चे का जन्म और बच्चे में तंत्रिका विकास से जुड़ी असामानताओं के बारे में पता लगाया जाता है। थायराइड फंक्शन टेस्ट की मदद से पहले समय से पहले ही यह पता लगाया जा सकता है कि महिला को किसी तरह की बीमारी का जोखिम तो नहीं है। अगर ऐसा है, तो उसे रोकने या कम करने में मदद मिल सकती है। इस तरह, बच्चे और मां के स्वास्थ्य में सुधार की संभावना बढ़ जाती है।
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थायराइड की दवा की मात्रा सुनिश्चित करना
कई महिलाओं को कंसीव करने से पहले ही थायरइाड होता है और कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं, जो प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड का शिकार होती हैं। थायराइड फंक्शन टेस्ट की मदद से न सिर्फ थायराइड को डायग्नोस किया जा सकता है, बल्कि गर्भवती महिला इसके रोकथाम के लिए दवा का सेवन कितनी मात्रा में करती है, इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। समय-समय पर थायराइड फंक्शन टेस्ट की मदद से मेडिसिन डोज में बदलाव या सुधार किया जा सकत है। इस तरह, महिला में थायराइड संबंधी समस्याओं को कम करने में मदत मिली है।
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थायराइड से जुड़ी बीमारियों का जोखिम कम होना
जैसा कि हमने कुछ देर पहले बताया कि कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान पहली बार थायराइड हो सकता है। इसे गर्भकालीन थायरइड के नाम से जाना जाता है। प्रेग्नेंसी में नियमित रूप से थायराइ फंक्शन टेस्ट करवाने से इसका समय से पता चल जाता है और मैनेज करने के उपाय भी मिल जाते हैं। इससे मां और भ्रूण के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव कम हो जाता है।
डिलीवरी के बाद देखभाल
जब महिला समय-समय पर थायराइड फंक्शन टेस्ट करवाती है, तो इससे डिलीवरी के बाद उन्हें सही केयर मिलने में मदद मिलती है। दरअसल, जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले से ही थायराइड है, उन्हें न सिर्फ प्रेग्नेंसी जर्नी के दैरान, बल्कि डिलीवरी के बाद स्वस्थ महिलाओं की तुलना में अधिक केयर की जरूरत होती है। खासकर, जिन महिलाओं को ऑटोइम्यून थायराइड का इतिहास है। थायराइड फंक्शन टेस्ट की मदद से डिलीवरी के बाद महिला को क्या करना है और क्या नहीं, बताया जाता है। साथ ही, जरूरी उपचार भी करवाया जाता है।
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