पेरेंट्स की ज्यादा सख्ती बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कर रही गहरा असर: स्टडी

पेरेंट्स द्वारा बरती जाने वाली सख्ती बच्चों की मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकती है।
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पेरेंट्स की ज्यादा सख्ती बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कर रही गहरा असर: स्टडी


पेरेंट्स द्वारा बरती जाने वाली सख्ती बच्चों की मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज और डबलिन द्वारा हाल ही में की गई एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ कि पेरेंट्स द्वारा बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करना या उनके सामने सख्ती बरतना उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इस शोध में 7500 से भी ज्यादा बच्चों को शामिल किया गया था। बच्चों के सामने सख्ती से पेश आना उनके लिए लॉन्ग टर्म मेंटल डिसऑर्डर का भी कारण बन सकता है।

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10 प्रतिशत बच्चों में था मेंटल हेल्थ का अधिक खतरा 

शोधकर्ताओं ने 7500 बच्चों के इस समूह में ये देखा कि इनमें से 10 प्रतिशत बच्चों में मेंटल हेल्थ खराब होने का खतरा अधिक था। इन बच्चों में पेरेंट्स द्वारा बरती जा रही सख्ती का सामना करने की आदत ज्यादा थी। हालांकि, शोध में यह भी साबित होता है कि बच्चों की मेंटल हेल्थ बिगड़ने के पीछे केवल पेरेंट्स की सख्ती ही नहीं बल्कि फीजिकल हेल्थ, जेंडर या फिर समाजिक स्थिति भी जिम्मेदार हो सकते हैं। छोटे बच्चों की तुलना में 9 साल से उपर के बच्चों में पेरेंट्स द्वारा लगाए जाने वाले अनुशासन या फिर सख्ती का मेंटल हेल्थ पर ज्यादा असर पड़ सकता है। 

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शिक्षक और चिकित्सक की भी होती है अहम भूमिका  

शोधकर्ताओं के मुताबिक बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के पीछे कहीं न कहीं शिक्षक और चिकित्सक भी मददगार साबित हो सकते हैं। इन लोगों को उन बच्चों के प्रति काफी सक्रिय रहना चाहिए, जो किसी मानसिक स्थिति से परेशान हैं या फिर उनमें मानिसक स्वास्थ्य बिगड़ने के कुछ लक्षण दिख रहे हों। यही नहीं ऐसे समय में पेरेंट्स द्वारा किए जाने वाला अच्छा व्यवहार और मदद बच्चे की मानसिक स्थिति खराब या फिर विकसित होने से रोक सकती है। 

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रीसर्चर ने कही ये बात 

Loannis Katsantonis, डॉक्ट्रल रिसर्चर, फैक्लटी ऑफ एजुकेशन, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के मुताबिक इस रिसर्च में 10 में से एक बच्चे को मेंटल हेल्थ की समस्या होने का अधिक खतरा था। इसमें पेरेंट्स की भी अहम भूमिका हो सकती है। हालांकि हर बार इसके लिए पेरेंट्स की सख्ताई को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बच्चे के व्यवहार के लिए कुछ सीमाएं तय करने के साथ ही उनके लिए कठोर अनुशासन नहीं बनान चाहिए।

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