How Emotions Affect The Body: आपने अपने बड़ों को यह कहते तो जरूर सुना होगा कि जैसा हम सोचते हैं हम वैसे ही बनते जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं हमारी सोच और भावनाओं का असर हमारी सेहत पर भी पड़ता है। आप पूरा दिन कैसा महसूस करते हैं या कितने ऊर्जावान रहते हैं, यह भी आपकी भावनाओं पर ही निर्भर करता है। इस विषय को और भी विस्तार से जानने के लिए हमने बात कि मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट विशाखा भल्ला से, जिसे हम इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करेंगे।
पहले समझिये भावनाएं सेहत को कैसे प्रभावित कर सकती हैं- How Do Emotions Affect Your Physical Health
साइकोलॉजी में भावनाओं और सेहत के बीच गहरा सम्बन्ध पाया गया है। हम जैसा सोचते या महसूस करते हैं, इसका सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। यही चीज हमारे मन की भावनात्मक स्थिति पर भी लागू होती है जो शरीर की स्थिति से प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति को अपनी जिंदगी की कोई तनावपूर्ण घटना के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इसलिए, पॉजिटिव बातों को ज्यादा महत्व दिया जाता है जिससे स्वास्थ्य लंबे समय तक बेहतर बना रहे।
अत्यधिक गुस्सा आना
आपने ध्यान दिया होगा कि जब हमे गुस्सा आता है, तो इसका असर हमारे पूरे शरीर पर पड़ता है। अचानक सांसे तेज हो जाना,आवाज भारी होना गुस्से का संकेत ही है। एक्सपर्ट के मुताबिक लंबे समय तक गुस्से की भावना रखने के कारण हाई ब्लड प्रेशर, हाई हार्ट रेट, मसल्स पैन, धड़कन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती है। इसके साथ ही यह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण चिड़चिड़ापन, उदासी, चिंता रहने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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ज्यादा दुख और उदासी महसूस करना
कोई भी बड़ा सदमा का दुख का अहसास होने पर व्यक्ति के मन में दर्द की भावना आ सकती है। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो इसके कारण शारीरिक और भावनात्मक रूप से कई बदलाव आ सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति लगातार दुख-दर्द का आभास करता है, तो इसके कारण उसे चिंता की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही व्यक्ति को शरीर में अकड़न, दर्द के साथ-साथ थकान की समस्या भी हो सकती है।
चिंता का सेहत पर असर
चिंता होने के दौरान व्यक्ति को बेचैनी और अनकंफर्ट महसूस हो सकता है। इसके कारण छोटी-छोटी चीजों को लेकर भी भारी मानसिक तनाव हो सकता है। इसका शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। इससे भ्रम, भूलने की बीमारी, स्पष्टता में कमी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इससे इंसोमनिया, दिल से जुड़ी समस्याएं और गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल समस्याएं भी हो सकती हैं।
तनाव का स्वास्थ्य पर प्रभाव
तनाव के दौरान व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति बहुत कम हो जाती है। अगर किसी व्यक्ति को तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो इससे उसका मानसिक और शारीरिक दोनों स्वास्थ्य प्रभावित हो सकते हैं। लंबे समय तक तनाव रहने से बॉडी में कई हार्मोन जारी होते है जो हार्ट बीट को तेज तेज कर सकता है, इससे माइग्रेन, सांस लेने में समस्या, मांसपेशियों में सूजन और साथ ही इम्यूनो-सप्रेसन हो सकता है।
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डर का सेहत पर असर
किसी भी मुद्दे या विषय के सम्बन्ध में मन में बैचेनी, चिंता और खौफ का एहसास होना डर की वजह हो सकता है। कुछ लोगों के दिल में डर इतना ज्यादा हावी हो जाता है कि इसके कारण उनका खुद की भावनाओं पर नियंत्रण पाना भी मुश्किल हो सकता है। लगातार बने रहने वाले डर से घबराहट, सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी, ठंड लगना, खुद पर कंट्रोल खोने का डर और यहां तक कि मरने पर भी डर हो सकता है।