
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों ने वैक्सीन लगवाने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, लेकिन ऐसे में बच्चों को वैक्सीन लगवाने की दर में भारी गिरावट देखी गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों की मानें तो साल 2022 में 20.5 मिलियन बच्चों को वैक्सीन नहीं लग पाई थी। हालांकि इन आंकड़ों में अब काफी बदलाव देखा जा रहा है। पहले की तुलना में अब 4 मिलियन अधिक बच्चों तक वैक्सीन की सुविधा पहुंच चुकी है। वहीं इसे और बढ़ाने के प्रयास में भी काफी तेजी दिखाई जा रही है।
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स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट कर दी जानकारी
वैक्सिनेशन को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मानसुख मांडविया ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट में साझा किया कि 12 से लेकर 59 महीने तक के बच्चों को लगाए जाने वाली DPT 3 यानि डिपथेरिया, पर्टुसिस टिटनस टॉक्सॉइड वैक्सीन देशभर में 93 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। यह साल 2019 के मुकाबले 91 प्रतिशत ज्यादा और साल 2021 के मुकाबले 85 प्रतिशत तक ज्यादा पहुंच गई है।

डब्लूएचओ चीफ ने कही ये बड़ी बात
वैक्सीन लगने की दर में पहले के मुकाबले फिलहाल काफी बढ़त देखी गई है। इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीफ डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्येयियस ने कहा कि वैक्सीन को लेकर आए आंकड़ों को उत्साह बढ़ाने वाला बताया है। मांडविया के मुताबिक किसी को भी वैक्सीन लगाने से वंचित नहीं रहने दिया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के नए आंकड़ों की मानें तो वैक्सीन लगने की दर में बढ़त हुई है, लेकिन अभी भी कम आय वाले कुछ ऐसे देश हैं, जिनमें वैक्सीन की कमी देखने को मिल रही है। इसे लेकर बच्चों में बीमारी फैलने का खतरा है।
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महामारी में वैक्सीन की थी किल्लत
जब दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रही थी तब ऐसे में देश के कुछ हिस्सों में वैक्सीन की किल्लत भी देखी जा रही थी। इससे टीकाकरण की दर में भारी गिरावट देखी गई थी, जिसके चलते कई जगहों पर वैक्सीन की कालाबाजारी करने के मामले भी सामने आए थे। बच्चों की वैक्सीन बनने के बाद बहुत से परिजन अपने बच्चों का टीकाकरण कराने से बच रहे थे। लोगों को बच्चों के लिए वैक्सीन के हानिकारक होने का काफी डर था।
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