हर साल 13 लाख से ज्यादा भारतीयों की होती है स्मोकिंग से मौत, आपकी सोच से भी ज्यादा है खतरनाक!

Smoking ke nuksan: आपकी सोच भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है स्मोकिंग। दरअसल, PTI में छपी खबर के अनुसार हर साल 1.35 मिलियन लोग स्मोकिंग के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। जानते हैं कैसे।
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हर साल 13 लाख से ज्यादा भारतीयों की होती है स्मोकिंग से मौत, आपकी सोच से भी ज्यादा है खतरनाक!


Smoking ke nuksan: स्मोकिंग की आदत, धीमे-धीमे आपके पूरे शरीर को खत्म कर सकती है। जैसे ही आप स्मोकिंग की शुरुआत करते हैं इसका असर आपकी नसों, मेंटल हेल्थ, पाचन क्रिया समेत शरीर के कई अंगों पर व्यापक तरीके से होने लगता है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि स्मोकिंग की वजह से आपके आंतरिक अंग डैमेज हो सकते हैं और कम उम्र में ही इनका काम काज आधा हो सकता है। इन्हीं तमाम बातों को इंगित करते हुए पीटीआई में छपी रिपोर्ट आपको डरा सकती है। पीटीआई में छपी इस रिपोर्ट की मानें तो, स्मोकिंग की वजह से हर साल 13 लाख से ज्यादा यानी कि लगभग 1.35 मिलियन भारतीय अपनी जान गंवा देते हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि स्मोकिंग के नुकसानों के प्रति लोगों में बढ़ती जागरूकता के बाद भी स्मोकिंग करने वाले लोगों में कमी नहीं आई है।

निकोटीन के दूसरे विकल्पों को खोज रहे हैं लोग

PTI में छपी खबर के अनुसार विश्व स्तर पर, निकोटीन के दूसरे विकल्पों को लोग खोज रहे हैं और स्मोकिंग से बचने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच निकोटीन पाउच सिगरेट के गुप्त मौखिक विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं। ये उत्पाद अब स्वीडन, नॉर्वे, संयुक्त राज्य अमेरिका और डेनमार्क सहित 34 देशों में उपलब्ध हैं। एम्स-सीएपीएफआईएमएस केंद्र के फिजियोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनैना सोनी ने कहा, "भारत में धूम्रपान छोड़ने के पारंपरिक तरीकों को अक्सर सीमित सफलता मिलती है। सुरक्षित, तंबाकू-मुक्त निकोटीन विकल्प पर ध्यान दिया जाए तो धूम्रपान करने वालों को सिगरेट छोड़ने में मदद मिल सकती है।''

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कैंसर की वजह बन सकता है तंबाकू के जलने पर निकलने वाला धुआं

Nation Cancer Institute की मानें, तो तंबाकू के जलने पर बनने वाला एक रासायनिक पदार्थ टार, कैंसर का कारण बन सकता है। जब तंबाकू का धुआ अंदर लिया जाता है, तो टार फेफड़ों के अंदर एक चिपचिपी परत बना सकता है। यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके अलावा इससे मुंह और गले का कैंसर भी हो सकता है।

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सुरक्षित निकोटीन पर विचार करें

डॉ. सुनैना सोनी बताते हैं कि रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन (यूके) सहित कई वैज्ञानिक समीक्षाओं से पता चलता है कि नॉन स्मोक निकोटीन (non smoke nicotine) सेवन से धूम्रपान की तुलना में जोखिम काफी कम होता है। इस प्रमाण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड का भी इन बारे में अनुमान है कि धूम्रपान-मुक्त निकोटीन विकल्प धूम्रपान की तुलना में 95 प्रतिशत तक कम नुकसानदेह हैं क्योंकि इसमें टार और धुंआ नहीं होता।

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ध्यान देने वाली बात है कि तंबाकू और निकोटीन मुक्त सिगरेट (cigarette without tobacco and nicotine) की मांग अब बढ़ती जा रही है और इसलिए लोग हर्बल सिगरेट की तरफ बढ़ रहे हैं। निकोटीन के विकल्पों में लोग पैच, गम और लॉजेज जैसे विकल्पों का चुनाव कर रहे हैं जो निकोटीन की क्रेविंग को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसमें निकोटीन इनहेलर और नाक स्प्रे जैसे प्रिस्क्रिप्शन विकल्प भी शामिल हैं।

इसके अलावा लोग निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT) की भी मदद ले रहे हैं जो कि मस्तिष्क में निकोटीन पहुंचाती हैं जिससे धूम्रपान छोड़ने के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, निकोटीन हर प्रकार से शरीर के लिए नुकसानदेह है।

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