प्रेग्नेंसी का दौर हर महिला के लिए बेहद खास होता है, इस दौरान महिलाओं में कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिनके कारण महिलाओं को सोने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रेग्नेंट महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी होती है, लेकिन जैसे-जैसे गर्भ बढ़ता है, आराम से सोना महिलाओं के लिए चुनौती बन जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की सोने की स्थिति ऐसी होनी चाहिए, जो गर्भवती महिला और शिशु दोनों के लिए सुरक्षित और आरामदायक हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि सोने की गलत पोजीशन से गर्भ में शिशु पर दबाव पड़ सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान सोने की सही पोजीशन और आरामदायक बिस्तर होना बेहद जरूरी होता है। इस लेख में क्लाउड 9 हॉस्पिटल नोएडा की फर्टिलिटी डिपार्टमेंट की एसोसिएट डायरेक्टर, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राखी, प्रेग्नेंसी के दौरान सोने के लिए कौन सी पोजीशन अच्छी नहीं होती है इसके बारे में बता रही हैं।
सोने के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान कौन सी पोजीशन अच्छी नहीं होती है?
1. पीठ के बल सोने से बचें
डॉक्टर राखी की सलाह है कि महिलाओं को गर्भावस्था के दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में पीठ के बल सोने से बचना चाहिए। इस पोजीशन में सोने से पेट का वजन आंतों और रक्त वाहिकाओं (blood vessels) पर दबाव डालता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट हो सकती है। पीठ के बल सोने से गर्भवती महिला को चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ और कमर दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, पीठ के बल सोने से एसिडिटी और हार्टबर्न की समस्या भी हो सकती है।
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2. पेट के बल सोने से बचें
प्रेग्नेंसी के दौरान पेट के बल सोना भी बच्चे के विकास पर बुरा असर डाल सकता है। पेट के बल सोने से पेट पर दबाव पड़ता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही, इस पोजीशन में प्रेग्नेंट महिला को दर्द महसूस हो सकता है।
3. बैठकर सोने से बचें
कई बार गर्भवती महिलाएं थकान या बेचैनी के कारण बैठकर सोती हैं, यह आरामदायक लग सकता है, लेकिन लंबे समय तक इस स्थिति में सोना पीठ और गर्दन पर दबाव डाल सकता है। इससे मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है। इसलिए, बैठकर सोने से बचना चाहिए।
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गर्भवती महिला को सोते समय कैसे लेटना चाहिए?
1. डॉक्टर की सलाह है कि गर्भावस्था के दौरान करवट बदलकर सोना सबसे आरामदायक पोजीशन मानी जाती है। खासकर, बाईं करवट सोना बेहतर माना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और गर्भ में शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।
2. अगर आपको बाईं करवट सोने में तकलीफ होती है तो दाईं ओर भी सो सकती हैं, लेकिन बाईं ओर सोना अधिक फायदेमंद माना जाता है। करवट बदलकर सोते समय घुटनों के बीच एक तकिया रखने से कमर और पेट का दबाव कम होता है, जिससे गर्भवती महिला को अधिक आराम मिलता है।
निष्कर्ष
गर्भावस्था के दौरान सही स्लीपिंग पोजीशन चुनना, न केवल मां बल्कि शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। पीठ और पेट के बल सोने से बचना चाहिए और बाईं करवट सोने की आदत डालनी चाहिए। साथ ही, सही तकिया और बिस्तर इस्तेमाल करना चाहिए। सही नींद और आराम मां और शिशु दोनों के लिए जरूरी है।
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