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इस बीमारी ने तोड़ा पॉपस्‍टार Selena Gomez के मां बनने का सपना, जानें इंफर्टिलिटी का कारण बनने वाली बीमारियां

पॉप स्‍टार Selena Gomez ने हाल ही में बताया क‍ि वह मल्‍टीपल बीमार‍ियों के कारण मां नहीं बन सकतीं। सेलेना लंबे समय तक एंग्‍जाइटी का भी श‍िकार रही हैं।
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इस बीमारी ने तोड़ा पॉपस्‍टार Selena Gomez के मां बनने का सपना, जानें इंफर्टिलिटी का कारण बनने वाली बीमारियां

Causes of Infertility: 32 वर्षीय स‍िंगर, एक्‍ट्रेस और हॉलीवुड की स्‍टार सेलेना गोमेज के गानों का हर कोई द‍िवाना है। ग्‍लोबल स्‍टार सेलेना ने हाल ही में एक मीड‍िया इंटरव्‍यू में इस बात का खुलासा क‍िया क‍ि वह चाह कर भी कभी मां नहीं बन सकतीं। इसका कारण यह है क‍ि उन्‍हें कई बीमार‍ियां हैं और उन बीमार‍ियों का इलाज लंबा है ज‍िसके चलते गर्भावस्था संभव नहीं है। इंस्‍टाग्राम पर सेलेना के 424 म‍िल‍ियन फॉलोअर्स हैं। वेस्‍टर्न वर्ल्ड में दुन‍िया उनकी दीवानी है। भारत में भी सेलेना को लोग खूब पसंद करते हैं। सेलेना ने इंटरव्‍यू के दौरान, इस बात का शोक जताया क‍ि वे अपनी बीमार‍ियों के कारण मां बनने के सुख से व‍ंच‍ित रह जाएंगी। हालांक‍ि सेलेना सरोगेसी या बच्‍चे को गोद लेने पर विचार कर रही हैं। इस लेख में हम जानेंगे क‍ि आख‍िर क‍िन बीमार‍ियों के चलते मह‍िलाएं मां नहीं बन पातीं। इस पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के डफर‍िन हॉस्‍प‍िटल की वर‍िष्‍ठ गाइनोकॉलोज‍िस्‍ट डॉ ल‍िल‍ि स‍िंह से बात की।

 
 
 
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मल्‍टीपल बीमार‍ियों के कारण मां नहीं बन सकतीं Selena Gomez

सेलेना गोमेज को वर्ष 2013 में ल्‍यूपस नाम की बीमारी का पता चला। आपको बता दें कि ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें व्यक्ति के घुटनों, लंग्स या स्किन समेत शरीर के कई अंगो में सूजन होने लगती है, हालांकि किडनी पर इस बीमारी का ज्यादा असर देखने को मिलता है। आमतौर पर इस बीमारी का खतरा टीनएज से 30 साल तक के लोगों में ज्यादा होता है। साल 2017 में ल्‍यूपस का इलाज करने के ल‍िए उन्‍हें क‍िडनी ट्रांसप्‍लांट करवाना पड़ा। ऑटोइम्‍यून बीमारी का इलाज करने के ल‍िए उन्‍हें कीमोथेरेपी लेनी पड़ी, इसका बुरा असर उनके कर‍ियर और मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ा। सेलेना को एंग्‍जाइटी और पैन‍िक अटैक का सामना भी करना पड़ा। थकान, बुखार और स‍िर दर्द तो उनके जीवन का ह‍िस्‍सा बन चुका था। साल 2020 में सेलेना को पता चला क‍ि उन्‍हें ने बताया क‍ि उन्‍हें बाइपोलर ड‍िसआर्डर भी हो गया है। दवाओं के कारण उनका वजन अचानक से घट या बढ़ जाता था। उन द‍िनों वजन कंट्रोल करना मुश्‍क‍िल था। बढ़ते वजन के कारण सेलेना को जमकर ट्रोल क‍िया गया। 

इसे भी पढ़ें- इंफर्ट‍िल‍िटी चेक करने के लिए कौन सी जांच कराएं? डॉक्‍टर से जानें infertility से जुड़े 9 कॉमन सवालों के जवाब

इंफर्टिलिटी का कारण बनने वाली बीमारियां- Diseases Causing Infertility

causes of infertility

महिलाओं में बांझपन एक गंभीर समस्या हो सकती है, और कई बीमारियां इसका कारण बन सकती हैं। हम आपको 5 कॉमन बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकती हैं-

1. ऑटोइम्यून डिजीज- Autoimmune Diseases

कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां, जैसे कि ल्यूपस और एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम (APS), गर्भधारण में समस्याएं पैदा कर सकती हैं। इन बीमारियों में शरीर की इम्‍यून‍िटी अपने ही स्‍वस्‍थ ट‍िशूज पर हमला करती है, जिससे गर्भपात, गर्भधारण में कठिनाई और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इन बीमारियों का इलाज दवाओं और इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करने वाली थेरेपी से किया जाता है।

2. एंडोमेट्रियोसिस- Endometriosis

एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें यूट्रस की आंतरिक परत (एंडोमेट्रियम) बाहरी अंगों पर आ जाती है, जैसे अंडाशय, ट्यूब्स और पेल्विक कैविटी। यह स्थिति दर्द, सूजन और बांझपन का कारण बन सकती है। एंडोमेट्रियोसिस के इलाज में दवाएं, हार्मोनल थेरेपी और सर्जरी शामिल हो सकते हैं।

3. फेलोपियन ट्यूब की समस्याएं- Fallopian Tube Problems

फेलोपियन ट्यूब्स की समस्याएं, जैसे कि ट्यूब्स का ब्लॉकेज, प्रेग्नेंसी में रुकावट डाल सकती हैं। ट्यूब्स के ब्‍लॉकेज होने से फीमेल एग और शुक्राणु का मिलन नहीं हो पाता, जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है। इसकी वजह संक्रमण, सर्जरी, या अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इलाज में सर्जरी या आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) शामिल हो सकता है।

4. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम- Polycystic Ovary Syndrome

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में बांझपन का एक आम कारण है। इसमें, ओवरी में छोटी-छोटी सिस्ट बन जाती हैं, जो हार्मोनल असंतुलन और मासिक धर्म में अनियमितता का कारण बनते हैं। इससे ओवुलेशन (ovulation) में समस्‍या आती है, जिससे प्रेग्नेंसी में मुश्‍क‍िल हो सकती है। पीसीओएस का इलाज हार्मोनल थेरपी, दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से किया जाता है।

5. गर्भाशय की समस्याएं- Uterus Problems 

गर्भाशय की समस्याएं, जैसे कि फाइब्रॉइड्स या पॉलिप्स, प्रेग्नेंसी में बाधा डाल सकती हैं। फाइब्रॉइड्स यूट्रस की मांसपेशियों में वे गांठें होती हैं, जो गर्भाशय के आकार और कार्य को प्रभावित कर सकती हैं। पॉलिप्स यूट्रस की आंतरिक सतह पर छोटी ग्रंथियां होती हैं। इन समस्याओं का इलाज दवाओं या सर्जरी से किया जा सकता है।

इन बीमारियों की पहचान और इलाज समय पर किया जाना जरूरी है ताकि महिलाएं प्रेग्नेंसी की संभावनाओं को बढ़ा सके। 

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image credit: billboard.com

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