
गर्भावस्था के दौरान, सही नींद और जागने की आदतें मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। इस समय में महिला का शरीर कई बदलावों से गुजरता है, जिसका नींद की क्वालिटी पर सीधा प्रभाव पड़ता है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में हार्मोनल परिवर्तन, बढ़े हुए गर्भाशय का दबाव और अन्य शारीरिक परेशानियां नींद की क्वालिटी को प्रभावित कर सकती हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए पर्याप्त नींद और सही सोने की स्थिति न केवल आरामदायक नींद के लिए जरूरी है बल्कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं को भी कम करती है। डॉक्टर के साथ-साथ कई घरों के बड़े-बुजुर्ग भी प्रेग्नेंट महिलाओं को बाईं ओर यानी लेफ्ट साइड सोने की सलाह देते हैं। ऐसे में महिलाओं का सवाल होता है कि क्या प्रेग्नेंसी में सिर्फ बाईं ओर सोना जरूरी है? इस बारे में जानकारी देते हुए प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राम्या ने एक वीडियो शेयर किया है।
क्या प्रेग्नेंसी में सिर्फ बाईं ओर सोना जरूरी है?
डॉक्टर राम्या वीडियो में बताती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान जब गर्भवती महिलाएं अपनी पीठ के बल सीधे लेटती हैं तो ऐसी स्थिति में बढ़ते हुए यूट्रस और ब्लड वैसल्स पर दबाव पड़ता है। जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे और हार्ट में ब्लड की सप्लाई धीमी हो सकती है, जिसके कारण डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट प्रेग्नेंट महिलाओं को करवट लेकर सोने की सलाह देते हैं। ऐसे में लेफ्ट साइड यानी बाईं ओर करवट लेकर सोना ज्यादा लाभकारी होता है। बाईं ओर सोने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और गर्भाशय पर दबाव भी कम पड़ता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सोने की स्थिति का असर मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। गर्भावस्था के शुरुआत में, सोने की स्थिति की उतनी अहमियत नहीं होती, लेकिन जैसे-जैसे गर्भ बढ़ता है, बाईं ओर सोना महिलाओं के लिए लाभकारी होता है, विशेषरूप से जो महिलाएं गर्भावस्था के अंतिम तिमाही में हैं।
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प्रेग्नेंसी में बाईं ओर सोने के फायदे
1. बाईं ओर सोने से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है। गर्भवती महिला के शरीर में बढ़े हुए गर्भाशय के कारण, सीधे सोने से रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ सकता है। वहीं बाईं ओर सोने से यह दबाव कम होता है और रक्त प्रवाह यानी ब्लड फ्लो बेहतर होता है, जिससे न केवल मां बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।
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2. प्रेग्नेंट महिला के गर्भाशय का वजन तीसरी तिमाही तक काफी बढ़ जाता है, जो पीठ और किडनी पर दबाव डाल सकता है। बाईं ओर सोने से गर्भाशय का दबाव कम होता है और यह किडनी और पीठ को सही स्थिति में रखता है, जिससे पीठ दर्द और अन्य समस्याओं से राहत मिलती है।
3. गर्भावस्था के दौरान पेट की एसिडिटी और जी मिचलाना आम समस्याएं होती हैं। बाईं ओर सोने से एसिडिटी की समस्या के साथ-साथ पेट की अन्य समस्याएं भी कम हो सकती हैं।

हालांकि बाईं ओर सोना प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए ज्यादा लाभकारी होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अन्य स्थिति में सोना पूरी तरह से हानिकारक है। यदि बाईं ओर सोना असहज लगता है, तो महिलाएं अपनी सुविधा अनुसार सो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान सही नींद के लिए आरामदायक तकिए का उपयोग भी जरूरी होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष तकिए उपलब्ध होते हैं जो बाईं ओर सोने में सहायता कर सकते हैं।
निष्कर्ष
गर्भावस्था के दौरान सोने की स्थिति का सीधा प्रभाव मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। बाईं ओर सोने से कई लाभ मिलते हैं, लेकिन अगर यह स्थिति असहज हो या डॉक्टर कोई अन्य सलाह दें, तो उचित सलाह के अनुसार सोने की स्थिति को अपनाना चाहिए।
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