एक नए अध्ययन में पाया गया कि दिन में हमें जगाए रखने वाली मस्तिष्क कोशिकाओं को न्यूरोलॉजिकल रोगों द्वारा सबसे पहले निशाना बनाया जाता है। जबकि पहले ऐसे माना जाता था कि बीटा-अमाइलॉइड नाम के प्रोटीन द्वारा कोशिकाओं को नष्ट कर जाता था, लेकिन वैज्ञानिकों ने अब इसके लिए जिम्मेदार टाउ नाम के प्रोटीन के विषाक्त क्लंप को जिम्मेदार ठहराया है।
सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की एक टीम ने मृत्यु के वक्त अल्जाइमर रोग से पीड़ित रहे 13 मरीजों के मस्तिष्क का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि मस्तिष्क के वे तीन हिस्से, जो किसी व्यक्ति को जगाने में मदद करते हैं, वे अपने न्यूरोन का कम से कम 75 फीसदी हिस्सा गंवा देते हैं। ये तीन हिस्से हैं लोकल कोएर्यूलस, लेटरल हाइपोथैलेमिक एरिया और ट्यूबरोमामिलरी न्यूक्लियस।
अध्ययन के मुताबिक, इतना ही नहीं ये टाउ में महत्वपूर्ण वृद्धि को भी बढ़ावा देता है।, जो हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट करता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ये नतीजे बेहद ही महत्वपूर्ण हो सकते हैं क्योंकि ये बीटा-अमाइलॉइड के बजाए टाउ को निशाना बनाकर बेहतर उपचार की ओर जा सकते हैं।
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अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने कहा कि यह याददाश्त संबंधी समस्याओं के विकास से बहुत पहले अल्जाइमर के रोगियों और उनके देखभालकर्ताओं द्वारा नियमित रूप से नींद आने की शिकायत का एक कारण भी प्रदान करता है।
यूसीएफसी में मेमोरी एंड एजिंग सेंटर के शोधकर्ता और अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ. जुन ओह ने कहा, ''यह केवल मस्तिष्क के एक न्यूक्लियस का अध: पतन नहीं है, बल्कि हमें जगाए रखने वाले पूरे नेटवर्क में गिरावट का हिस्सा है।''
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उन्होंने कहा, '' इसका मतलब है कि हमारे मस्तिष्क के पास इससे लड़ने का कोई तरीका नहीं है क्योंकि इस प्रकार की सभी कोशिकाएं उसी वक्त नष्ट हो रही हैं।''
अध्ययन के मुताबिक, अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण सामने आने के बाद इस बीमारी को पूर्ण आकार लेने में 20 साल का वक्त लग सकता है और ऐसा माना जाता है कि मौजूदा दवाएं विफल साबित हो रही हैं क्योंकि ये मरीजों को बहुत देरी से दी जाती हैं।
अध्ययन के मुताबिक अब इसके प्रभावी उपचार की एक उम्मीद बढ़ी है अगर शुरुआत में ही इसका उपचार किया जाए तो टाउ के निर्माण से सामना किया जा सकता है और मस्तिष्क कोशिकाओं के पतन को कम किया जा सकता है।
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