जन्म के बाद 5 में से 3 शिशुओं को नहीं मिलता मां का पहला गाढ़ा-पीला दूध: रिपोर्ट

शिशु को मां का पहला गाढ़ा-पीला दूध पिलाना बहुत जरूरी है। मगर रिपोर्ट बताती है कि 5 में से 3 बच्चों को कोलेस्ट्रम यानी मां का पहला दूध नहीं मिल पाता है, जिसके कारण शिशु रोगों और इंफेक्शन का शिकार होते हैं।
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जन्म के बाद 5 में से 3 शिशुओं को नहीं मिलता मां का पहला गाढ़ा-पीला दूध: रिपोर्ट


शिशु के जन्म के तुरंत बाद उसे मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना जरूरी है। इस दूध को कोलोस्ट्रम कहते हैं। ये पहला दूध शिशु को जीवनभर स्वस्थ रखने और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। मगर हाल में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में हर 5 में से 3 शिशुओं को जन्म के बाद मां का पहला दूध नहीं मिल पाता है। ये रिपोर्ट चाइल्ड राइट्स एंड यू CRY ने जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 3 साल की उम्र के लगभग 60% बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें कोलेस्ट्रम यानी मां का पहला दूध नहीं मिला।

रोगों से बचाता है मां का पहला दूध

नवजात शिशु के शरीर में धीरे-धीरे रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। आमतौर पर ये क्षमता विकसित होते-होते डेढ़-दो साल लग जाते हैं। इतने समय में नवजात शिशु को तमाम तरह के संक्रमण और रोगों का खतरा होता है। शिशु के जन्म के बाद मां के शरीर में बनने वाला गाढ़ा पीला दूध (कोलोस्ट्रम) शिशु के शरीर में इसी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है। इस डेढ़-दो साल की उम्र तक यही दूध शिशु को रोगों और इंफेक्शन से बचाता है।

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क्यों फायदेमंद है मां का पहला दूध

मां के पहले गाढ़े दूध में कई एंटीबॉडीज पाए जाते हैं, जो नवजात बच्चे के लिए एक तरह के सुरक्षा कवच का काम करते हैं। जिन बच्चों को मां का पहला दूध नहीं पिलाया जाता है, उनका शरीर वायरस, बैक्टीरिया और रोगों की चपेट में जल्दी आ जाता है। कुछ बच्चे इस दौरान ऐसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं कि उनकी मृत्यु शुरुआती 1 से 5 साल के भीतर ही हो जाती है। भारत में शिशु मृत्युदर बहुत ज्यादा है और एक बड़ी समस्या है।

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6 माह तक जरूरी है मां का दूध

नवजात शिशु के लिए मां का दूध जन्म के बाद शुरुआती 6 महीने में बहुत जरूरी है। नवजात शिशु ठोस आहार को नहीं पचा सकते हैं। इसके अलावा बाहर के दूध में वो सभी पोषक तत्व और एंटीबॉडीज नहीं मिलते हैं, जिनसे शिशु की रक्षा और विकास दोनों हो सकें। इसलिए जन्म के बाद शिशु को शुरुआती 6 महीने में सिर्फ मां का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। रिपोर्ट बताती है कि गांवों में 56% नवजात शिशुओं को मां का दूध मिल जाता है, जबकि शहरों में सिर्फ 52% बच्चों को ही 6 महीने तक मां का दूध पिलाया जाता है।

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