वर्तमान समय में लोगों की लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों में तेजी से बदलाव आया है, जिसका असर स्वास्थ्य के साथ-साथ त्वचा पर भी पड़ रहा है। यही वजह है कि बीते कुछ सालों में त्वचा संबंधित समस्याओं के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। सूरज की हानिकारक किरणों, प्रदूषण और कॉस्मेटिक सामानों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स से त्वचा उम्र से पहले बेजान नजर आने लगती है। त्वचा से जुड़े रोगों में सोरायसिस की समस्या बेहद गंभीर होती है, जिसमें व्यक्ति की त्वचा पर लाल चकत्ते, पपड़ीदार त्वचा और खुजली के साथ जलन की समस्या होती है। नजफगढ़ की रहने वालीं अनु बंसल जी कई सालों से सोरायसिस जैसी गंभीर त्वचा की समस्या से जूझ रही हैं, हालांकि अब उचित इलाज और परहेज के बाद उन्हें आराम मिल रहा है। इस लेख में हम आपको सोरायसिस के साथ अनु बंसल के अनुभव बताएंगे। इसके साथ ही त्वचा रोग विशेषज्ञ से सोरायसिस के लक्षण, कारण और उपचारों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
आपको बता दें कि ओन्लीमायहेल्थ ने 'Skin care Diaries' स्पेशल सीरीज शुरू की है। इस सीरीज में पाठकों को, स्किन से जुड़ी समस्याओं की रियल स्टोरीज के साथ इन्फ्लुएंसर्स के स्किन केयर रूटीन के बारे में जानने का मौका मिलेगा। साथ ही इस सीरीज में लेखकों और पाठकों द्वारा ट्राई किए गए रेमेडीज, दादी-नानी के नुस्खों के बारे में भी बताते रहेंगे। आज हम आपके साथ अनु बंसल की रियल स्टोरी शेयर कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने सोरायसिस बीमारी के बारे में अपना अनुभव बताया है।
सोरायसिस की समस्या कब से थी और कैसे पता चली?
अनु बंसल जी ने बताया कि उन्हें करीब 8-9 साल से सोरायसिस की समस्या है, जिसके बारे में उन्हें पहले नहीं पता था। अनु बंसल जी ने बताया कि जब भी वह बर्तनों को धोने के लिए डिटर्जेंट के पानी में हाथ डालती थीं तो उनकी उंगलियों पर लाल चकत्ते हो जाते थे, जिनमें जलन भी होती थी। डॉक्टर को दिखाने पर उन्हें पहले दवा दी गई लेकिन बीमारी के नाम के बारे में नहीं बताया गया। अनु जी ने बताया कि जब वह डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाती थीं तो डॉक्टर उनके हाथों को देखकर दवा दे देते थे लेकिन बीमारी के बारे में नहीं बताते थे। अनु जी ने बताया कि एक बार उनके भाई के दोस्त अपनी पत्नी जो कि होम्योपैथी की डॉक्टर हैं के साथ उनके घर आए जहां होम्योपैथी की डॉक्टर ने हाथों को देखकर कुछ सवाल पूछे, जिसके बाद बताया कि आपको सोरायसिस की समस्या है।
सोरायसिस की समस्या कब ज्यादा होती थी
अनु जी ने बताया कि जब वह डिटर्जेंट का इस्तेमाल बर्तन धोने के लिए करती थीं, तो उनकी समस्या बढ़ जाती थी। उन्होंने बताया कि बर्तनों को धोने के बाद उनके हाथों की समस्या ज्यादा बढ़ जाती थी, जिसके बाद अन्य कामों को करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
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सोरायसिस के इलाज के लिए क्या किया?
अनु जी ने बताया कि मौसम के बदलने पर कभी-कभी उनकी समस्या बढ़ जाती थी, जैसे कि अपने आप हाथों की त्वचा निकलने लगती थी या त्वचा सख्त हो जाती थी। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने सोरायसिस की समस्या के लिए एलोपैथी इलाज करवाया तो जब तक उनकी दवाएं चलती थीं, तब तक आराम रहता था। लेकिन दवाएं बंद होने पर समस्या दोबारा शुरू हो जाती थी। इसके बाद अनु जी ने बीते करीब 2 साल से सोरायसिस के लिए होम्योपैथी ट्रीटमेंट नजफगढ़ की डॉक्टर अनीशा वशिष्ठ से लेना शुरू किया है, जिससे उन्हें काफी आराम (करीब 90 प्रतिशत) मिला है। अनु जी ने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी कि ग्लव्स पहनकर डिटर्जेंट से जुड़े काम करें और हाथों पर नारियल का तेल लगाकर इन्हें मॉइश्चराइज रखें। अनु जी ने बताया कि जब उनकी समस्या शुरुआत में बढ़ी थी तो डॉक्टर ने दवाओं में बदलाव भी किए, जिसके बाद उन्हें आराम मिला है।
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दिल्ली, वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट, त्वचा विशेषज्ञ डॉक्टर रश्मि शर्मा से जानें सोरायसिस क्या है?
सोरायसिस की समस्या एक त्वचा संबंधी विकार है जिसमें त्वचा की ऊपरी परत में लाल या भूरी रंग की सख्त त्वचा होने लगती है। यह ज्यादातर आनुवंशिक समस्या होती है, लेकिन कई बार यह संक्रमण या स्ट्रेस के कारण भी हो सकती है।
सोरायसिस के लक्षण
1. त्वचा पर लाल रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जिन पर सफेद रंग की पपड़ी होती है।
2. त्वचा पर जहां सोरायसिस की समस्या होती है वहां त्वचा पर खुजली और जलन महसूस हो सकती है।
3. त्वचा पर ड्राईनेस होती है।
4. कुछ लोगों को सोरायसिस की समस्या में जोड़ों में दर्द और सूजन हो सकती है।
सोरायसिस होने का मुख्य कारण क्या है?
सोरायसिस का मुख्य कारण अब तक पता नहीं चला है, लेकिन इसे ऑटोइम्यून विकार माना जाता है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली हेल्दी स्किन सेल्स पर अटैक करती है। इसके अलावा, कुछ आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर परिवार में किसी को सोरायसिस है, तो आने वाली पीढ़ी में इसकी संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा धूप, तनाव, धूम्रपान और शराब का सेवन सोरायसिस के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
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सोरायसिस में क्या क्या परहेज करना चाहिए?
धूम्रपान, अल्कोहल, स्ट्रेस और मसालेदार तलेभुने ऑयली भोजन से सोरायसिस के लक्षण बढ़ सकते हैं।
सोरायसिस होने पर क्या करें और क्या न करें?
क्या करें
1. त्वचा को ड्राई होने से बचाने के लिए अच्छे मॉइश्चराइजर का उपयोग करें।
2. फल, सब्जियां और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर डाइट लें।
3. योग, ध्यान और एक्सरसाइज से तनाव कम करें।
क्या न करें
1. त्वचा पर खुजली न करें इससे त्वचा में और नुकसान हो सकता है।
2. हार्श साबुन और केमिकल युक्त प्रोडक्ट के इस्तेमाल से बचें।
क्या सोरायसिस को जड़ से खत्म किया जा सकता है?
सोरायसिस को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। हालांकि, इसके लक्षणों को इलाज और सही देखभाल से कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह और नियमित उपचार जरूरी है।