Autoimmune Diseases Ke Trigger: स्वस्थ रहने और संक्रमण से बचाव के लिए इम्यूनिटी सिस्टम का मजबूत होना बहुत जरूरी है। एक हेल्दी इम्यून सिस्टम शरीर शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करती है। लेकिन, अगर आपके इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी हो जाए, तो यह आपके सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। दरअसल इम्यून सिस्टम में खराबी आती है तो यह आपके हेल्थ सेल्स, टिशू और शरीर के अन्य अंगों पर गलती से हमला कर सकती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी होने पर शरीर पर गलती से हमला करने की इस समस्या को ऑटोइम्यून बीमारियां कहते हैं। ऑटोइम्यून बीमारी आपके शरीर के किसी भी हिस्से पर हमला करके शरीर के किसी बी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में कुछ ऐसे कारक होते हैं जो ऑटोइम्यून बीमारियों को ट्रिगर (Autoimmune Diseases Triggers) कर सकते हैं। ऑटोइम्यून और डाइजेस्टिव हेल्थ न्यूट्रिशनिस्ट अनुपम भाटिया से जानते हैं कि ऑटोइम्यून बीमारी क्या ट्रिगर करती है?
ऑटोइम्यून बीमारियों के ट्रिगर
1. गट माइक्रोबायोम
गट के बैक्टीरिया में असंतुलन के कारण या खराब बैक्टीरिया के बढ़ने के कारण इम्यूनिटी सिस्टम प्रभावित हो सकता है, जो ऑटोइम्यून बीमारियों को ट्रिगर कर सकता है।
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2. इंफेक्शन होना
कुछ वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण शरीर के अपने ऊतकों की नकल करके ऑटोइम्यून बीमारियों को ट्रिगर कर सकते हैं।
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3. जेनेटिक कारण
परिवार में किसी अन्य सदस्य को ऑटोइम्यून बीमारियां होने के कारण भी आपमें ऑटोइम्यून बीमारियां होने की संभावना बढ़ सकती है।
4. तनाव
डिप्रेशन या तनाव अक्सर आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं और ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकते हैं।
5. नींद संबंधी समस्याएं
नींद पूरी न होना या खराब नींद की गुणवत्ता इम्यूनिटी सिस्टम को प्रभावित कर सकती है, जिससे संभावित रूप से ऑटोइम्यून बीमारियां ट्रिगर हो सकती है।
6. पर्यावरणीय कारक
प्रदूषकों, केमिकल और अन्य पर्यावरणीय टॉक्सिक पदार्थों के संपर्क में आने से भी ऑटोइम्यून बीमारियों की समस्या बढ़ सकती है।
7. आहार संबंधी समस्याएं
कुछ खाद्य पदार्थ और आहार संबंधी आदतें, जैसे ज्यादा चीनी या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, सूजन और इम्यूनिटी सिस्टम को प्रभावित कर सकती है, जिससे ऑटोइम्यून बीमारियां ट्रिगर हो सकती है।
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8. टॉक्सिक केमिकल
कीटनाशकों और औद्योगिक सॉल्वैंट्स जैसे जहरीले केमिकल्स के संपर्ख में आने से आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और ऑटोइम्यून बीमारियों को ट्रिगर कर सकती है।
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ऑटोइम्यून बीमारियों के इन ट्रिगर्स को समझने और कंट्रोल करने से इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है और इन बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है।
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