बच्चों की परवरिश किस तरीके से हो रही है इसका बहुत बड़ा प्रभाव उनके विकास और व्यक्तित्व पर पड़ता है। माता-पिता बनने से पहले हर व्यक्ति को पेरेंटिंग से जुड़ी कुछ अहम बातें जान लेनी चाहिए। बच्चों के अनुशासित रहने से लेकर उनके व्यवहार तक हर एक चीज पर परवरिश और आपस के माहौल का असर पड़ता है। कुछ माता पिता ऐसे भी होते हैं जो बच्चों को पूरी छूट के साथ पालते हैं और उनकी हर बात हर जिद को मान लेते हैं। वहीं कुछ माता- पिता ऐसे होते हैं जो बच्चों पर हर समय अपना दबाव बनाकर रखते हैं और हर समय उन पर शक करते रहते हैं। परवरिश का अच्छा या बुरा असर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है और इसके चलते उसका पूरा व्यक्तित्व बनता है। कई बच्चे अपने माता-पिता से खुलकर अपने मन की बात नहीं कह पाते और कम उम्र में डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। वहीं कुछ बच्चे डिप्रेशन में गलत आदतों में भी शामिल हो जाते हैं। बच्चों पर हर समय शक करने से उनपर इसका बहुत बुरा असर होता है और आगे चलकर इसकी वजह से बच्चों में कई मानसिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
बच्चों पर हमेशा शक करने का बच्चों पर बुरा असर (Side Effects Of Doubting Kids)
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बच्चों की नकारातक ढंग से पेरेंटिंग करने से उनके व्यक्तित्व विकास पर बुरा असर होता है। कुछ पेरेंट्स हमेशा बच्चों पर अपना दबाव बनाकर रखते हैं और हमेशा उनके हर काम को लेकर बहुत ज्यादा पूछताछ करते हैं जो कि बच्चों पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसकी वजह से बच्चों को शारीरिक और भावनात्मक रूप से नुकसान पहुंच सकता है। बच्चों को नुकसान, दर्द, दुख, नकारात्मक अनुभव, अस्वीकृति, असफलता और निराशा से बचाने के लिए आपको हमेशा उनपर शक नहीं करना चाहिए। बच्चों की निगरानी रखना अच्छी बात है लेकिन हमेशा उन पर शक करते रहने से उनके अंदर ऐसी भावना पनप सकती है जो आगे चलकर आपके लिए और बच्चे के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकती है।
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1. बच्चों पर हर समय शक करते रहने से उन्हें ऐसा लग सकता है कि आप उन पर भरोषा नहीं करते हैं और वे खुद को जेल में या पिंजरे में बंद महसूस कर सकते हैं जिसकी वजह से उनका मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
2. बच्चों का आत्मसम्मान या आत्म मूल्य आपको विरोधाभाषी लग सकता है लेकिन जब आप हमेशा उन पर शक करते रहते हैं तो इसकी वजह से उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है। और यही भावना उनके मन में आपके प्रति नकारात्मकता पैदा कर सकती है।
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3. बच्चों पर उनके माता-पिता का हमेशा शक करना उन्हें डिप्रेशन और एंग्जायटी का शिकार बना सकता है। ऐसा लगातार होने से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो सकता है जिसकी वजह से उन्हें गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
4. बच्चों पर हमेशा शक करते रहने से उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है और पढ़ाई-लिखाई में उनका मन नहीं लग सकता है।
5. ऐसा करने से बच्चों के मन में शर्म की भावना पैदा हो सकती है जो आगे चलकर बहुत खतरनाक हो सकती है।
बच्चों पर हमेशा शक करने से ऊपर बताये गए नुकसान हो सकते हैं। इसकी वजह से आपके बच्चे के मन में ऐसी भावना पैदा हो सकती है जो आगे चलकर उनके व्यक्तित्व को प्रभावित कर सकती है। बच्चों की परवरिश के दौरान उनकी निगरानी और उनसे हर काम के बारे में बातचीत करना अच्छा होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप बच्चों की चीज में दखल दें या उनकी हर गतिविधि का हिसाब लें। बच्चों के साथ बैठकर उनसे बातचीत करने और समय-समय पर उनसे उनकी राय लेने से माता-पिता और बच्चों के बीच अच्छी बॉन्डिंग बन सकती है।
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