बच्चों की पेरेंटिंग का ध्यान सही से रखना पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है। हर मां-बाप का अपने बच्चों के पालने का तरीका अलग-अलग होता है। पेरेंटिंग के कई तरीके होते हैं जिनके अपने-अपने फायदे और नुकसान भी होते हैं। बच्चों के समुचित विकास के लिए उनकी सही ढंग से परवरिश होनी बहुत जरूरी है। अच्छी परवरिश मिलने से बच्चे की आदत उसका मानसिक विकास और शारीरिक विकास बहुत सही ढंग से होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक पेरेंटिंग कई तरह की होती है। पेरेंट्स के परवरिश करने के तरीके को अलग-अलग केटेगरी में बांटा गया है। माता-पिता में बच्चों के प्रति एक का सख्त और दूसरे का नर्म व्यवहार रखना 'गुड कॉप - बैड कॉप' पेरेंटिंग कहा जाता है। कई लोगों का मानना है कि बच्चों की देखभाल यानी पेरेंटिंग करते समय एक का नर्म और दूसरे का सख्त रवैया बच्चों के ले फायदेमंद होता है। आइये विस्तार से जानते हैं गुड कॉप - बैड कॉप पेरेंटिंग के बारे में।
क्या है गुड कॉप - बैड कॉप पेरेंटिंग? (What Is Good Cop Bad Cop Parenting?)
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गुड कॉप - बैड कॉप पेरेंटिंग यानी बच्चों के प्रति माता-पिता में से एक का नर्म रवैया अपनाना और दूसरे का सख्त रवैया अपनाना होता है। पेरेंटिंग के इस तरीके में माता-पिता में से एक अच्छे पुलिस कॉप की भूमिका में रहते हैं और दूसरा सख्त रवैया अपनाने वाला बैड कॉप के रूप में जाना जाता है। यह पेरेंटिंग का तरीका बहुत ही प्रभावी और बच्चों में संतुलन बनाने वाला माना जाता है। हालांकि इस पेरेंटिंग के तरीके में ऐसा नहीं होता है कि जैसा व्यवहार माता-पिता बच्चे के साथ करते हैं असल जीवन में भी उनका व्यवहार वैसा ही है। बैड-कॉप माता-पिता बच्चे को होमवर्क करने, अनुशासन बनाए रखने और ठीक से व्यवहार करने से जुड़े गुण सिखाते हैं और उनमें इन चीजों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। वहीं गुड कॉप माता - पिता बच्चों की गतिविधियों में शामिल होकर, उनके साथ खेलकर और बच्चे की जरूरतों का ध्यान रखते हैं।
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गुड कॉप - बैड कॉप पेरेंटिंग के नुकसान (Side Effects Of Good Cop-Bad Cop Parenting)
गुड कॉप - बैड कॉप पेरेंटिंग भले ही बच्चों में व्यवहार के संतुलन को बनाये रखने के लिए ठीक मानी जाती है लेकिन इसे विशेष रूप से उपयोगी नहीं माना जाता है। आमतौर पर इस तरह की पेरेंटिंग के कारण पेरेंट्स को अधिक संघर्ष करना पड़ता है। इसकी वजह से कई बार माता-पिता में भी दरार पड़ सकती है। बच्चों में भी माता-पिता के प्रति अलग असर पड़ने लगता है। जिन पेरेंट्स के दो बच्चे होते हैं उन पर इस प्रकार की पेरेंटिंग का बुरा असर पड़ सकता है। इस तरह की पेरेंटिंग का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
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गुड - बैड कोप पेरेंटिंग के फायदे (Benefits Of Good - Bad Cop Parenting)
गुड - बैड कॉप पेरेंटिंग के कुछ फायदे भी हैं जिसकी वजह से तमाम पेरेंट्स इसका पालन भी करते हैं। बच्चों की दैनिक गतिविधियों में संतुलन और समन्वय बनाने के लिए गुड - बैड कॉप पेरेंटिंग बहुत फायदेमंद मानी जाती है। बच्चों की आदतों के प्रति माता - पिता को न तो बहुत ही अधिक नर्म या बहुत ही ज्यादा सख्त होना चाहिए। अगर माता-पिता बच्चों की परवरिश को लेकर बहुत नर्म हैं तो इसकी वजह से उनकी आदतें खराब हो सकती हैं और अगर बच्चे की आदतों के प्रति माता-पिता का रवैया बहुत अधिक सख्त है तो इसकी वजह से उनकी क्रिएटिव होने पर भी असर पड़ सकता है।
गुड कॉप - बैड कॉप पेरेंटिंग से बाहर कैसे निकलें? (How to Get out of Good cop- Bad Parenting?)
पेरेंट्स को गुड - बैड कॉप पेरेंटिंग की स्थिति से निकलने के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. गुड-बैड कॉप के रूप में आपस में अपनी भमिका को समय-समय पर बदलते रहें।
2. अपने बच्चे का विश्वास हासिल करें, बच्चे से अधिक बार बात करें।
3. बच्चे के साथ मिलकर योजनाओं पर चर्चा करें और उससे तमाम विषयों के बारे में अपने विचार साझा करें।
4. बच्चों के सामने आप एक मजबूत पति-पत्नी बनकर रहें जिससे बच्चे पर इसका कोई असर न हो।
5. एक-दूसरे की राय का समर्थन करें और बच्चे के साथ पक्ष-विपक्ष पर चर्चा करें।
6. बच्चे के साथ किसी विशेष समस्या के बारे में जानने की कोशिश करें।
7. आपस में किसी भी बात को लेकर बच्चों के सामने बहस न करें।
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इन बातों का ध्यान रखकर आप गुड-बैड कॉप पेरेंटिंग स्टाइल से बच सकते हैं। इसके दुष्परिणामों से बचने के लिए ऊपर बताई गयी बातों का ध्यान जरूर रखें।
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