बच्चों के समुचित विकास के लिए उनकी सही ढंग से परवरिश होनी बहुत जरूरी है। अच्छी परवरिश मिलने से बच्चे की आदत उसका मानसिक विकास और शारीरिक विकास बहुत सही ढंग से होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक पेरेंटिंग कई तरह की होती है। पेरेंट्स के परवरिश करने के तरीके को अलग-अलग केटेगरी में बांटा गया है। बच्चों की पेरेंटिंग का एक तरीका 'हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग' (Helicopter Parenting) भी है। हेलिकॉप्टर पेरेंट्स ऐसे लोग होते हैं जो बच्चों पर हमेशा हेलिकॉप्टर की तरह से मंडराते रहते हैं। ऐसे पेरेंट्स अपने बच्चों के जीवन में बहुत ज्यादा भीतर चले जाते हैं। कई मायनों में हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग को बच्चों की परवरिश के लिए बहुत अच्छा माना गया है लेकिन इसके तमाम दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं। बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखना पेरेंट्स का काम है लेकिन उनका पीछा करते हुए हर समय उनके सिर पर हेलिकॉप्टर की तरह मंडराते रहने से बच्चों पर नकारात्मक असर भी हो सकता है। आइये विस्तार से जानते हैं हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के बारे में और इससे मिलने वाले फायदे और नुकसान के बारे में।
क्या है हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग? (What Is Helicopter Parenting?)
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हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग बच्चों की परवरिश का एक तरीका है जिसमें बच्चों के माता-पिता हर समय बच्चों की निगरानी करते रहते हैं। हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग शब्द का सबसे पहले प्रयोग डॉ. हैम गिनोट की 1969 की पुस्तक पेरेंट्स एंड टीनएजर्स में किया गया था। इसका मतलब होता है कि परवरिश के समय बच्चों के माता-पिता हेलिकॉप्टर की तरह से बच्चों के सिर पर मंडराते रहते हैं। हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग शब्द साल 2011 में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ। हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग एक तरह की पेरेंटिंग शैली है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं। ऐसे माता-पिता बच्चों की हर एक गतिविधि की गहराई से निगरानी करते हैं। इस दौरान बच्चों की सफलता या असफलता के लिए भी पेरेंट्स सबसे ज्यादा क्रेडिट लेते हैं। हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग करने वाले पेरेंट्स यह समझते हैं कि उनके ऐसा करने से उनके बच्चे सही दिशा में काम करेंगे और उनका मानसिक और शारीरिक विकास सही ढंग से होगा लेकिन हर समय ऐसा नहीं होता है। कई बार इसका नकारात्मक असर भी बच्चों पर पड़ता है।
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क्यों की जाती है हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग? (What Causes Helicopter Parenting?)
माता-पिता बच्चों की हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग कई कारणों से करते हैं। हर मां-बाप अपने बच्चे के भविष्य और उनकी अच्छी परवरिश को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं। बच्चों की हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग कई रूप में होती है। शुरुआत में अभिभावक बच्चों को सही ढंग से हर चीज के बारे में सिखाने की कोशिश करते हैं उसके बाद जब बच्चे धीरे-धीरे बड़े होते हैं तो उनके भविष्य को लेकर हर समय उन पर मंडराते रहना अभिभावकों का स्वभाव बन जाता है। कई पेरेंट्स अपने बच्चों के विकास उनके करियर और फ्यूचर को लेकर इतने अधिक उतावले होते हैं कि बिना बच्चों के मन की बात जाने खुद से ही उनके कामकाज में इनवोल्व हो जाते हैं। मुख्यतः हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग इन कारणों से की जाती है।
- बच्चों के भविष्य की अधिक चिंता के कारण।
- कॉलेज और एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के उद्देश्य से।
- बच्चों को मनचाहा कॉलेज मिले इसलिए।
- बच्चों को तकलीफ से निकालने के लिए।
- पेरेंटिंग को बेहतर बनाने के लिए।
- बच्चों की संगति या उनकी लाइन गलत न हो जाये इसलिए।

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के नुकसान (Side Effects Of Helicopter Parenting on Childs)
बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए भले ही पेरेंट्स उनकी जिंदगी में बहुत ज्यादा शामिल होकर परवरिश करते हैं और हर समय उनके सिर पर हेलिकॉप्टर की तरफ मंडराते हुए पेरेंटिंग करते हैं लेकिन ऐसा करना बिलकुल भी सही नहीं माना जाता है। बच्चों की पेरेंटिंग के दौरान माता-पिता को हमेशा बच्चों के ऊपर हावी नहीं होना चाहिए और उनके जीवन के हर क्षण उनके ऊपर नहीं रहना चाहिए। कई बार ऐसा खोने से बच्चे उदासीनता महसूस करने लगते हैं। ऐसे बच्चों को ये लग सकता है कि वे स्वतंत्र नहीं है और ऐसे में उनके ऊपर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। बच्चों की हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग करने से उन पर ये प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ते हैं।
1. बच्चों के कौशल विकास पर पड़ता है असर
हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग की वजह से बच्चों के कौशल विकास यानी स्किल डेवलपमेंट पर असर पड़ सकता है। हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग में पेरेंट्स अपने बच्चों की हर समस्या को खुद सुलझाने में लग जाते हैं। उदहारण के लिए अगर बच्चे किसी भी तरह के कठिन कामों में उलझ गए हैं तो उन्हें सहारा देने के बजाय पेरेंट्स खुद से ही उसे सोल्व करने लगते हैं जिसकी वजह से उनके कौशल विकास पर प्रभाव पड़ता है। बच्चों की परवरिश के दौरान उनकी हर समस्या को खुद से ही हल करने के बजाय आपको उन्हें मानसिक रूप से मजबूत करना चाहिए।
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2. प्राकृतिक परिणामों से दूरी
बच्चों की हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग का सबसे प्रमुख नुकसान यह है कि वे प्राकृतिक परिस्थितियों का सामना करने में अक्षम हो जाते हैं। ऐसे बच्चे जिनकी परवरिश हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के तरीकों से हुई है वे प्राकृतिक परिस्थितियों या परिणामों से दूर हो जाते हैं। जिसकी वजह से भविष्य में वे ऐसी स्थितियों का सामना करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। माता-पिता द्वारा पेरेंटिंग के दौरान हर चीज में भाग लेने से बच्चों को यह मौका नहीं मिल पाता है और आगे चल कर ऐसे बच्चे प्राकृतिक स्थितियों को संभाल नहीं पाते हैं।
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3. माता-पिता पर निर्भरता बढ़ जाती है
ऐसे बच्चे जिनका पालन-पोषण हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के तौर तरीकों से हुआ है उनकी अपने माता-पिता पर निर्भरता बढ़ जाती है। ऐसे बच्चे हर किसी चीज के लिए माता-पिता पर निर्भर हो जाते हैं। एक तरफ जहां पूरी दुनिया बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास कर रही है वहीं हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग बच्चों को माता-पिता पर अधिक निर्भर बनती है।
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4. बच्चे खुद की वकालत नहीं कर पाते हैं
माता-पिता द्वारा परवरिश के दौरान उनके हर काम में दखल देने से बच्चों में खुद की वकालत करने की क्षमता खत्म हो जाती है। ऐसे बच्चे समाधान-कौशल में तो पीछे रहते ही हैं इसके साथ ही वे खुद की वकालत करने में भी अक्षम रहते हैं। ऐसे बच्चों की परवरिश के दौरान हर चीज के लिए माता-पिता पर निर्भरता बढ़ जाती है जिसकी वजह से आगे चलकर उन्हें ये समस्या होती है।
5. माता-पिता से बच्चों के रिश्ते में परेशानी
कई बार हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के दौरान बच्चों के मन में माता-पिता के प्रति नकारात्मक विचार पैदा हो सकते हैं। इस दौरान बच्चों को ऐसा लग सकता है कि वे किसी की कैद में हैं। इसकी वजह से धीरे-धीरे उनके बड़े होने पर अपने माता-पिता के प्रति नकारात्मक विचार पैदा होने की आशंका बनी रहती है।
हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के फायदे (Benefits Of Helicopter Parenting)
बच्चों की हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग खुच हद तक उनके लिए फायदेमंद भी होती है लेकिन इसका सबसे अधिक फायदा पेरेंट्स को ही मिलता है। हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग से अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य को लेकर संतुष्टि बनी रहती है। ऐसे पेरेंट्स अपने बच्चों के काम में जरूरत से ज्यादा दखल देकर संतुष्ट तो रह सकते हैं लेकिन बच्चों पर इसका कुछ खास अच्छा असर नहीं रहता है। बच्चों की परवरिश करते समय हर माता-पिता को यह बात ध्यान रखनी चाहिए।
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