
पिता का काम केवल बच्चों की जरूरतों को पूरा करना नहीं होता और ना माता का काम सिर्फ बच्चों का पेट भरना होता है। बच्चों के व्यक्तित्व का विकास भी मां-बाप के हाथ में होता है। ऐसे में माता-पिता का ही फर्ज है कि शुरुआत से ही अच्छी आदतें सीखने के लिए अपने बच्चों को प्रेरित करें अगर कभी आपको ऐसा लगे कि आपके बच्चे में उत्साह की कमी है या फिर वह अपनी इच्छा से आगे बढ़कर कोई भी नया काम करने के लिए तैयार नहीं होता, उसमें सुस्ती आ रही है, पढ़ाई हो या घर का काम, उसे बार-बार टोकना पड़ रहा है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है। ऐसा व्यवहार इस बात का संकेत देता है कि आपको अपनी पेरेंटिंग के तरीके में सुधार करने की जरूरत है। बच्चों के पहले शिक्षक माता-पिता ही होते हैं और वे उन्हीं के व्यवहार का अनुसरण करते हैं। अगर आप अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में हमेशा सक्रिय उत्साही और ऊर्जावान रहेंगे तो आपको देखकर आपके बच्चों में भी इन आदतों का जन्म होगा और भविष्य उज्जवल होगा। इसलिए इस लेख के माध्यम से जानते हैं दिनचर्या में आपको किस प्रकार के बदलाव करने की जरूरत है...
नजरअंदाज न करें बच्चों की भावना को
क्योंकि बच्चा छोटा है सिर्फ यह सोचकर बच्चों की भावनाओं को नजरअंदाज करना गलत है। उसे उपदेश देने की बजाय कभी उसकी भी सुनें और उसकी सोच का विकास करने के लिए घर के छोटे-मोटे मुद्दों पर उसकी राय भी जानें। जैसे- लंच-डिनर में क्या बनेगा, वीकेंड पर हम कहां घूमने जा सकते हैं, कमरों की दीवारों का रंग कैसा हो सकता है, इस तरह की छोटे मुद्दे भी आपके बच्चों के अंदर आत्मविश्वास पैदा करेंगे।
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बच्चों का बनाएं जिम्मेदार
पढ़ाई के लिए मां-बाप थोड़ा कठोर हो जाते हैं और अपने बच्चों को उसके लिए बाध्य कर देते हैं। पर यह गलत है। अपने बच्चों को उसकी जिम्मेदारी सीखाएं। ताकि वह रोज सही समय पर अपना होमवर्क खुद पूरा करें। होमवर्क के बाद उसे टीवी देखने के लिए मना ना करें। उसके पढ़ने की अलग जगह बनाएं। उसकी बुक शेल्फ, रीडिंग लैब, कुछ पोस्टर आदि उसके मनमाफिक हों तो बच्चों को पढ़ने में ज्यादा मजा आता है। अगर इस तरह का माहौल आप अपने बच्चे को देंगे तो वह खुश भी रहेगा और होमवर्क करने के लिए प्रेरित होगा।
बच्चों के थोड़ा बाहर भी निकालें
सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बच्चों को खेल कूदने की भी इजाजत दें। खेलने कूदने से भी काफी कुछ सीखा जा सकता है। इसके लिए बहुत जरूरी है कि उसकी रुचि को प्रोत्साहित किया जाए। अगर आपके बच्चे की ड्राइंग में रुचि है तो उसके लिए आप उसे आर्ट गैलरी एग्जिबिशन में ले जा सकते हैं। इसके अलाव उसे पेंट ब्रश जैसी चीजें भी खरीद कर दें, जिससे वे खाली समय में अपनी रुचि को बढ़ावा दे सकें।
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इन बातों का रखें ख्याल
- बच्चे की पढ़ाई का एक निश्चित समय तय करें।
- होमवर्क न मिलने पर भी उसे सेल्फ स्टडी के लिए प्रेरित करें।
- पॉइंट बनाकर पढ़ने का तरीका बताएं।
- स्कूल में पढ़ाई के टॉपिक पर रोजाना उससे बातचीत करें।
- उसके हर काम की प्रशंसा करें।
- याद रखें, आपकी प्रशंसा बच्चे के लिए किसी अवार्ड से कम नहीं है।
- उसे व्यवस्थित होना सीखाएं।
- उसका टाइम टेबल बनाएं अगर आपका घर छोटा है तो उसके लिए स्टडी टेबल व्यवस्थित करें जहां टीवी की आवाज ना सुनाई देती हो।
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