एक बच्चे को बड़ा करना बहुत मुश्किल काम है। शुरू में आपको उन्हें पूरी-पूरी रात जाग कर दूध पिलाना पड़ता है और उनकी देखरेख करनी पड़ती है। लेकिन जैसे ही वह बड़े होते जाते हैं उनमें समझ आने लगती है और हम समझने लगते हैं कि अब हमें उनकी परवरिश को लेकर कोई चिंता नहीं रही और हमारा काम एक तरह से पूरा हो गया है। लेकिन बच्चा जैसे ही अपनी युवावस्था में पहुंचता है वैसे ही उसके शरीर में बहुत सारे बदलाव आते हैं। यह बदलाव शारीरिक होने के साथ साथ मानसिक भी होते हैं। अब आपका बच्चा आपसे असहमति जतानी शुरू कर देता है। आपकी सभी बातें उसे बुरी और चुभने वाली लगने लगती हैं। वह आपके खिलाफ एक विद्रोही किस्म का बन जाता है। लेकिन अचानक से ऐसा होते देख आपको भी धक्का लग सकता है। आप यह आश्चर्य कर सकते हैं कि ऐसा किन कारणों की वजह से हुआ। तो आइए कुछ कारणों के बारे में जानते हैं।
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आपके सब्र की परीक्षा लेना
बच्चों को अपने मां बाप पर एक्सपेरिमेंट करना बहुत पसंद होता है। वह यह जानना चाहते हैं कि अगर वह कभी गुस्सा करते हैं या अपने मां बाप से असहमति जताते हैं तो उनके माता पिता कितने शांत रहते हैं या इन को उन्हीं की भाषा में जवाब देते हैं। तो यह भी उनके चिड़चिड़े और विद्रोही स्वभाव का एक कारण हो सकता है।
उनको रोक टोक नहीं, स्वतंत्रता है पसंद
जब आपके बच्चे बड़े होते हैं तो उन्हें अपने हर काम में स्वतंत्रता चाहिए होती है। वह ऐसा मानते हैं कि उनकी जिंदगी से जुड़े निर्णय वह खुद ले सकते हैं। जैसे ही आप उन पर सख्ती बरतती हैं या फिर उनको किसी बात से मना कर देती हैं तो केवल यही नियंत्रण उन्हें पसंद नहीं आता है। वह इस किस्म का व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।
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अधिक अटेंशन पाने की चाहत रखना
बच्चे के लिए अटेंशन की ओर लोभित होना काफी आम होता है। जब आप अपने कामों में व्यस्त रहते हैं या फिर उनकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं तो उनकी नजरों में आपके लिए वह इज्जत नहीं रह जाती है। वह आपको गुस्से भरी निगाहों से देखते है। इसलिए अपने बच्चे को पूर्ण अटेंशन दें।
वह अपनी पहचान ढूंढ रहे होते हैं
जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन्हें अपने भविष्य की चिंता होने लगती है और वह अक्सर आपसे इस प्रकार के प्रश्न पूछ सकते हैं कि मैं क्या करूं? मैं किस करियर को चुनूं और मुझे जिंदगी में क्या चाहिए इत्यादि। अगर आप इन सब सवालों के जवाब देने में असमर्थ हो जाते हैं तो वह चिड़चिड़े हो जाते हैं। गुस्से में आ कर आप पर सभी चीजों का दोष लगा सकते हैं।
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इस स्थिति से बच्चे को बाहर निकालने के लिए क्या करें?
हर बात पर न लड़ें
आपको यह समझना चाहिए कि उनसे किस बात पर बहस करनी चाहिए और किस पर नहीं। अगर वह अपनी मर्जी के कपड़े पहनना चाहते हैं तो इसमें बहस न करें और कई बार उन्हें भी उनके मन की करने दें।
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उनकी अपेक्षाओं पर सीमा लगाएं
बच्चे को घर के नियमों के बारे में समझा दें और उन्हें एक सीमा दें ताकि वह उस सीमा को लांघ कर कुछ अधिक आशा न लगाएं। उनके सोने खाने और खेलने के समय की सीमा बना दें।
अपने आप को उनकी जगह रख कर देखें
आपको एक बार अपने आप को बच्चे की जगह पर रख कर सोचना चाहिए कि क्या यह निर्णय सच में होना चाहिए या यह फैसला बच्चे के हक में देना चाहिए।
अगर आप उन्हें प्यार से कोई बात समझाएं और घर में नियम सेट करेंगे। वह समय रहते ही इन सब बातों को समझना शुरू कर देंगे।
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