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Second Trimester of Pregnancy in Hindi: गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही के लक्षण, शिशु का विकास और सावधानियां

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान शिशु के विकास, गर्भावस्था के लक्षण, परीक्षण के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
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Second Trimester of Pregnancy in Hindi: गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही के लक्षण, शिशु का विकास और सावधानियां


अगर आप प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही को एंज्वॉय कर रही हैं या फिर दूसरी तिमाही में पहुंच गई हैं, तो यह लेख आपके लिए ही है। जी हां, इस लेख में हम आपको प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में महसूस होने वाले लक्षणों और बदलाओं के बारे में बताएंगे। साथ ही, दूसरी तिमाही में शिशु का कितना विकास हो जाता है, इस बारे में भी जानेंगे। आपको बता दें कि प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही 14वें सप्ताह से 27वें सप्ताह तक चलती है। गर्भवती महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी के इस समय को सबसे अच्छा माना जाता है। दरअसल, पहली तिमाही में महिलाओं को उल्टी, मतली और थकान का अनुभव होता है, जबकि दूसरी तिमाही में ये लक्षण कम होने लगते हैं। साथ ही, इस तिमाही में शिशु का विकास भी तेजी से हो रहा होता है। दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड कराया जाता है, तो इस दौरान शिशु की स्थिति का भी पता लगाया जा सकता है। प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के बारे में ज्यादा जानकारी पाने के लिए हमने फोर्टिस हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट और प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. बंदना सोढ़ी से बातचीत की-

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में लक्षण- Pregnancy Second Trimester Symptoms in Hindi

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में आपको कई तरह के लक्षणों का अनुभव हो सकता है। इनमें शामिल हैं-

  • चक्कर आना: इस दौरान शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में बदलाव होता है। इसकी वजह से सिर में रक्त का प्रवाह कम होने लगता है। इससे आपको चक्कर जैसा महसूस हो सकता है। 
  • राउंड लिगामेंट में दर्द: दूसरी तिमाही में जैसे-जैसे गर्भाशय बढ़ता है, लिगामेंट खिंचते हैं और इससे दर्द हो सकता है। इसकी वजह से आपको कमर या पेट में दर्द का अनुभव हो सकता है।
  • त्चचा के रंग में बदलाव: प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में मेलेनिन नामक हार्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है। इसकी वजह से त्वचा के रंग में बदलाव नजर आने लगता है। इसकी वजह से निपल्प का रंग भी गहरा होने लगता है।
  • त्वचा पर खुजली होना: प्रेग्नेंसी के दौरान जैसे-जैसे समय बितता है, वजन बढ़ने लगता है। इससे त्वचा पर खिंचाव महसूस होता है और त्वचा ड्राई होने लगती है। साथ ही, त्वचा पर खुजली भी होने लगती है।
  • पैरों में ऐंठन: कुछ महिलाओं को दूसरी तिमाही में पैरों में ऐंठन का अनुभव हो सकता है। पैरों में सूजन और दर्द भी महसूस हो सकता है।
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द: गर्भाशय का आकार बढ़ने पर आपके दबाव पड़ता है। इससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। इसके लिए आप स्ट्रेचिंग कर सकते हैं।
  • कब्ज होना: प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में कब्ज की दिक्कत होना भी बेहद आम है। 

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में कौन-से बदलाव नजर आते हैं?

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान आपको कई तरह के शारीरिक बदलावों का अनुभव हो सकता है। इनमें शामिल हैं-

  • पेट और स्तनों का आकार बढ़ना: दूसरी तिमाही तक आते-आते गर्भाशय बच्चे को जगह देने के लिए फैलने लगता है। इससे पेट का आकार बढ़ जाता है। इस दौरान स्तनों के आकार में भी वृद्धि होने लगती है।
  • त्वचा में बदलाव होना: दूसरी तिमाही के दौरान आपको अपने त्वचा में बदलाव नजर आ सकते हैं। इस दौरान आपके त्वचा का रंग सांवला पड़ सकता है। साथ ही, स्ट्रेच मार्क्स भी नजर आ सकते हैं। 
  • नाक की समस्या: प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इसकी वजह से श्लेष्मा झिल्ली में सूजन आ सकती है। इससे नाक से रक्तस्त्राव हो सकता है। 
  • दांतों से जुड़ी समस्याएं: दूसरी तिमाही के दौरान आपको दांतों से जुड़ी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। दरअसल, प्रेग्नेंसी में मसूड़े संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे रक्तस्त्राव हो सकता है। 
  • वजाइनल डिस्चार्ज: इस दौरान आपको योनि से सफेद स्त्राव हो सकता है। यह सामान्य है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर डिस्चार्ज से गंध आए, तो डॉक्टर से कंसल्ट करें। 
  • शिशु के साथ भावनात्मक संबंध: दूसरी तिमाही में मां और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध विकसित होने लगते हैं। इस दौरान महिला ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है।
baby growth in second trimester

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में शिशु का विकास- Baby Growth in Pregnancy Second Trimester in Hindi

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही की तुलना में, दूसरी तिमाही में शिशु का विकास तेजी से हो रहा होता है। इस दौरान, शिशु के शरीर के अंग विकसित हो रहे होते हैं। साथ ही, जो अंग पहली तिमाही में विकसित हो चुके होते हैं, उनमें भी सुधार होता है। 

इस अवधि में, शिशु के पूरे शरीर का आकार बढ़ता है। इस दौरान शिशु की हड्डियां और नसें विकसित हो रहे होते हैं। साथ ही, मस्तिष्क और हृदय जैसे अंग भी विकसित होते हैं। दूसरी तिमाही में नाक, कान, आंखें, बाल, नाखून जैसे अंग भी बनते हैं। 

इसे भी पढ़ें- प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में होने वाली समस्‍याओं से कैसे बचें? एक्‍सपर्ट से जानें आसान ट‍िप्‍स

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए? 

  • यूरिन टेस्ट: दूसरी तिमाही में पेशाब की जांच की जाती है। इससे पता चलता है कि मूत्र पथ में कोई संक्रमण तो नहीं है।
  • अल्ट्रासाउंड: प्रेग्नेंसी के दौरान समय-समय पर अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। इसमें शिशु की लंबाई, प्लेसेंटा की स्थिति और मस्तिष्क के विकास के बारे में जानकारी मिलती है।
  • डाइजेस्टिव सिस्टम स्कैन: इस टेस्ट को शिशु के पाचन-तंत्र की जांच के लिए किया जाता है। 
  • ब्लड टेस्ट: इसमें महिलाओं में हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच की जाती है। साथ ही, ब्लड टेस्ट से शुगर की जांच भी की जाती है।
  • फेटल अनोमली स्कैन: इस टेस्ट को दूसरी तिमाही के अंत में किया जाता है। इस टेस्ट से शिशु के शारीरिक विकास में किसी भी अनियमितता की जांच की जाती है। इस टेस्ट के जरिए शिशु के हृदय, ब्रेन, आंतरिक अंगों की स्क्रीनिंग की जाती है। 
  • ग्लूकोज टेस्ट: इस टेस्ट को गर्भवती महिलाओं में ग्लूकोज के स्तर की जांच के लिए किया जाता है। डायबिटीज के जोखिम की निगरानी रखने के लिए इस टेस्ट को किया जाता है।
pregnancy second trimester

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में बरतें ये सावधानियां 

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में आपको कुछ सावधानियों को फॉलो करना चाहिए। 

  • इस दौरान आपको अपने खान-पान का पूरा ख्याल रखना चाहिए। अपनी डाइट में प्रोटीन, फाइबर, मिनरल्स और विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। 
  • प्रेग्नेंसी में ज्यादा तला-भुना खाने से बचें। इस दौरान कैफीन इनटेक से भी आपको बचना चाहिए। 
  • आपको समय-समय पर डॉक्टर से कंसल्ट करते रहना चाहिए। साथ ही, उनके साथ अपनी सारी मेडिकल हिस्ट्री शेयर करनी चाहिए। अपना रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाएं।
  • इस दौरान आपको ज्यादा काम करने से बचना चाहिए। समय-समय पर खुद को आराम देना चाहिए।
  • प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में सही पोजिशन में बैठना, उठना और सोना चाहिए। 
  • इस दौरान भारी वजन उठाने से आपको बचना चाहिए। इससे पेट पर दबाव बढ़ सकता है और शिशु को दिक्कत हो सकती है।

Pregnancy Week and Trimester in Hindiवीक और ट्राइमेस्टर में गर्भावस्था की संपूर्ण जानकारी के लिया ये यहाँ पढ़े

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