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आयुर्वेद के अनुसार प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही है पित्त का काल, जानें क्या करें और क्या नहीं

Second Trimester of Pregnancy is the Period of Pitta According to Ayurveda: पित्त का प्रभाव बढ़ने के कारण प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में महिलाओं को पाचन और त्वचा संबंधी समस्याएं होती है। 
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आयुर्वेद के अनुसार प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही है पित्त का काल, जानें क्या करें और क्या नहीं


Second Trimester of Pregnancy is the Period of Pitta According to Ayurveda : प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए खास महत्व रखता है। प्रेग्नेंसी के 9 महीनों में महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर देखा जाता है। आयुर्वेद में प्रेग्नेंसी को एक विशेष प्रकार की प्राकृतिक प्रक्रिया माना गया है। आयुर्वेद में प्रेग्नेंसी में को तीन त्रैमासिक कालों में बांटा गया है, जिसमें प्रत्येक तिमाही का संबंध शरीर के तीन दोषों (वात, पित्त और कफ) में से एक से होता है। प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही को पित्त दोष से संबंधित माना गया है।

दिल्ली के राजौरी गार्डन स्थित क्लीनिक पर प्रैक्टिस कर रही हैं आयुर्वेदिक डॉक्टर और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में महिलाओं के शरीर में पित्त का प्रभाव बढ़ जाता है। पित्त का प्रभाव बढ़ने के कारण प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में महिलाओं को पाचन और त्वचा संबंधी समस्याएं होती है। पित्त का काल होने के कारण आयुर्वेद में महिलाओं को दूसरी तिमाहीमें कुछ विशेष प्रकार के काम करने की मनाही होती है। वहीं, इस दौरान कुछ कामों को विशेष प्रकार से करने के लिए कहा जाता है। आज हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं।

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आयुर्वेद के अनुसार प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में क्या नहीं करना चाहिए?- What Not to Do Second trimester of Pregnancy According to Ayurveda

  • आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में पित्त को संतुलित करने के लिए महिलाओं को बासी, ज्यादा तेल और मसालेदार खाना खाने से बचना चाहिए। इस तरह से खाद्य पदार्थों को खाने से पाचन तंत्र पर असर पड़ सकता है और अपच, एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। प्रेग्नेंसी के 9 महीनों में महिलाओं को सिर्फ ताजा और घर पर पकाया गया खाना ही खाना चाहिए।
  • दूसरी तिमाही में लंबी यात्राओं से भी बचना चाहिए। आयुर्वेद में यह माना जाता है कि प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में लंबी यात्रा रने से गर्भाशय में कंपन हो सकती है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में महिलाओं को ज्यादा गर्म पानी से भी नहीं नहाने की सलाह दी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो
  • गर्म पानी गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचाता है और कई परेशानियों का कारण बनता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को हल्के गुनगुने पानी से नहाने की सलाह दी जाती है।

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आयुर्वेद के अनुसार प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में क्या करना चाहिए?- What to do Second trimester of Pregnancy According to Ayurveda

  • आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का कहना है कि प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में गर्भस्थ शिशु के बाल, नाखून और पलकों का विकास होता है। इस के दौरान सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान महिलाओं को डाइट में ताजा, हल्का और आसानी से पचने वाला खाना ही खाना चाहिए।
  • प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में दूध और घी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। दूध को गर्म करके उसमें हल्दी या इलायची डालकर पीना प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है।
  • दूसरी तिमाही में हाइड्रेशन बहुत जरूरी होता है। हाइड्रेशन के लिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। अगर आपको सादा पानी पीने की इच्छा नहीं होती है, तो आप छाछ, नारियल पानी और नींबू पानी को डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।

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निष्कर्ष

प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए एक खूबसूरत, लेकिन चैलेंजिंग भरा सफर होता है। इस दौरान कुछ चीजों को करने से गर्भस्थ शिशु को नुकसान हो सकता है। इसलिए किसी भी चीज को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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